आज हम आपके साथ ब्रह्मचारिणी माता की आरती (Brahmacharini Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। ब्रह्मचारिणी देवी नवदुर्गा का द्वितीय रूप है जो तपस्या का परिचायक है।
इस लेख में आपको मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आपको ब्रह्मचारिणी आरती का भावार्थ भी समझने में सहायता होगी। अंत में हम आपके साथ ब्रह्मचारिणी माता की आरती PDF फाइल, पाठ करने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं ब्रह्मचारिणी माता आरती।
Brahmacharini Mata Ki Aarti | ब्रह्मचारिणी माता की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने॥
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी॥
Maa Brahmacharini Aarti | मां ब्रह्मचारिणी की आरती – अर्थ सहित
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
भगवान ब्रह्मा का आचरण करने वाली और ब्रह्म तत्व में लीन रहने वाली तथा अम्बा माता का ही रूप माता ब्रह्मचारिणी की जय हो। भगवान ब्रह्मा की जय हो। ब्रह्मचारिणी माता हम सभी को सुख प्रदान करती हैं और उनकी जय हो। ब्रह्मचारिणी माता भगवान ब्रह्मा को बहुत प्रिय हैं और उनके मन को आनंद प्रदान करती हैं। वे अपनी शक्ति से सभी प्राणियों को ज्ञान देती हैं। एक तरह से वे सरस्वती माता की भूमिका में भी हैं जो हमें ज्ञान प्रदान करती हैं।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता॥
ब्रह्मचारिणी माता हमेशा ही ब्रह्मा मंत्र का जाप करती रहती हैं और उसी में ही लीन रहती हैं। ब्रह्मा मंत्र का जाप हम सभी भी करते हैं जिससे हमारा उद्धार हो जाता है। ब्रह्मचारिणी ही गायत्री मंत्र व वेदों की माता हैं और उनके कारण ही इनकी उत्पत्ति संभव हो पायी है। हम सभी मन से ब्रह्मचारिणी देवी का ध्यान करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने॥
हे माँ ब्रह्मचारिणी!! मेरी आपसे यही याचना है कि जो भी भक्तगण आपका ध्यान करे और आपकी महिमा का वर्णन करे, उसे किसी भी चीज़ की कमी ना हो, सभी प्रकार के दुःख उसके जीवन से चले जाएं और उसकी बुद्धि कभी भी भ्रष्ट ना हो। एक तरह से ब्रह्मचारिणी माता के भक्तों का कल्याण हो जाए और वे सुख के भागी बने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥
जो भी रुद्राक्ष की माला लेकर ब्रह्मचारिणी माता के नाम का जाप करता है, संपूर्ण श्रद्धा भाव के साथ ब्रह्मचारिणी मंत्र का जाप करता है और आलस्य का त्याग कर ब्रह्मचारिणी माता का गुणगान करता है, माँ उसे सभी प्रकार के सुख प्रदान करती हैं और उसका उद्धार कर देती हैं।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी॥
आपका नाम ब्रह्मचारिणी है और आप मेरे सभी तरह के काम बना देती हैं और उसमें आने वाली हर अड़चन को दूर कर देती हैं। हे माँ ब्रह्मचारिणी!! आपका यह भक्त आपके चरणों का ही ध्यान करता है और अब आप मेरे मान-सम्मान की रक्षा कीजिये।
ब्रह्मचारिणी माता की आरती PDF
अब हम ब्रह्मचारिणी आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: ब्रह्मचारिणी माता की आरती PDF
ऊपर आपको लाल रंग में ब्रह्मचारिणी माता की आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
ब्रह्मचारिणी आरती का महत्व
माँ ब्रह्मचारिणी का महत्व बताने और उनकी आराधना करने के लिए ही ब्रह्मचारिणी आरती की रचना की गयी है। ब्रह्मचारिणी शब्द दो शब्दों के मेल से बना होता है जिसमें ब्रह्म का अर्थ ब्रह्माण्ड के तत्वों से है जबकि चारिणी का अर्थ आचरण या व्यवहार करने से होता है। ऐसे में जो देवी ब्रह्माण्ड के तत्वों में लीन रहती हैं या उनका आचरण करती हैं उसे ब्रह्मचारिणी कहा गया है। यहाँ ब्रह्म तत्व में लीन रहने का अर्थ तपस्या या वैराग्य से है।
ऐसे में ब्रह्मचारिणी माता की आरती के माध्यम से माता ब्रह्मचारिणी के गुणों, शक्तियों तथा कर्मों के ऊपर प्रकाश डाला गया है। नवदुर्गा के इस द्वितीय रूप को क्यों प्रकट किया गया, उनकी उत्पत्ति के पीछे क्या उद्देश्य निहित थे तथा उससे मानव जाति को क्या संदेश मिलता है, इन्हीं सभी बातों को उजागर करने और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना करने के लिए ही ब्रह्मचारिणी देवी की आरती लिखी गयी है। यही माता ब्रह्मचारिणी की आरती का महत्व होता है।
ब्रह्मचारिणी आरती के लाभ
अब आपने ऊपर यह तो जान ही लिया है कि ब्रह्मचारिणी देवी को तपस्या में लीन रहने वाली देवी माना जाता है जो वैराग्य का संदेश देती हैं। इस तरह से यदि हम मां ब्रह्मचारिणी की आरती करते हैं और उनमें अपना ध्यान लगाते हैं तो वे हमारे मन को नियंत्रण में करने का मार्ग सुझाती हैं। यदि आपका स्वयं पर विश्वास अर्थात आत्म-विश्वास कमजोर है तो वह ब्रह्मचारिणी जी की तपस्या से मजबूत बनता है।
ब्रह्मचारिणी माता की कृपा से हमारा स्वाधिष्ठान चक्र मजबूत बनता है। इसके मजबूत बनने से हमारा स्वयं पर विश्वास दृढ होता है, कार्यों को तेज गति से करने की शक्ति आती है, सांसारिक वस्तुओं से आसक्ति कम होती है तथा लोगों से बात करने का साहस आता है। इस तरह से जो व्यक्ति प्रतिदिन ब्रह्मचारिणी आरती का पाठ करेगा, उसे जल्द ही यह सभी लाभ देखने को मिलेंगे।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने ब्रह्मचारिणी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Brahmacharini Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मां ब्रह्मचारिणी की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको ब्रह्मचारिणी माता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
ब्रह्मचारिणी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र क्या है?
उत्तर: ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र “दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥” है जिसका जाप आपको नवरात्र के दूसरे दिन निश्चित तौर पर करना चाहिए।
प्रश्न: मां ब्रह्मचारिणी को कौन सा कलर पसंद है?
उत्तर: मां ब्रह्मचारिणी को श्वेत व हरा कलर पसंद आता है। ऐसे में आप श्वेत या हरे रंग की वस्तुओं का भोग उन्हें लगायेंगे या वैसे ही वस्त्र धारण करेंगे तो मातारानी की कृपा आप पर बरसेगी।
प्रश्न: ब्रह्मचारिणी माता को क्या भोग लगता है?
उत्तर: ब्रह्मचारिणी माता को शक्कर बहुत प्रिय होती है। ऐसे में यदि आप उन्हें शक्कर का भोग लगाते हैं और सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं तो वे जल्दी प्रसन्न होती हैं।
प्रश्न: नवरात्रि के दूसरे दिन कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाता है?
उत्तर: नवरात्रि का दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी माता का दिन होता है और उस दिन उन्हें शक्कर का भोग लगाया जाता है। वह इसलिए क्योंकि ब्रह्मचारिणी को शक्कर सबसे अधिक प्रिय होती है।
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