रामायण में मारीच कौन था (Marich Kaun Tha) व उसने सीता हरण में रावण की किस प्रकार सहायता की? आपने रामायण में सोने के हिरण वाले प्रसंग के बारे में सुन ही रखा होगा क्योंकि इसी हिरण के कारण माता सीता का हरण हो जाता है। तो माता सीता को सोने के हिरण से आकर्षित करने वाला यही मारीच था। इसी ने ही मरते समय श्रीराम की आवाज में लक्ष्मण को सहायता के लिए पुकारा था। इसी षड्यंत्र के तहत ही रावण माता सीता का हरण करने में सफल हो पाया था।
किन्तु क्या आप मारीच के जीवन (Marich In Hindi) के बारे में जानते हैं। जैसे कि मारीच किसका पुत्र था या फिर मामा मारीच कहाँ का रहने वाला था इत्यादि!! इसलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको मारीच के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
Marich Kaun Tha | मारीच कौन था?
सबसे पहले हम मारीच के जन्म के बारे में जान लेते हैं। एक समय में यक्षों के राजा सुकेतु ने भगवान ब्रह्मा से एक बलवान संतान मांगी। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें ताड़का नाम की पुत्री दी जिसमें हज़ार हाथियों के बराबर शक्ति थी। इस तरह से ताड़का जन्म से यक्षिणी थी जिसका विवाह सुंद से हुआ जो कि राक्षस था। सुंद से ताड़का को दो पुत्र हुए जिनके नाम सुबाहु व मारीच थे। इस तरह से मारीच ताड़का व सुंद का पुत्र था।
बहुत लोगों को यह पता नहीं होगा कि मारीच ताड़का का पुत्र था जिसका वध श्रीराम ने किया था। एक तरह से श्रीराम ने ना केवल ताड़का का बल्कि मारीच का भी वध किया था। अब मारीच जन्म से तो राक्षस व यक्ष दोनों था लेकिन फिर वह पूर्ण रूप से राक्षस (Marich Kon Tha) कैसे बन गया? इसके पीछे भी एक कहानी है जो आपको जाननी चाहिए। आइए मारीच के राक्षस बनने की कहानी जान लेते हैं।
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Marich Kon Tha | मारीच राक्षस
चूँकि मारीच का पिता सुंद राक्षस प्रवृत्ति का था। इस कारण वह ऋषि-मुनियों को बहुत तंग किया करता था और आए दिन उनके यज्ञ में बाधा डालता था। जहाँ वह रहता था, वहीं पर अगस्त्य मुनि का भी आश्रम था जो बहुत ही शक्तिशाली थे। एक दिन महर्षि अगस्त्य ने सुंद के कर्मों से तंग आकर उसे जलाकर भस्म कर दिया।
जब ताड़का को यह पता चला तो वह अपने दोनों पुत्रों के साथ अगस्त्य मुनि को मारने के लिए उनके आश्रम पहुँच गई। महर्षि अगस्त्य एक महिला और दो बच्चों का वध नहीं करने चाहते थे। इसलिए उन्होंने उन्हें वापस लौट जाने को कहा लेकिन जब वे नहीं माने तो क्रोध में आकर ऋषि ने उन तीनों को पूर्ण रूप से राक्षस बन जाने का श्राप दिया। इसके बाद ताड़का, मारीच व सुबाहु तीनों ही नरभक्षी राक्षस बन गए थे।
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मामा मारीच कहां का रहने वाला था?
बहुत लोगों के मन में यह भी शंका रहती है कि जब मारीच ताड़का के साथ रहता था तो फिर वह दक्षिण में रावण के पास कैसे पहुँचा। तो इसका रहस्य भी हम आपको बता देते हैं। दरअसल पहले तो मारीच अगस्त्य मुनि के आश्रम के पास अपने परिवार सहित रहता था। फिर जब एक दिन अगस्त्य ऋषि ने उसके पिता का वध कर दिया और उसको उसकी माता व भाई सहित राक्षस बना दिया, तो वे सभी वहाँ से चले गए।
इसके बाद मारीच अयोध्या के निकट सरयू नदी के किनारे आकर रहने लगा। राक्षस प्रवृत्ति का होने के कारण उन्होंने वहाँ भी ऋषि-मुनियों को सताना शुरू कर दिया। वहाँ ताड़का और उसके पुत्रों का आतंक इतना अधिक बढ़ गया था कि वन के उस क्षेत्र को ताड़का वन के नाम से जाना जाने लगा। आए दिन ताड़का, मारीच और सुबाहु ऋषि-मुनियों की हत्या कर देते और उन्हें खा जाते थे।
वहीं पर महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। उन्होंने किसी की भी हत्या नहीं करने की प्रतिज्ञा ली हुई थी। इस कारण वे अयोध्या से सहायता मांगने गए और महाराज दशरथ ने श्रीराम व लक्ष्मण को उनके साथ भेजा। श्रीराम ने ही ताड़का व सुबाहु का वध किया था और फिर मारीच को दूर समुंद्र के पास फेंक दिया था। यही मारीच आगे चलकर सीता हरण का प्रमुख कारण बना था। आइए जाने मारीच की रामायण में क्या भूमिका रही थी।
Marich In Hindi | मारीच रामायण
अगस्त्य मुनि से मिले श्राप के फलस्वरूप मारीच अपनी माँ ताड़का के साथ अयोध्या के निकट सरयू किनारे एक वन में आकर रहने लगा। अब वह प्रतिदिन अपनी माँ व भाई के साथ मिलकर वहाँ के ऋषि मुनियों को तंग करता था व उनके यज्ञ में बाधा पहुँचाता था। उसी वन में ऋषि विश्वामित्र भी रहते थे जो उनके प्रकोप से परेशान थे। इसी कारण वे अयोध्या के राजकुमारों श्रीराम व लक्ष्मण को अपने साथ सुरक्षा के लिए लेकर आए।
जब ऋषि विश्वामित्र यज्ञ कर रहे थे तब मारीच अपने भाई सुबाहु के साथ उनका यज्ञ विध्वंस करने वहाँ आ पहुँचा। वहाँ पहले से ही भगवान श्रीराम व लक्ष्मण उनके यज्ञ की सुरक्षा कर रहे थे। यह देखकर उन दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। उस युद्ध में मारीच का भाई सुबाहु मारा गया व वह स्वयं बाण के आघात से दूर समुंद्र में जाकर गिरा। इसके पश्चात उसकी माँ ताड़का का भी वध हुआ।
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मारीच रावण संवाद
भगवान श्रीराम व लक्ष्मण से युद्ध में बुरी तरह पराजित होने के पश्चात मारीच ने सभी तरह के बुरे कर्मों को त्याग दिया था व एक साधु बन गया था। अब वह वहीं समुंद्र किनारे भगवान शिव की स्तुति करता था व भक्ति में मगन रहता था। एक दिन रावण माता सीता का अपहरण करने के उद्देश्य से मारीच से सहायता मांगने पहुँचा।
रावण का प्रस्ताव पाकर मारीच ने उसका विरोध किया व माता सीता का अपहरण व भगवान श्रीराम से बैर लेने को मना किया। यह सुनकर रावण अत्यंत क्रोधित हो गया व मारीच के द्वारा सहायता ना किए जाने पर उसे मारने तक की धमकी दे डाली। मारीच ने जब सोचा कि अब रावण को समझाने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा तब वह उसकी सहायता करने को तैयार हो गया।
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मारीच का सुंदर मृग बनना
इसके बाद मारीच रावण के पुष्पक विमान में बैठकर पंचवटी के वनों में गया, जहाँ भगवान राम की कुटिया थी। मारीच ने अपनी मायावी शक्तियों से एक सुंदर मृग का रूप धारण किया व उनकी कुटिया के आसपास विचरण करने लगा। माता सीता ने जब उसे देखा तो भगवान राम को उसे अपने लिए लाने को कहा। सीता के आग्रह पर भगवान श्रीराम मारीच को लेने के लिए निकल पड़े।
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मारीच वध
भगवान राम उसे लेने के लिए दौड़े तो वह भागने लगा। भागते-भागते वह उन्हें बहुत दूर ले गया व अंत में भगवान राम ने अपने धनुष बाण से उसका वध कर दिया। मरते हुए मारीच अपने असली रूप में आ गया व भगवान राम की आवाज़ में जोर-जोर से अपने प्राणों की रक्षा के लिए चिल्लाने लगा। इसी तरह मारीच ने अपने प्राण त्याग दिए। दूसरी ओर, लक्ष्मण माता सीता के हठ करने पर अपने बड़े भाई की सहायता के लिए निकल पड़े। पीछे से माता सीता को अकेला पाकर रावण ने उनका अपहरण कर लिया।
इस तरह से आपने यह जान लिया है कि मारीच कौन था (Marich Kaun Tha) और किस तरह से उसने माता सीता का अपहरण करवाने में रावण की सहायता की थी। मारीच चाहे तो रावण के हाथों मर सकता था लेकिन उसने श्रीराम के हाथों मरकर स्वयं का उद्धार करवा लिया था।
मारीच से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मारीच कौन था in hindi?
उत्तर: मारीच ताड़का व सुंद का छोटा पुत्र था जिसका वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था। उसी ने ही सीता हरण करवाने में रावण की सहायता की थी।
प्रश्न: मारीच ने रावण को क्या समझाया?
उत्तर: मारीच ने रावण को समझाया कि उसे माता सीता का हरण नहीं करना चाहिए। यदि वह सच में बदला लेना चाहते हैं तो उसे श्रीराम व लक्ष्मण से युद्ध करना चाहिए।
प्रश्न: मारीच रावण का कौन था?
उत्तर: मारीच रावण का मामा लगता था। वह उसकी माता कैकसी का भाई था जिस कारण वह रावण का मामा हुआ।
प्रश्न: मारीच कौन था रावण उसके पास किस उद्देश्य से गया था?
उत्तर: मारीच एक राक्षस था जो ताड़का का पुत्र था। रावण उसके पास माता सीता का हरण करने के उद्देश्य से सहायता मांगने के लिए गया था।
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