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Ramayan Ji Ki Aarti

आज हम आपको रामायण जी की आरती (Ramayan Ji Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित देने जा रहे हैं। रामायण एक ऐसी कथा है जिसको मनुष्य आत्मसात कर ले तो उसका उद्धार हो जाए। यह मानवीयता की पराकाष्ठा है जो हमें त्याग, प्रेम, भक्ति इत्यादि उच्च मानवीय भावनाओं की धर्म शिक्षा देकर जाती है।

इस लेख में आपको आरती श्री रामायण जी की PDF फाइल व इमेज भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं और जब मन चाहे, तब रामायण आरती का पाठ (Ramayan Aarti) कर सकते हैं। आइए पढ़ते हैं श्री रामायण जी की आरती अर्थ सहित।

Ramayan Ji Ki Aarti | श्री रामायण जी की आरती अर्थ सहित

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥

हम सभी आरती श्री रामायण जी की पाठ करते हैं। रामायण कथा के माध्यम से श्रीराममाता सीता की मनोहर कथा व उनकी कीर्ति का वर्णन किया गया है।

गावत ब्रहमादिक मुनि नारद।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥

इस रामायण आरती व ग्रंथ का पाठ तो स्वयं भगवान ब्रह्मा और नारद मुनि भी अपने मुख से करते हैं। महर्षि वाल्मीकि जी ने भगवान ब्रह्मा जी के आशीर्वाद स्वरुप अपने ज्ञान से रामायण ग्रंथ की रचना की थी।

शुक सनकादिक शेष अरु शारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥

शुक, ब्रह्मा के चारों पुत्र अर्थात चारों वेद, शेषनाग व शारदा माता भी पवन पुत्र हनुमान की कीर्ति का वर्णन करते हैं। हनुमान भगवान शिव के अंशावतार थे जो बुद्धि व शक्ति दोनों में ही सर्वश्रेष्ठ थे।

गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस॥

चारों वेद, अठारह पुराण, छह शस्त्र व सभी ग्रंथों का रस इस रामायण में छिपा हुआ है। एक तरह से रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जो सभी ग्रंथों की शिक्षाओं को अपने अंदर समेटे हुए है।

मुनि जन धन संतान को सरबस।
सार अंश सम्मत सब ही की॥

रामायण आरती के माध्यम से यह बताया गया है कि रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जो सभी के लिए लिखा गया है। यह ग्रंथ इस पृथ्वी के हरेक प्राणी को उच्चतम शिक्षा प्रदान करता है।

गावत संतत शंभु भवानी।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥

रामायण जी की आरती को तो स्वयं भगवान शिव, माँ भवानी व सभी संतजन मिलकर गाते हैं। सूर्य देव को भी इससे प्रकाश मिलता है और यह मुनिजनों की ही भाषा है।

ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की॥

रामायण की महिमा का वर्णन तो महर्षि वेदव्यास व कबीर के द्वारा भी किया गया है। कागभुशुंडी ने रामायण की कथा का पाठ स्वयं गरुड़ देवता के सामने किया था।

कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥

कलियुग में जिस व्यक्ति ने रामायण के भावों को समझ लिया, वह कलियुग के पापों से दूर हो जाता है। जो रामायण में श्रीराम के बताये गए आदर्शों पर चलेगा, अवश्य ही उसकी मुक्ति हो जाएगी और वह भवसागर पार कर जाएगा।

दलनि रोग भव मूरि अमी की।
तात मातु सब बिधि तुलसी की॥

रामायण आरती (Ramayan Aarti) के माध्यम से हमारे हर तरह के रोग व दोष दूर हो जाते हैं। हम सभी पर माता तुलसी जी की कृपा बरसती है और हमारा उद्धार हो जाता है।

रामायण आरती इमेज

यह रही रामायण आरती की इमेज:

Aarti Shri Ramayan Ji Ki
Aarti Shri Ramayan Ji Ki

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आरती श्री रामायण जी की PDF | Aarti Shri Ramayan Ji Ki PDF

अब हम Aarti Shri Ramayan Ji Ki PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: आरती श्री रामायण जी की PDF

ऊपर आपको लाल रंग में आरती श्री रामायण जी की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री रामायण जी की आरती अर्थ सहित (Ramayan Ji Ki Aarti) पढ़ ली हैं। यदि आपको आरती श्री रामायण जी की PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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