Hanuman Sita Milan | रामायण में सीता हनुमान मिलन से जुड़ा रोचक प्रसंग

Sita Hanuman Milan

रामायण में सीता हनुमान मिलन (Sita Hanuman Milan) का प्रसंग देखने को मिलता है। यह तब की बात है जब हनुमान जी विशाल समुंद्र को लांघकर रावण नगरी लंका में पहुँच जाते हैं और माता सीता को खोज लेते हैं। उसके बाद से श्रीराम संपूर्ण वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करते हैं और रावण का उसकी सेनासहित वध कर देते हैं।

आज के इस लेख में हम अशोक वाटिका में हनुमान सीता संवाद का संपूर्ण भाग आपके सामने रखेंगे। यह वह पल था जब इतने महीनों से निराशा और अवसाद में जा चुकी माता सीता को एक आशा की किरण दिखाई दी थी। वहीं दूसरी ओर, श्रीराम का लक्ष्य भी स्पष्ट हो गया था। ऐसे में आइए जानते हैं अशोक वाटिका में Hanuman Sita Milan के बारे में।

Sita Hanuman Milan | सीता हनुमान मिलन

जब से माता सीता को दुष्ट रावण पंचवटी की कुटिया से उठाकर अपने साथ लंका ले गया था तब से माता सीता उसके द्वारा अशोक वाटिका में बंदी बनी हुई थी। उनके सामने केवल राक्षस प्रजाति के लोग ही दिन रात विचरण किया करते थे व अपनी माया का प्रभाव दिखाते थे। इसी प्रकार 5 से 6 माह का समय बीत गया लेकिन माता सीता का पता नहीं चल सका।

माता सीता दिन रात राक्षसों के बीच रहकर रोती रहती थी। उन्होंने रावण के बार-बार कहने पर भी उसे पति रूप में स्वीकारने से मना कर दिया था। फिर एक दिन श्रीराम की आज्ञा से हनुमान वानर दल के साथ समुंद्र के किनारे माता सीता की खोज करते हुए पहुँचे। वहाँ पर जटायु के बड़े भाई गिद्धराज सम्पाती के द्वारा उन्हें सीता माता का पता चला। आइए उसके बाद क्या कुछ हुआ, उसके बारे में जानते हैं।

  • हनुमान जी का समुद्र लांघना

हनुमान जी को जामवंत जी के द्वारा उनकी भूली हुई शक्तियां याद दिलाई गई। इसी के फलस्वरूप हनुमान जी इतने विशाल समुंद्र को लांघ पाए थे। बीच में उनका सामना कई तरह के राक्षसों से हुआ लेकिन उन्होंने सभी को परास्त कर दिया। अंततः वे विशाल समुंद्र को लांघ कर दूसरी ओर स्थित लंका नगरी के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए थे।

  • लंका में प्रवेश करना

जब हनुमान जी लंका के द्वार पर पहुँचे तो वहाँ कड़ा पहरा था। प्रवेश द्वार की मुख्य प्रहरी लंकिनी थी जो बहुत ही शक्तिशाली थी। हालाँकि हनुमान जी ने अपने एक ही वार से लंकिनी को परास्त कर दिया और वह वहाँ से चली गई। इसके बाद हनुमान जी आसानी से लंका नगरी में प्रवेश कर गए थे।

  • रावण के कक्ष में जाना

चूँकि अब हनुमान जी के पास असीमित शक्तियां थी जिस कारण वे अपने रूप को बहुत छोटा भी कर सकते थे। इसलिए हनुमान जी ने अपने रूप को एक मक्खी जितना छोटा कर लिया और सीधे रावण के कक्ष में पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर हनुमान जी ने रावण को सोते हुए पाया। Sita Hanuman Milan के बीच में यह बहुत ही सुंदर व रोचक प्रसंग है। क्योंकि हनुमान जी चाहते तो उसी समय रावण का वध कर सकते थे लेकिन इससे भगवान विष्णु का अवतार लेना व्यर्थ हो जाता। इसलिए वे वहाँ से बिना कुछ किए निकल गए।

  • हनुमान विभीषण से भेंट

इसके बाद हनुमान जी माता सीता को ढूंढने के लिए लंका नगरी में इधर-उधर भटक रहे थे। उसी समय उन्हें उस राक्षस नगरी में एक जगह से राम-राम की आवाज सुनाई दी। उत्सुकतावश वे उस जगह एक साधु का वेश बनाकर गए। वहाँ उनकी भेंट विभीषण से हुई और दोनों के बीच सार्थक बातचीत हुई। इसके बाद हनुमान जी वहाँ से चले गए। 

  • हनुमान जी अशोक वाटिका

आखिर में जाकर हनुमान जी को अशोक वाटिका मिल गई। वहाँ राक्षसियों का कड़ा पहरा था लेकिन हनुमान जी सभी से छुप छुपाकर माता सीता के पास पहुँच गए। उस समय सभी राक्षसियां इधर-उधर ही घूम रही थी जिस कारण हनुमान जी ने उस समय माता सीता से मिलना ठीक नहीं समझा। इसलिए वे वहीं पास के एक पेड़ पर छुप गए थे।

  • मंदोदरी द्वारा सीता को बचाना 

कुछ ही देर में रावण अशोक वाटिका में आता है और माता सीता को धमकाने लगता है। रावण सीता को अपने से विवाह करने के लिए विवश करता है और राम को भला बुरा कहता है। यह सुनकर माता सीता रावण को कई कटु वचन कह देती है। इसे सुनकर रावण क्रोधित होकर माता सीता पर अपनी तलवार से प्रहार करने वाला होता है कि मंदोदरी उसे रोक देती है। मंदोदरी कहती है कि एक अबला स्त्री पर राक्षस राजा का प्रहार करना उसे शोभा नहीं देगा। यह सुनकर रावण तिलमिलाता हुआ वहाँ से चला जाता है।

  • त्रिजटा का अन्य राक्षसियों को डराना

रावण के जाने के बाद अन्य राक्षसियां माता सीता को घेर लेती हैं और उन्हें रावण से विवाह करने के लिए कहती हैं। तब माता त्रिजटा अन्य राक्षसियों को समझाती हैं। जब वे नहीं समझती हैं तो त्रिजटा उन्हें एक झूठे सपने की कहानी बताती है। सपने के अनुसार श्रीराम की विजय और रावण की दुर्गति को बताया जाता है। इतना सुनकर सभी राक्षसियां सीता से क्षमा मांगकर वहाँ से चली जाती है।

  • Hanuman Sita Milan | हनुमान सीता मिलन

जब सभी राक्षसियां त्रिजटा के सपने से डरकर वहाँ से चली जाती हैं तो माता सीता विलाप करने लगती हैं। यह देखकर त्रिजटा उन्हें ढांढस बंधाती है और फिर वहाँ से चली जाती है। जब रात हो जाती है और सभी राक्षसियां गहरी नींद में सो जाती हैं तब हनुमान सीता मिलन का समय आता है। माता सीता उस समय अशोक वाटिका में अकेली होती है और पेड़ के सहारे दुखी बैठी होती है।

उसी समय उन्हें कहीं से श्रीराम के भजन सुनाई देने लगते हैं। राक्षस नगरी में किसी के राम भजन करने पर माता सीता को बहुत ही आश्चर्य होता है। हनुमान जी पेड़ के पीछे छुपकर संपूर्ण राम कहानी भजन के माध्यम से गा रहे होते हैं। माता सीता उन्हें ढूंढने का प्रयास करती हैं लेकिन हनुमान जी अति सूक्षम रूप में होने के कारण उन्हें नहीं मिलते हैं।

आखिर में व्यथित होकर माता सीता हनुमान जी से गुहार करती हैं कि जो भी राम भजन कर रहा है, वह कृपा करके उनके सामने आए। माता सीता के आग्रह करने पर हनुमान जी पेड़ से कूदकर माता सीता के सामने आ खड़े होते हैं। इस तरह Hanuman Sita Milan होता है। हनुमान जी को देखकर माता सीता उनसे मुँह फेर लेती हैं और रोने लगती हैं।

वे हनुमान जी के अत्यधिक छोटे और वानर रूप को देखकर, उन्हें रावण का भेजा हुआ एक बहरूपिया समझती हैं। माता सीता हनुमान जी के सामने रोते हुए कहती हैं कि वे कृपा करके उन पर दया करें और उन्हें अकेला छोड़ दें। इसके बाद अशोक वाटिका में हुआ हनुमान सीता संवाद सभी का मन मोह लेता है। आइए जाने तब हनुमान जी ने माता सीता की शंका को कैसे दूर किया।

अशोक वाटिका में हनुमान सीता संवाद

जब हनुमान जी और माता सीता का मिलन होता है तब उनके बीच हुआ संवाद (Hanuman Sita Samvad) माता सीता के कष्ट व शंकाओं को दिखाता है। तो वहीं हनुमान उन सभी शकों का समाधान करते हुए दिखाई देते हैं। सबसे पहले तो माता सीता को यह शंका होती है कि हनुमान श्रीराम के भेजे हुए दूत ही हैं या कोई मायावी राक्षस। दूसरी शंका उन्हें यह होती है कि इतने छोटे-छोटे वानर बड़े-बड़े राक्षसों का सामना कैसे कर पाएंगे।

हनुमान जी अपनी सूझ-बूझ और शक्ति से माता सीता की सभी शंकाओं का ना केवल समाधान कर देते हैं बल्कि उन्हें आशा की एक किरण भी देते हैं। आइए जाने उस प्रसंग के बारे में।

  • हनुमान का रामदूत होने की शंका

सबसे पहले तो हनुमान जी को माता सीता के सामने यही सिद्ध करना था कि वे श्रीराम के भेजे हुए ही दूत हैं। इसके लिए उन्होंने श्रीराम की अंगूठी को उन्हें दिखाया। साथ ही उन्हें यह भी बताया कि किस प्रकार माता सीता अपने पल्लू की सहायता से श्रीराम की सेवा करती थी। यह सुनकर माता सीता की शंका दूर हो जाती है और वे हनुमान को अपने द्वारा झेले गए सभी कष्टों के बारे में बताती है।

हनुमान जी माता सीता की सब बातों को सुनते हैं और उन्हें श्रीराम की स्थिति के बारे में भी बताते हैं। वे कहते हैं कि अब जब उन्हें माता सीता का पता चल गया है तो भगवान श्रीराम जल्द ही लंका पर चढ़ाई करके उनके कष्टों का अंत कर देंगे।

  • वानर सेना का शक्तिशाली होने की शंका

जब माता सीता भगवान श्रीराम के द्वारा वानर सेना के माध्यम से रावण की राक्षस सेना से युद्ध करने का सुनती हैं तो उन्हें शंका होती है कि आखिरकार वानर राक्षसों का सामना कैसे कर पाएंगे। माता सीता की इस शंका को दूर करने के लिए हनुमान जी उन्हें अपने अति विशाल रूप के दर्शन देते हैं। साथ ही उन्हें बताते हैं कि इसी तरह के कई महान योद्धा वानर सेना में है जो रावण की राक्षस सेना का विध्वंस कर देंगे। यह देखकर माता सीता आश्वस्त हो जाती है

इसके बाद हनुमान माता सीता का आशीर्वाद लेकर अशोक वाटिका को तहस-नहस कर देते हैं। इतना ही नहीं, वे रावण पुत्र अक्षय कुमार का भी वध कर देते हैं और संपूर्ण लंका में आग लगा देते हैं। वापस जाने से पहले हनुमान फिर से माता सीता से मिलने (Sita Hanuman Milan) आते हैं। माता सीता हनुमान जी को अमर होने का आशीर्वाद देती हैं और साथ ही श्रीराम को देने के लिए अपनी चूड़ामणि निशानी के तौर पर देती हैं।

हनुमान सीता संवाद से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सीता जी ने हनुमान जी को क्या दिया था?

उत्तर: जब हनुमान जी लंका में आग लगाकर श्रीराम के पास जाने के लिए माता सीता से मिलने आए तब माता सीता ने उन्हें निशानी के तौर पर अपनी चूड़ामणि दी थी

प्रश्न: रामचरितमानस के अनुसार सीता जी से हनुमान जी का मिलन कहाँ हुआ था?

उत्तर: रामचरितमानस के अनुसार सीता जी से हनुमान जी का मिलन अशोक वाटिका में हुआ था रावण ने माता सीता को वहीं बंदी बनाकर रखा हुआ था

प्रश्न: हनुमान जी ने सीता का पता कैसे लगाएं?

उत्तर: जब हनुमान जी वानर सेना के साथ समुद्र के तट पर पहुँचे तो वहाँ बैठे गिद्धराज संपाती ने उन्हें रावण की नगरी लंका के बारे में बताया था

प्रश्न: हनुमान सीता से कब मिले थे?

उत्तर: रावण के द्वारा माता सीता के हरण के 5 से 6 महीनों के बाद हनुमान जी माता सीता से मिले थे

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *