वृंदावन के मंदिर (Vrindavan Ke Mandir) केवल मंदिर नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के परम धाम हैं। वृंदावन का नाम आते ही भगवान कृष्ण की लीलाएं हमारे सामने आ जाती है। श्री कृष्ण ने अपना बचपन यहीं वृंदावन नगरी में व्यतीत किया था और रासलीला रचाई थी। यहीं पर भगवान श्री कृष्ण की प्रेम कहानी भी शुरू हुई। यह नगरी मथुरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है जो ब्रज भूमि के अंदर आती है।
यदि आप वृंदावन की यात्रा करने का सोच रहे हैं तो आज हम आपको वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर (Vrindavan Ke Pramukh Mandir) व स्थलों के बारे में बताएँगे। ऐसे में जब आप अगली बार वृंदावन यात्रा पर जाएं, तो हमारे द्वारा दी गई वृंदावन के प्रमुख मंदिरों की सूची अपने साथ रखना ना भूलें।
वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर
आप सभी ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के बारे में तो सुन ही रखा होगा। दरअसल यह वृंदावन का कृष्ण जी को समर्पित प्रमुख मंदिर है। वैसे तो वृंदावन की हरेक गली में एक मंदिर है लेकिन उनमें से कुछ प्रमुख मंदिर भी हैं जैसे कि रंगजी महल, प्रेम मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर इत्यादि।
बहुत से भक्तगण बांके बिहारी के अलावा 2 से 3 मंदिरों के बारे में जानते हैं जिस कारण अन्य प्रमुख मंदिर के दर्शन करने रह जाते हैं। इसलिए आज हम आपके साथ मथुरा वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों (Vrindavan Ke Pramukh Mandir) की एक लिस्ट रखने जा रहे हैं जिसमें आपको वहां के 10 प्रमुख मंदिरों के नाम और उनके बारे में संक्षेप में जानने को मिलेगा।
#1. बांके बिहारी मंदिर
यह वृंदावन में स्थित सबसे मुख्य मंदिरों में से एक है जिसका रास्ता संकरी गलियों से होकर गुजरता है। यहाँ आपको मुख्य गर्भगृह में भगवान कृष्ण की काले रंग की मूर्ति राधारानी के साथ मिलेगी। भगवान कृष्ण की मूर्ति इतनी मनमोहक है कि यहां के पंडित कुछ कुछ क्षण में कृष्ण जी की मूर्ति को पर्दा करते रहते हैं ताकि किसी की नजर कृष्ण जी को ना लगे।
बांके का अर्थ होता है तीन जगह से मुड़ा हुआ व बिहारी का अर्थ मस्ती में रहने वाला। यहाँ श्री कृष्ण को बांके बिहारी या ठाकुर जी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर हमेशा श्रद्दालुओं से भरा रहता है। इसलिए यहाँ आपको अपने सामान जैसे कि मोबाइल, पर्स इत्यादि का ध्यान रखना चाहिए।
#2. गोविंद देव जी मंदिर
यह वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में एक ऐसा मंदिर है जो बहुत ही पुराना है जिसका ऐतिहासिक महत्व भी है। गोविंद देव जी मंदिर को राजा मानसिंह द्वारा बनाया गया था। यह 7 मंजिला मंदिर था जिसे लाल पत्थरों के द्वारा बनाया गया था। हालाँकि कई बार आक्रांता औरंगजेब द्वारा यहाँ पर हमला करवाया गया था और इस मंदिर को बुरी तरह तोड़ दिया गया था। वर्तमान में यह मंदिर 3 मंजिल का ही बचा है जहाँ पर भगवान कृष्ण के भक्त आते हैं।
यह मंदिर आज भी अपने में पुरानी स्थापत्य कला को समेटे हुए है जहाँ आपको अद्भुत शैली व नक्काशी देखने को मिलेगी। बहुत सारे पर्यटक यहाँ फोटोज खिंचवाने भी आते हैं। यह वृंदावन में स्थित एक ऐसा सुंदर मंदिर है जहाँ भीड़ भी ज्यादा नही होती है।
#3. प्रेम मंदिर
आधुनिकता का परिचय देता यह मंदिर बहुत ही विशाल व सुंदर है। यह वृंदावन का सबसे बड़ा व आधुनिक शैली में बना मंदिर है। इस मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता इसका रंग बदलते रहना है। यदि आप प्रेम मंदिर में दिन ढ़लने के बाद जाएंगे तो आपको इस मंदिर की अद्भुत सुंदरता देखने को मिलेगी।
यहाँ हर मिनट में विभिन्न प्रकार की रोशनी करके मंदिर का रंग बदला जाता है। साथ ही यहाँ शाम में वॉटर शो का आयोजन भी किया जाता है जहाँ आप कृष्ण भगवान की लीलाएं देख सकते हैं। इसके साथ ही मंदिर के विशाल प्रांगन में आपको कान्हा के जीवन से जुड़ी विभिन्न कथाओं का रूपांतरण देखने को मिलेगा जिसे दिखाने के लिए हिलती हुई विशाल मूर्तियाँ यहाँ लगाई गई हैं।
#4. कृष्ण बलराम मंदिर या इस्कॉन मंदिर
यह इस्कॉन संस्था के द्वारा वृंदावन में बनाया गया भगवान कृष्ण को समर्पित एक अनोखा मंदिर है जहाँ आप भगवान कृष्ण के सुंदर भजनों में रम सकते हैं। यहाँ सदैव हरे कृष्णा हरे राम का जाप होता रहता है जो इतना मधुर होता है कि आपका यहाँ से जाने का मन ही नही करेगा।
इसके साथ ही इस मधुर धुन पर आपको कई भक्तजन झूमते हुए भी यहाँ दिखाई देंगे। मंदिर के अंदर आपको साफ-सफाई भी पूरी मिलेगी व साथ में आप मंदिर के अंदर अन्य चीज़े भी देख सकते हैं। वृंदावन के मंदिर (Vrindavan Ke Mandir) अपने आप में विशिष्ट हैं जिनमें से यहाँ का इस्कॉन मंदिर अपनी एक अलग पहचान रखता है।
#5. रंगजी महल या निधिवन
यह वही स्थल है जहाँ भगवान श्री कृष्ण माता राधा व अन्य गोपियों के साथ रासलीला रचाते थे। यहीं बैठकर कृष्ण जब अपनी बांसुरी बजाते थे तब आसपास के गांवों से सब गोपियाँ इस मधुर धुन को सुनकर आ जाती थी। यह स्थल अब एक विशाल जंगल है जहाँ पर आपको असंख्य पेड़ दिखाई देंगे।
आमतौर पर हर पेड़ की शाखा नीचे से ऊपर की ओर जाती है किन्तु यहाँ पेडों की शाखाएं ऊपर से नीचे की ओर जाती है। कहते हैं यही पेड़ रात में गोपियाँ बन जाते हैं जिनके साथ भगवान कृष्ण आज भी रासलीला रचाते हैं। सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहाँ जाने की मनाही है। इसके अलावा यहाँ आपको रंगजी महल व ललिता कुंड भी देखने को मिलेगा।
#6. रंगनाथ मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप श्री रंगनाथ जी को समर्पित है जिसे रंगजी मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया एक विशाल मंदिर है। यहाँ पर भगवान विष्णु अपने शेषनाग पर लेटे हुए हैं व माँ लक्ष्मी उनके साथ हैं। यह 50 फीट ऊँचा मंदिर है जहाँ हर वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने में उत्सव का आयोजन किया जाता है।
वृंदावन में वैसे तो कई मंदिर व दर्शनीय स्थल हैं लेकिन ज्यादातर मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बनाए गए हैं जबकि इस मंदिर को दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है। इसे देखकर सभी को भारत की उन्नत स्थापत्यकला व विविधता का अनुभव होता है।
#7. राधा रमण मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी के द्वारा करवाया गया था। राधा रमण का अर्थ माता राधा को खुशी देने वाले से है अर्थात भगवान श्री कृष्ण। इस मंदिर में स्वयं गोपाल भट्ट की समाधि भी है। हर वर्ष राधा रमण मंदिर में भी लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं और अपना शीश झुकाते हैं।
यह मंदिर निधिवन के पास ही स्थित है। इस मंदिर की मान्यता गोस्वामियों जिन्हें गौड़िया वैष्णव भी कहा जाता है, उनके अंदर बहुत है। ऐसे में इस समाज से संबंध रखने वाले या निधिवन घूमने आने वाले लोग राधा रमण मंदिर भी होकर आते हैं।
#8. पागल बाबा मंदिर
इसका नाम आपको अजीब लगा होगा लेकिन जब कभी भी वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर (Vrindavan Ke Pramukh Mandir) की बात होती है तो इस मंदिर का नाम अवश्य लिया जाता है। इस मंदिर के पीछे एक कथा प्रचलित है। दरअसल कुछ वर्षों पहले एक न्यायाधीश अपने पद से त्यागपत्र देकर वृंदावन आकर रहने लगे और प्रतिदिन वे भगवान कृष्ण को वहां की गलियों में ढूंढते। इसी कारण वहां के लोग उन्हें पागल बाबा के नाम से बुलाने लगे।
कहते हैं कि एक दिन उन्हें भगवान श्री कृष्ण के दर्शन भी हुए। उनकी भक्ति देखकर लोगों ने कृष्ण भगवान का वहां एक बहुत सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया और उसका नाम पागल बाबा मंदिर रखा। आपको यहाँ जाकर मन की शांति का अनुभव होगा व यह मंदिर वृंदावन के बाकि मंदिरों से बहुत अलग है। मथुरा वृंदावन के मंदिर में से यह एक ऐसा मंदिर है जिसे देखने दूर-दूर से भक्तगण आते हैं।
#9. कात्यायनी पीठ
यह माता रानी के 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ है जो श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है। नवरात्रों के समय यहाँ मुख्य पूजा की जाती है जो यहाँ आने वाले भक्तों के बीच प्रसिद्ध है। माँ कात्यायनी को नवदुर्गा के छठे रूप में पूजा जाता है।
भगवान शिव की प्रथम पत्नी के द्वारा यज्ञ कुंड की अग्नि में भस्म हो जाने के बाद उनके शरीर के अंगों से 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था जिसमें से एक शक्तिपीठ वृंदावन में भी स्थित है। इस शक्तिपीठ पर माँ सती के केश गिरे थे और उसके बाद से ही यह स्थल पूजनीय बन गया था।
#10. माता वैष्णो देवी मंदिर
यह मंदिर भी वृंदावन आने वालों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और यहाँ की प्रसिद्धि का मुख्य आकर्षण है माता दुर्गा की विशाल मूर्ति जो अपने शेर पर विराजमान है। इनके दर्शन आपको बहुत दूर से ही हो जाएंगे और भक्तों के बीच भी यह आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
वैष्णो धाम की तर्ज पर ही यहाँ पर भी पवित्र गुफा का निर्माण किया गया है जो आपको वृंदावन में ही वैष्णो धाम जाने की अनुभूति करवाएगा। इस गुफा में नवरात्रों की 9 देवियों के दर्शन करने को मिलते हैं जो कि अपने आप में ही अद्भुत है।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर (Vrindavan Ke Mandir) और दर्शनीय स्थलों के बारे में जान लिया है। ऊपर बताए गए सभी मंदिरों का अपना अलग महत्व है जिनमें से बांके बिहारी जी मंदिर का आकर्षण व महत्व सबसे अधिक है। एक तरह से दूर-दूर से करोड़ों भक्तों को वृंदावन नगरी की ओर आकर्षित करने का काम बांके बिहारी मंदिर का ही है।
इनके अलावा वृंदावन में और भी कई अन्य मंदिर प्रसिद्ध हैं जहाँ आप जा सकते हैं जैसे कि मुंगेर राज मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, जयपुर मंदिर, गिरधारी मंदिर, मीराबाई मंदिर, पुराना राधा कृष्ण मंदिर इत्यादि। वैसे यदि आप वृंदावन की गलियों में घूमेंगे तो आपको हर गली हर घर में एक ना एक मंदिर मिल जाएगा।
वृंदावन के मंदिर से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से हैं?
उत्तर: वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर व रंग महल मंदिर है। इनके अलावा माँ कात्यायनी शक्तिपीठ व वैष्णो मंदिर भी प्रसिद्ध है।
प्रश्न: वृंदावन में मुझे कौन सा मंदिर जाना चाहिए?
उत्तर: वृंदावन का सबसे प्रमुख व महत्वपूर्ण मंदिर बांके बिहारी जी का मंदिर है। यदि आप वृंदावन यात्रा पर हैं तो आपको अवश्य ही बांके बिहारी मंदिर होकर आना चाहिए।
प्रश्न: वृंदावन कब जाना चाहिए?
उत्तर: वृंदावन किसी भी समय जाया जा सकता है। मुख्य तौर पर भक्तगण होली, जन्माष्टमी व राधाष्टमी के त्यौहार पर वृंदावन आते हैं।
प्रश्न: वृंदावन में कुल कितने मंदिर है?
उत्तर: वृंदावन की हरेक गली में एक मंदिर है। ऐसे में यहाँ छोटे व बड़े मंदिर मिलाकर हजारों मंदिर हो जाते हैं।
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