श्री राधा चालीसा लिरिक्स हिंदी में अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

Radha Chalisa In Hindi

आज हम आपको राधा चालीसा हिंदी में (Radha Chalisa In Hindi) देने जा रहे हैं। राधा चालीसा के माध्यम से माता राधा के जीवन, उनकी शक्तियों और गुणों के बारे में बताया गया है। ऐसे में यदि आप राधा चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको उसका अर्थ भी जानना चाहिए।

इतना ही नहीं, आज के इस लेख में आपको श्री राधा चालीसा लिरिक्स (Radha Chalisa Lyrics In Hindi) का महत्व और उसे पढ़ने से मिलने वाले लाभ भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री राधा चालीसा हिंदी में अर्थ सहित।

Radha Chalisa In Hindi | राधा चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

श्री राधे वृषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार।
वृन्दावनविपिन विहारिणी, प्रणवों बारंबार॥

जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिया सुखधाम।
चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम॥

हे वृषभानु की पुत्री राधा, आप सभी भक्तों के प्राणों की आधार हैं। आप वृंदावन की गलियों में विचरण करती हैं और हम आपको बार-बार प्रणाम करते हैं। मैं जैसा भी हूँ लेकिन कृष्ण की प्रिय राधा से सुख प्राप्त करता हूँ। इसलिए हे माँ, मुझे अपने चरणों की शरण में लीजिए और मुझे सुख प्रदान करें।

॥ चौपाई ॥

जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा।

आप वृषभानु जी की पुत्री हो जो श्याम की प्रिय हो व आपने वहां जन्म लेकर उस क्षेत्र की कीर्ति और शोभा को अत्यधिक बढ़ा दिया है।

नित्य बिहारिनी श्याम अधारा, अमित मोद मंगल दातारा।

आप वृंदावन की गलियों में विचरण करती हैं और श्याम को ढूँढती हैं। आप सभी का मंगल करने वाली हैं।

रास विलासिनी रस विस्तारिनी, सहचरि सुभग यूथमन भावनि।

आप रास रचाती हैं, उस प्रेम का हर जगह विस्तार करती हैं, सभी सखियों में आप ही सभी के मन को भा जाती हैं।

नित्य किशोरी राधा गोरी, श्याम प्राणधन अति जिय भोरी।

आप यौवन अवस्था व गौर वर्ण की हो, आप कृष्ण भगवान को प्राणों से भी अधिक प्रिय हो।

करुणा सागर हिय उमंगिनि, ललितादिक सखियन की संगिनी।

आपके हृदय में दया व करुणा का सागर है और आप ललिता इत्यादि सखियों के साथी हो।

दिनकर कन्या कूल बिहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हुलसावनि।

आप सूर्य भगवान की कन्या हो जो इधर-उधर विचरण करती हैं और कृष्ण का प्रेम हो जो उनके हृदय में प्राण देता है।

नित्य श्याम तुमरौ गुण गावें, राधा राधा कहि हरषावें।

प्रतिदिन कृष्ण भगवान आपको याद करते हैं और राधा राधा नाम लेकर मन ही मन बहुत प्रसन्न होते हैं।

मुरली में नित नाम उचारे, तुव कारण प्रिया वृषभानु दुलारी।

केवल राधा के कारण ही कृष्ण मुरली बजाते हैं और उनकी धुन में भी राधा नाम का संगीत आता है।

नवल किशोरी अति छवि धामा, द्युति लघु लगै कोटि रति कामा।

आपकी छवि अत्यधिक मनोहर व सुंदर है तथा आपके सामने करोड़ों रति व कामदेव भी छोटे दिखाई देंगे।

गौरांगी शशि निंदक बढ़ना, सुभग चपल अनियारे नयना।

आपका गौर वर्ण चंद्रमा से भी तेज है और आपके नेत्र चपल व अद्वितीय हैं।

जावक युग युग पंकज चरना, नूपुर धुनि प्रीतम मन हरना।

आपके चरणों में जावक युग युग तक रहता है और आप नूपुर धुन से सभी के मन को हर लेती हो।

संतत सहचरि सेवा करहीं, महा मोद मंगल मन भरहीं।

आपकी सखियाँ आपके साथ रहकर प्रतिदिन आपकी सेवा करती हैं और मंगल आनंद को प्राप्त करती हैं।

रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा।

आप सभी के जीवन में रस व प्रेम की आधार हैं, राधा नाम से ही अत्यंत सुख की प्राप्ति होती है।

अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशदिन ब्रज भूपा।

आपका स्वरुप अद्वितीय, अकल्पनीय है और हम सभी ब्रज भूमि में दिन-रात आपका ध्यान करते हैं।

उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा रमा ब्रह्मानी।

आपके अंश से ही करोड़ों पार्वती, लक्ष्मी व सरस्वती का उदय होता है जो कि गुणों की खान है।

नित्यधाम गोलोक विहारिनी, जन रक्षक दुख दोष नसावनि।

आप गोलोक में विचरण करती हैं और सभी के दुखों, दोषों का नाश कर उनकी रक्षा करती हैं।

शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पायें शेष अरु शारद।

शिव, अज, मुनि, सद्पुरुष, नारद मुनि, शेषनाग, माँ शारदा इत्यादि भी आपको पार ना पा सके।

राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन्न होत बनवारी।

आपके रूप को देखकर तो स्वयं श्री कृष्ण भी प्रसन्न हो उठते हैं।

ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

ब्रज क्षेत्र की आप ही जीवनदायनी हो और आपकी महिमा का वर्णन नही किया जा सकता है।

प्रीतम संग देई गलबाँही, बिहरत नित्य वृन्दावन माँही।

आप अपने प्रेमी श्रीकृष्ण के साथ वृंदावन की गलियों में प्रतिदिन विचरण करती हैं।

राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा।

राधा कृष्ण का नाम लेती रहती हैं तो कृष्ण राधा का। आप एक रूप व दो शरीर में भी प्रेम का परिचय देते हैं।

श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी।

राधा का नाम ही मन को मोह लेने वाला है और उनके द्वारा सभी को सुख की प्राप्ति होती है व मन प्रसन्न रहता है।

कोटिक रूप धरें नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा।

नंद नंदा करोड़ों रूप धरकर आपके दर्शन हेतु आते हैं।

रास केलि करि तुम्हें रिझावें, मान करौ जब अति दुख पावें।

कान्हा रासलीला रचाकर आपको मनाते हैं और जब आप नही मानती हैं तब वे बहुत दुखी होते हैं।

प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भाँति नित विनय सुनावें।

जब आप प्रसन्न होकर कान्हा को दर्शन देती हो तब वे आपको अपनी कई विनतियां सुनाते हैं।

वृन्दारण्य बिहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा।

वृदावन में विचरण करने वाली और श्याम की प्रिय, राधा का नाम लेने मात्र से ही सभी काम बन जाते हैं।

कोटिन यज्ञ तपस्या करहू, विविध नेम व्रत हिय में धरहू।

मैं करोड़ों यज्ञ व तपस्या करता हूँ, कई तरह के व्रत भी रखता हूँ।

तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें, जब लगि राधा नाम न गावे।

लेकिन श्रीकृष्ण भगवान तब तक अपने भक्तों की बात नही सुनते जब तक हम राधा का नाम ना ले लें।

वृन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला बपु तब अमित अगाधा।

आप ही वृंदावन की स्वामिनी हो और आपकी लीला अपरंपार है जिसका कोई मोल नही है।

स्वयं कृष्ण पावैं नहिं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा।

स्वयं भगवान श्री कृष्ण भी आपको पार नही सके और तुम्हें जानते रहे।

श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सारद गान करत नित वेदा।

राधा नाम का रस अद्वितीय है और इसी का गुणगान वेद भी करते हैं।

राधा त्यागि कृष्ण को भेजिहैं, ते सपनेहु जग जलधि न तरिहैं।

जो कोई भी राधा के बिना श्री कृष्ण का नाम लेता है, वह स्वपन में भी भवसागर को पार नही कर सकता है।

कीरति कुँवरि लाड़िली राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।

हे माता राधा, आपको याद करने मात्र से ही सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है।

नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरि मन भावन।

आपके द्वारा हर अमंगल का नाश हो जाता है और आपका ताप तीनों लोकों में हरि के मन को भाता है।

राधा नाम लेइ जो कोई, सहजहि दामोदर बस होई।

जो कोई भी राधा का नाम लेता है उसे सहज ही कृष्ण भगवान की प्राप्ति होती है।

राधा नाम परम सुखदाई, भजतहिं कृपा करहिं यदुराई।

राधा नाम अत्यंत सुख देने वाला है और जो इसके भजन करता है उस पर सदैव मातारानी की कृपा दृष्टि रहती है।

यशुमति नंदन पीछे फिरिहैं, जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं।

जो कोई भी माँ राधा का नाम लेता है, उनका काम स्वयं यशोदा नंदन श्री कृष्ण कर देते हैं।

राम विहारिन श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी।

कृष्ण की प्यारी व बरसाना में जन्मी श्री राधा, अब हम सभी के ऊपर अपनी कृपा करो।

वृंदावन है शरण तिहारौ, जय जय जय वृषभानु दुलारी।

हम सभी वृंदावन में आपकी शरण में हैं, हे वृषभानु की पुत्री आपकी जय हो।

॥ दोहा ॥

श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम।
करहुँ निरंतर बास मैं, श्री वृंदावन धाम॥

हे सर्वत्र विद्यमान माता राधा, प्रेम की स्वामिनी, श्याम की प्रिय, बस मुझ पर इतनी कृपा करो कि मेरा निवास सदैव के लिए वृंदावन धाम हो जाए।

इस तरह से आज आपने श्री राधा चालीसा लिरिक्स (Radha Chalisa Lyrics In Hindi) को हिंदी में अर्थ सहित पढ़ लिया है। अब हम आपको बताएँगे कि माता राधा की चालीसा पढ़ने से क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं और उसका क्या महत्व है।

श्री राधा चालीसा का महत्व

माता राधा को कई नाम से जाना जाता है। जैसे कि राधिका, वृषभानुसुता, बरसाने की छोरी, किशोरी, श्यामा, माधवी, राधारानी, श्रीजी इत्यादि। उनके इन नामो में ही उनका महत्व छुपा हुआ है। श्री राधा चालीसा के माध्यम से हम माता राधा के गुणों और महिमा के बारे में जान पाते हैं। राधा जी श्रीकृष्ण की प्रेमिका ही नहीं अपितु स्वयं नारायण अवतार थी।

इसका उल्लेख स्वयं श्रीकृष्ण ने राधिका से किया है। उन्होंने राधा से कहा था कि जब हम दोनों एक ही है तो फिर किस बात का बिछड़ना। द्वापर युग में माता राधा नारायण अवतार ही थी जबकि माता लक्ष्मी रुक्मिणी के रूप में इस धरती पर आई थी। इस तरह से राधा जी की चालीसा करने से हमें श्रीकृष्ण का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। यही श्री राधा चालीसा का महत्व है।

राधा चालीसा के लाभ

श्री राधा चालीसा करने से हमें कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला लाभ तो यहीं है कि इस एक चालीसा के माध्यम से हम ना केवल माता राधा बल्कि भगवान श्रीकृष्ण को भी प्रसन्न करते हैं। श्रीकृष्ण को जो शब्द सबसे अधिक प्रिय है, वह राधे राधे ही है। ऐसे में उन्हीं माता राधा की चालीसा करने से श्रीकृष्ण तो प्रसन्न होंगे ही।

राधा चालीसा करने से आपका अपने जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर होता है। यदि आपके प्रेम प्रसंग या वैवाहिक जीवन में कोई समस्या चल रही है तो वह दूर होती है। विवाह के लिए उचित जीवनसाथी को खोज रहे हैं तो वह भी पूरी हो जाती है। साथ ही राधा जी की कृपा से आपके सभी संकट भी दूर होने लगते हैं। यहीं राधा चालीसा के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने राधा चालीसा हिंदी में (Radha Chalisa In Hindi) अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने राधा चालीसा के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। अब यदि आप इस लेख पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं या अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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