आज हम आपको बताएँगे कि दिवाली कैसे मनाई जाती है (Diwali Kaise Manae Jaati Hai) और इस दिन आपको क्या कुछ करना होता है। दिवाली का त्यौहार तो हम हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाते हैं लेकिन इसकी तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है। दिवाली एक ऐसा त्यौहार हैं जिसे पूरे देश में मुख्य रूप से मनाया जाता हैं तथा इसमें हर पथ, संप्रदाय के लोग भाग लेते है।
दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार होता हैं जो हर घर से शुरू होकर एक सार्वजानिक कार्यक्रम में बदल जाता हैं अर्थात सामूहिक प्रयास से यह एक उत्सव का रूप ले लेता हैं। इसलिए आज हम जानेंगे कि दीपावली कैसे मनाई जाती है (Diwali Kaise Manate Hain) और उसकी तैयारियां कैसे होती हैं। आइए जाने दिवाली वाले दिन क्या-क्या किया जाता हैं।
Diwali Kaise Manae Jaati Hai | दिवाली कैसे मनाई जाती है?
दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो केवल एक दिन का ना होकर पांच दिनों तक मनाया जाता है। इसे पांच दिनों का महापर्व भी कहते हैं जिसमें मुख्य दिवाली तीसरे दिन पड़ती है। हालाँकि दिवाली को लेकर तैयारियां और उत्साह दशहरे के बाद से ही शुरू हो जाता है। दशहरा दिवाली से 20 दिन पहले आता है और उसी दिन से ही दिवाली की तैयारियां शुरू हो जाती है।
ऐसे में यह त्यौहार अपने आप में अनूठा और अद्भुत है। ऐसे में आइए जाने दिवाली से पहले, दिवाली वाले दिन और दिवाली के बाद क्या कुछ किया जाता है।
घर-दुकान की साफ-सफाई करना
वैसे तो हम अपने घर-दुकान की सफाई हर दिन करते हैं लेकिन दिवाली एक ऐसा त्यौहार हैं जिस दिन पूरे घर की गहन साफ-सफाई की जाती हैं। इसमें घर के हरेक कोने को साफ करना, जो चीज़े महीनो से ऐसी ही पड़ी हुई हैं उन्हें साफ करना, इत्यादि सम्मिलित है।
कई बार तो इसमें एक दिन से ज्यादा का समय भी निकल जाता हैं क्योंकि पूरे घर को अच्छे से साफ किया जाता हैं। इस प्रकार यह त्यौहार हमे स्वच्छता का संदेश देता हैं। दरअसल दिवाली ऐसे समय में आती हैं जब मौसम का परिवर्तन हो रहा होता है व चारो ओर विषैले मच्छर, जीवाणुओं इत्यादि का प्रकोप हो जाता है। ऐसे समय में अपने घर-दुकान की गहन सफाई करने से बहुत लाभ मिलता है व साथ ही घर भी एक दम चमचमाने लगता है।
धनतेरस के दिन खरीदारी करना
दिवाली के त्यौहार के लिए मुख्य रूप से खरीदारी की जाती हैं जो कि उससे दो दिन पहले धनतेरस के अवसर पर की जाती है। इसमें नए कपड़ो को खरीदना, घर के साज-सज्जा की वस्तुएं खरीदना, मिट्टी के दीये लेना, सोना-चांदी लेना इत्यादि सम्मिलित हैं। दिवाली पर नए वस्त्र पहने जाते हैं। कुम्हारों से दीपक लिए जाते हैं।
आजकल की आधुनिकता के कारण लोग विभिन्न रोशनी वाली लाइट, रंग-बिरंगे दीये इत्यादि लेने लगे हैं जो कि गलत हैं। हमे अपने देश के कुम्हारों से बने दीये ही लेने चाहिए क्योंकि सादगी ही इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है। इसलिये दिवाली पर आप जो भी खरीदारी करे लेकिन इस बात का मुख्य रूप से ध्यान रखे कि देश का पैसा देश में ही रहे।
दीपवाली के पकवान बनाना
दीपावली कैसे मनाई जाती है (Diwali Kaise Manate Hain), यह पूछना हो तो घर की महिलाओं से पूछिए। दीपावली की जो चीज़ सभी को मुख्य रूप से पसंद हैं वह हैं इस दिन विभिन्न तरह के पकवान बनना। ज्यादातर सभी घरो में दिवाली के लिए पहले से ही विशेष पकवान बनकर तैयार हो जाते हैं जैसे कि नमकीन में सवाली, मठरी, मीठे में शकरपारे, गुजिया इत्यादि। इसके अलावा दही भल्ले, मिठाइयाँ इत्यादि भी बनाई जाती हैं।
सभी लोग दिवाली पर बनने वाले विभिन्न व्यंजनों को लेकर बहुत उत्साहित रहते है। घर के बच्चे तो इन्हें बड़े ही चाव के साथ खाते हैं किंतु इसी के साथ यह भी ध्यान रखिए कि इन्हें बनाने में अपनी पत्नी, माँ का अवश्य सहयोग करे। आपसी सहयोग से काम जल्दी व अच्छा होता हैं व साथ ही इससे प्रेम भी बढ़ता हैं।
घर को सजाना
दिवाली के लिए केवल घर की साफ-सफाई ही नही की जाती बल्कि घर को दुल्हन की तरह सजा भी दिया जाता हैं। इसमें घर में विभिन्न फूलों का लगाना, अलग-अलग रंगों की चुनरी से सजाना, शुभ-लाभ व शुभ दीपावली लिखे हुए पोस्टर इत्यादि लगाना सम्मिलित हैं। इसके अलावा लोग अपने अनुसार विभिन्न प्रकार की चीजों से घर को सजाते हैं। आजकल बाज़ार में अपने घर को सजाने के लिए विभिन्न प्रकार की चीज़े उपलब्ध हैं जिनसे आप अपने घर को अच्छे से सजा सकते हैं।
दिवाली की सुबह
दिवाली के दिन सुबह सभी को जल्दी उठना होता हैं व स्नान आदि करके घर के सभी बड़ो की चरण वंदना करनी होती हैं। इससे सभी का आशीर्वाद लेना व उन्हें दीपावली की बधाई देना सम्मिलित हैं। इस दिन आप प्रातःकाल जल्दी उठे, स्नान आदि करे व नए कपड़ो को पहने। इसके बाद भगवान की स्तुति करे व सभी बड़ो के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ले। इसके बाद ही अपने दिन के सभी काम करे।
दिवाली के दिन संध्या की पूजा
शाम के समय शुभ मुहूर्त में अपने घर व दुकान पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करे। दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष विधान है क्योंकि उन्ही के द्वारा घर में वैभव संपदा आती हैं। साथ ही विद्या की देवी माँ सरस्वती व बुद्धि के देवता भगवान गणेश की भी पूजा की जाती हैं क्योंकि इन दोनों के बिना माँ लक्ष्मी का घर में प्रवेश नही हो सकता।
इससे हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि यदि व्यक्ति के पास धन हैं लेकिन उसके पास विद्या व बुद्धि नही हैं तो वह धन उसके पास ज्यादा दिन तक नही टिकेगा। इसी से जुड़ी दिवाली पर एक लकड़हारे और राजा की कथा भी प्रचलित है।
घर व मोहल्ले को दीयो से सजाना
माँ लक्ष्मी की पूजा में दीपक को प्रज्जवलित करके रखा जाता हैं। पूजा समाप्त होने के पश्चात घर के प्रतेक कोने व बाहर चारदीवारी, सड़क इत्यादि पर दीपक रखे जाते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो दिवाली की अमावस्या की रात्रि को भी दीपक की रोशनी से जगमगा दिया जाता हैं। उस दिन की रोशनी देखने लायक होती हैं।
इस दिन दीपक इसलिये जलाए जाते हैं क्योंकि त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष का वनवास समाप्त करके पुनः अयोध्या लौटे थे तब सभी ने मिलकर असंख्य दीपक जलाए थे। उन दीपकों से इतनी रोशनी हो गयी थी कि स्वर्ग लोक से भी अयोध्या जगमगाते हुए दिख रही थी।
दिवाली पर आतिशबाजी करना
फिर आता हैं दीपावली पर आतिशबाजी करना। इसका उत्साह मुख्य रूप से बच्चो में ज्यादा होता हैं। घर के बच्चे बड़ो की निगरानी में फुलझड़िया, अनार, फिरकी इत्यादि जलाते हैं व दिवाली मनाते हैं। पूरा आसमान विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी से जगमगा उठता हैं।
किंतु इसी के साथ-साथ यह भी ध्यान रखे कि आतिशबाजी करते समय बच्चों को अकेला न छोड़े अन्यथा उन्हें चोट लग सकती हैं या कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही पटाखों के कारण आग लगने की घटना भी आम हैं। इसलिये आतिशबाजी के समय पूरा ध्यान रखे ताकि बाद में कोई समस्या ना हो।
दीपावली के अगले दिन राम-राम
दिवाली के अगले दिन लोग अपने रिश्तेदारों व मित्रों के घर बधाई देने जाते हैं व दिवाली की राम-राम करते हैं। इस दिन मिठाइयों व अन्य उपहारों का लेनदेन होता हैं, एक दूसरे का हालचाल पूछा जाता हैं व बधाई दी जाती हैं।
साथ ही इस दिन सभी मंदिरों में प्रसाद रूप में अन्नपूर्णा का प्रसाद मिलता हैं जिसे सभी बड़े ही चाव के साथ खाते हैं। इस प्रकार दिवाली का यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई-दूज के त्यौहार के साथ समाप्त हो जाता हैं व चारो और इसके फिर से आने की प्रतीक्षा पीछे छोड़ जाता हैं।
इस तरह से आज आपने जान लिया है कि दिवाली कैसे मनाई जाती है (Diwali Kaise Manae Jaati Hai) और इस दिन क्या कुछ किया जाता है। यहीं कारण है कि यह एक दिन का त्यौहार ना होकर पूरे महीने तक मनाया जाने वाला त्यौहार कहलाता है।
दीपावली मनाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दिवाली कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: दिवाली से कुछ दिन पहले घरों की साफ़-सफाई की जाती है, तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, धनतेरस की खरीदारी की जाती है और मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं।
प्रश्न: दीपावली कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: दीपावली का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में मिट्टी के दीपक प्रज्ज्वलित किए जाते हैं, आतिशबाजी की जाती है और एक-दूसरे को दिवाली की बधाई दी जाती है।
प्रश्न: दीपावली कैसे मनाते हैं?
उत्तर: दीपावली अलग-अलग लोगों के द्वारा अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। इस दिन मुख्य तौर पर माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है और मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं।
प्रश्न: दीपावली कैसे मनाएं?
उत्तर: यदि आप दीपावली मनाना चाहते हैं तो यह अकेले नहीं बल्कि अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मनाई जाती है। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: