आज हम दीपावली का महत्व (Diwali Ka Mahatva) जानेंगे। हम हर वर्ष बड़े ही धूमधाम के साथ दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। इस दिन भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या लौटे थे। श्रीराम का संपूर्ण जीवन हमें जीवन जीने के उच्च आदर्श सिखाकर जाता है व साथ ही सिखाता है रिश्तों को किस प्रकार निभाना चाहिए।
दिवाली पर्व एक दिन का त्यौहार न होकर पांच दिनों का सामूहिक पर्व होता है जिसकी तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। दिवाली की अँधेरी काली रात को असंख्य दीपक जलाकर रोशनी की जाती है जो समस्त समाज को एक सूत्र में पिरोने का संदेश देती है। यह हमें दीपावली का सांस्कृतिक महत्व (Diwali Importance In Hindi) दिखाता है। आइए जाने दिवाली का महत्व क्या है।
दीपावली का महत्व (Diwali Ka Mahatva)
दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारतवर्ष में एक समान रूप से मनाया जाता है। यह हरेक राज्य, पंथ, संप्रदाय के लोगों के द्वारा धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत का कोई भी ऐसा राज्य नहीं होगा, जहाँ दिवाली की धूम देखने को ना मिलती हो। इस दिन तो मानो पूरा भारत ही अभूतपूर्व रोशनी में नहा उठता है।
दीपावली की रात घोर अँधेरी रात होती है। फिर भी असंख्य दीपक की रोशनी रात को भी दिन जैसा बना देती है। इसका कारण है दीपावली का सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, शारीरिक व मानसिक महत्व। आज हम इन सभी पर एक-एक करके प्रकाश डालने वाले हैं। आइए जाने दीपावली का हम सभी के लिए क्या महत्व (Importance Of Diwali In Hindi) है।
#1. दीपावली का धार्मिक महत्व
भगवान विष्णु ने त्रेता युग में भगवान श्रीराम के रूप में जन्म लिया था जिनका उद्देश्य केवल दुष्ट रावण का वध करना ही नहीं अपितु संपूर्ण मानव समाज को एक संदेश देना था। उनके जीवन की हर एक घटना हमें एक शिक्षा देकर जाती है।
इन्हीं शिक्षाओं को आत्म-सात करने के लिए हम दीपावली का पर्व हर वर्ष मनाते हैं। दिवाली के पर्व से हमें रामायण की मिली शिक्षाओं को ग्रहण करने व आने वाली पीढ़ी में भी उन्हीं गुणों का निर्माण करने की प्रेरणा मिलती है।
#2. दीपावली का आध्यात्मिक महत्व
दिवाली के पर्व से हमें ना केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान भी मिलता है। आज के समाज में जहाँ कटुता, शत्रुता, ईर्ष्या इतनी अधिक बढ़ गई है तब हमें दिवाली संदेश देती है कि मनुष्य को अपने सभी स्वार्थों का त्याग कर केवल धर्म का पालन करना चाहिए व किसी का भी अहित नहीं करना चाहिए।
यह हमें परमात्मा के दर्शन करने व हमेशा अपने कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा (Diwali Importance In Hindi) देती है। यदि हम सच्चे मन से दिवाली को मनाएंगे तो इससे हमें मानसिक शांति का अनुभव होगा व जीवन को कैसे जिया जाए, इसके बारे मे ज्ञान होगा।
#3. दीपावली का शारीरिक महत्व
हम हर दिन अपने घर व दुकान इत्यादि की साफ-सफाई करते हैं लेकिन दिवाली के लिए हम अपने घर इत्यादि की गहनता से साफ-सफाई करते हैं। इसमें घर के सभी सदस्य घर के हरेक कोने, वस्तु को साफ करते हैं व गंदगी को घर से निकाल दिया जाता है। इस प्रकार दिवाली का पर्व हमें स्वच्छता का संदेश देता है। स्वच्छता रहने से हमें कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है व आसपास सकारात्मक ऊर्जा का निवास रहता है।
इसी प्रकार दिवाली जिस मौसम में आती है वह वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद ऋतु के आगमन का संकेत होता है। ऐसे मौसम में वातावरण में मच्छरों, कीट-पतंगों, जीवाणु-विषाणुओं का प्रकोप अत्यधिक बढ़ जाता है। ऐसे मौसम में हम सभी सामूहिक रूप से दिवाली की रात्रि को असंख्य घी व तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं। इन दीपक से वातावरण में हानिकारक जीवाणुओं का प्रभाव कम हो जाता है तथा वे नष्ट हो जाते हैं।
इस प्रकार दिवाली का त्यौहार हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है जो आसपास फैले विभिन्न जीवाणुओं का नाश कर देता है व ऋतु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को सीमित कर देता है।
#4. दीपावली का मानसिक महत्व
आज के समाज में जहाँ मनुष्य दिन-रात अपने कार्य में व्यस्त रहता है। उसे आत्म-चिंतन करने व अपने सगे-संबंधियों के साथ समय व्यतीत करने में समय की कमी होती है तो वह अवसर दिवाली लेकर आती है। दिवाली के दिन सभी की लंबी छुट्टियाँ होती है। जो लोग अपने घरों से दूर पढ़ाई या काम करते हैं वे भी अपने घरों को लौट आते हैं।
ऐसे में सभी घरवाले मिलकर घर की साफ-सफाई करते हैं, विभिन्न पकवान बनाते हैं, घर को सजाते हैं व दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। इस भागदौड़ भरे जीवन में रिश्तों को महत्व देना, उनके साथ समय व्यतीत करना, आनंद व खुशियाँ मनाना, एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता (Importance Of Diwali In Hindi) है। इससे हमें मानसिक शांति का अनुभव होता है।
#5. दीपावली का आर्थिक महत्व
आप सब भी यह देखते होंगे कि दिवाली पर सभी का व्यापार दुगुना हो जाता है। इन दिनों सभी लोग अपने घर-परिवार के लिए चीजें खरीदते हैं, नया वाहन लेते हैं, गहने लेते हैं, साज-सज्जा का सामान, मिट्टी के दीये, मिठाइयाँ इत्यादि बहुत बिकती है।
इस प्रकार दिवाली का त्यौहार देश व समाज की आर्थिक उन्नति का भी परिचायक है। इस समय बाजार में पैसों का आवागमन बहुत तेजी के साथ बढ़ जाता है। पैसा धनी व्यक्ति की जेब से निकलकर सभी के पास पहुँचता है व निर्धनों को भी बहुत आय होती है। इस प्रकार आर्थिक दृष्टि से भी दिवाली का त्यौहार अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
#6. दीपावली का सांस्कृतिक महत्व
दिवाली का त्यौहार केवल घरों तक ही सीमित नहीं है व ना ही यह किसी पंथ, समाज, जाति या धर्म तक सीमित है। इसमें समाज के सभी वर्गों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। विभिन्न संस्कृतियों को मानने वाले लोग इस दिन सामूहिक रूप से दीपावली का पर्व मनाते हैं व आपस में खुशियाँ बांटते हैं।
दिवाली का त्यौहार केवल भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं अपितु विदेशों में भी बड़ी धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। इस प्रकार यह त्यौहार एक सार्वजानिक कार्यक्रम का रूप ले लेता है जिसमें सभी का अपना-अपना योगदान होता है। यह त्यौहार विभिन्न संस्कृतियों व मान्यताओं को मानने वाले लोगों के आपसी मेलजोल का भी प्रतीक है।
उपरोक्त कारणों के कारण दीपावली का महत्व (Diwali Ka Mahatva) बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा भी दीपावली के कई असंख्य लाभ हैं जो इसके महत्व को दुगुना कर देते हैं।
दीपावली के महत्व से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दिवाली का क्या महत्व है?
उत्तर: दिवाली हर भारतीय को श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेने और मानवता का संदेश देती है। यह हमें बताती है कि अधर्मी लोग और उनका साथ देने वाले दोनों का अंत निश्चित है।
प्रश्न: दीपावली मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: दीपावली मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रभु श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेना है। श्रीराम ने अपने जीवनकाल में हमें कई तरह की शिक्षाएं प्रदान की है जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
प्रश्न: दीपावली क्या संदेश देती है?
उत्तर: दीपावली का यही संदेश है कि मनुष्य को कभी भी अधर्म के कार्य नहीं करने चाहिए और ना ही ऐसे लोगों का साथ देना चाहिए। साथ ही हमें ईश्वर पर विश्वास बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न: दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: दीपावली का त्योहार भगवान श्रीराम के अयोध्या वापसी के कारण मनाया जाता है। त्रेता युग में कार्तिक अमावस्या के दिन ही भगवान श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
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