रामायण में अतिकाय कौन था (Atikay Kaun Tha) जिसका सतयुग के कैटभ राक्षस से भी संबंध था? दरअसल जब राम-रावण युद्ध में रावण के छोटे भाई कुंभकरण की मृत्यु हो गई थी तब रावण उसकी मृत्यु से बहुत दुखी था। ऐसे समय में उसने अपने पुत्र अतिकाय को युद्ध के लिए भेजा था।
अतिकाय ने युद्धभूमि में पहुँचकर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को चुनौती दी थी कि जिस प्रकार उसके पिता अपने छोटे भाई कुंभकरण की मृत्यु में पीड़ित हैं, उसी प्रकार वह लक्ष्मण का वध करके श्रीराम को तड़पते हुए देखना चाहता है। लक्ष्मण ने उससे युद्ध करने की चुनौती स्वीकार कर ली जिसके परिणाम स्वरुप अतिकाय का वध (Atikay Vadh) हो सका था।
Atikay Kaun Tha | रामायण में अतिकाय कौन था?
अतिकाय रावण व उसकी दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का पुत्र था जो अति-शक्तिशाली और मायावी राक्षस था। अपने पूर्व जन्म में वह महा दैत्य कैटभ था जिसने वैकुण्ठ पर चढ़ाई करके स्वयं भगवान विष्णु तक को चुनौती दी थी। इस जन्म में भी अतिकाय महा-शक्तिशाली व पराक्रमी था जिसने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव से युद्ध किया था।
भगवान शिव ने क्रोधित होकर अतिकाय पर अपने त्रिशूल से प्रहार किया था लेकिन उससे भी अतिकाय का कुछ नहीं हुआ था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे धनुर्विद्या का ज्ञान दिया था जिससे अतिकाय अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। इसके बाद उसकी भूमिका रामायण में राम-रावण युद्ध के समय देखने को मिलती है जब वह अपने पिता रावण की आज्ञा पाकर लक्ष्मण को चुनौती देने युद्धभूमि में पहुँचा था ।
जब लक्ष्मण अतिकाय से युद्ध (Lakshman Atikaya Yudh) करने के लिए युद्धभूमि में पहुँचे तब उनका सामना पहले दारुक राक्षस से हुआ। इस युद्ध में लक्ष्मण ने दारुक का मस्तक काटकर अलग कर दिया। इसी बीच अंगद ने रावण पुत्र नरान्तक तथा निकुंभ, हनुमान ने देवांतक तथा त्रिशरा, सुग्रीव ने सेनापति अकम्पन तथा कुंभ का वध कर डाला।
Lakshman Atikaya Yudh | लक्ष्मण अतिकाय युद्ध
दूसरी ओर लक्ष्मण तथा अतिकाय के बीच भीषण युद्ध शुरू हो चुका था। युद्ध के बीच में ही अतिकाय माया से अपने रथ को आकाश में ले गया तथा वहाँ से लक्ष्मण पर आक्रमण करने लगा। तब हनुमान ने लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठकर युद्ध करने के लिए कहा। शुरू में तो लक्ष्मण ने मना किया लेकिन बाद में वे मान गए। लक्ष्मण हनुमान के कंधे पर बैठे तथा हनुमान उन्हें आकाश में लेकर उड़ गए।
अब आकाश में ही अतिकाय तथा लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध शुरू हो चुका था लेकिन अतिकाय को मारना बहुत मुश्किल था। आकाश में देव इंद्र यह सब देख रहे थे। तब उन्होंने वायु देव को लक्ष्मण के पास भेजा ताकि अतिकाय की मृत्यु का रहस्य लक्ष्मण को बताया जा सके।
Atikay Vadh | अतिकाय वध
देव इंद्र से आज्ञा पाकर वायु देव युद्ध के बीच में लक्ष्मण के पास पहुँचे तथा उन्हें बताया कि अतिकाय को भगवान ब्रह्मा से सुरक्षा कवच मिला हुआ है जिससे उनके द्वारा चलाए गए किसी भी शक्तिबाण से उस कवच का भेदन होना असंभव है। इसलिए उन्होंने लक्ष्मण को अतिकाय का वध करने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाने का उपाय बताया।
वायु देव से उपाय जानकर लक्ष्मण ने ब्रह्मास्त्र का संधान किया तथा उसे अतिकाय पर छोड़ दिया। ब्रह्मास्त्र के लगते ही अतिकाय का कवच टूट गया तथा वह रथ सहित भूमि पर गिर पड़ा व अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार रावण पुत्र अतिकाय का वध (Atikaya Vadh) संभव हो सका था।
Atikaya Vadh से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: अतिकाय कितना शक्तिशाली था?
उत्तर: अतिकाय इतना शक्तिशाली था कि एक दिन उसने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव से युद्ध किया था। उस पर शिव त्रिशूल का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।
प्रश्न: अतिकाय कौन था और युद्ध भूमि में क्यों आया?
उत्तर: अतिकाय रावण का छोटा पुत्र था। वह युद्धभूमि में रावण के कहने और अपने चाचा कुंभकरण की मृत्यु का बदला लेने के लिए आया था।
प्रश्न: रामायण में रावण के कितने पुत्र थे?
उत्तर: रावण के कुल छह पुत्र थे। उनके नाम मेघनाद, अक्षय कुमार, अतिकाय, नरान्तक, देवांतक व त्रिशरा थे।
प्रश्न: रामायण में रावण का भाई कौन था?
उत्तर: रामायण में रावण के दो सगे भाई कुंभकरण व विभीषण थे जबकि चार सौतेले भाई खर, दूषण, अहिरावण व महिरावण थे।
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