श्री लक्ष्मी स्तोत्र – महत्व व लाभ सहित

Laxmi Stotra In Hindi

महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalaxmi Stotra): माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी माना जाता है। उनकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती है। अब यदि आपको माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो आपको प्रतिदिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

लक्ष्मी स्तोत्र (Laxmi Stotra) में माता लक्ष्मी के गुणों, शक्तियों, महिमा, पूजा विधि, महत्व इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है। आज हम सबसे पहले लक्ष्मी माता के स्तोत्र का पाठ करेंगे। फिर हम आपको लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने के फायदे और उसके महत्व के बारे में बताएँगे। इससे आप जान पाएंगे कि लक्ष्मी माता की आराधना करने से क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं।

लक्ष्मी जी की जिस किसी पर भी कृपा हो जाती है, फिर उसके जीवन से सभी संकट एक पल में ही दूर हो जाते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री महालक्ष्मी स्तोत्र।

Mahalaxmi Stotra | महालक्ष्मी स्तोत्र

सिंहासनगतः शक्रस्सम्प्राप्य त्रिदिवं पुनः।
देवराज्ये स्थितो देवीं तुष्टावाब्जकरां ततः॥

इंद्र उवाच

नमस्तस्यै सर्वभूतानां जननीमब्जसम्भवाम्।
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥

पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्।
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी।
सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥

यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने।
आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी॥

आन्वीक्षिकी त्रयीवार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च।
सौम्यासौम्येर्जगद्रूपैस्त्वयैतद्देवि पूरितम्॥

का त्वन्या त्वमृते देवि सर्वयज्ञमयं वपुः।
अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृतः॥

त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम्।
विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम्॥

दाराः पुत्रास्तथाऽऽगारं सुहृद्धान्यधनादिकम्।
भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम्॥

शरीरारोग्यमैश्वर्यमरिपक्षक्षयः सुखम्।
देवि त्वदृष्टिदृष्टानां पुरुषाणां न दुर्लभम्॥

त्वमम्बा सर्वभूतानां देवदेवो हरिः पिता।
त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद्वयाप्तं चराचरम्॥

मनःकोशस्तथा गोष्ठं मा गृहं मा परिच्छदम्।
मा शरीरं कलत्रं च त्यजेथाः सर्वपावनि॥

मा पुत्रान्मा सुहृद्वर्गान्मा पशून्मा विभूषणम्।
त्यजेथा मम देवस्य विष्णोर्वक्षःस्थलाश्रये॥

सत्त्वेन सत्यशौचाभ्यां तथा शीलादिभिर्गुणैः।
त्यज्यन्ते ते नराः सद्यः सन्त्यक्ता ये त्वयाऽमले॥

त्वयाऽवलोकिताः सद्यः शीलाद्यैरखिलैर्गुणैः।
कुलैश्वर्यैश्च युज्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि॥

सश्लाघ्यः सगुणी धन्यः स कुलीनः स बुद्धिमान्।
स शूरः सचविक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षितः॥

सद्योवैगुण्यमायान्ति शीलाद्याः सकला गुणाः।
पराङ्गमुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे॥

न ते वर्णयितुं शक्तागुणञ्जिह्वाऽपि वेधसः।
प्रसीद देवि पद्माक्षि माऽस्मांस्त्याक्षीः कदाचन॥

श्रीपराशर उवाच

एवं श्रीः संस्तुता स्मयक् प्राह हृष्टा शतक्रतुम्।
श्रृण्वतां सर्वदेवानां सर्वभूतस्थिता द्विज॥

श्री बोलीं परितुष्टास्मि देवेश स्तोत्रेणानेन ते हरेः।
वरं वृणीष्व यस्त्विष्टो वरदाऽहं तवागता॥

इंद्र उवाच

वरदा यदिमेदेवि वरार्हो यदिवाऽप्यहम्।
त्रैलोक्यं न त्वया त्याच्यमेष मेऽस्तु वरः परः॥

स्तोत्रेण यस्तवैतेन त्वां स्तोष्यत्यब्धिसम्भवे।
स त्वया न परित्याज्यो द्वितीयोऽस्तुवरो मम॥

श्री उवाच

त्रैलोक्यं त्रिदशश्रेष्ठ न सन्त्यक्ष्यामि वासव।
दत्तो वरो मयाऽयं ते स्तोत्राराधनतुष्टया॥

यश्च सायं तथा प्रातः स्तोत्रेणानेन मानवः।
स्तोष्यते चेन्न तस्याहं भविष्यामि पराङ्गमुखी॥

ऊपर आपने संपूर्ण लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ (Laxmi Stotra) कर लिया है। अब बारी आती है लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने के फायदे और उसके महत्व को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।

महालक्ष्मी स्तोत्र का महत्व

ऊपर आपने श्री लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ा और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। इससे आपको लक्ष्मी माता के महत्व का ज्ञान हो गया होगा तथा साथ ही यह भी पता चल गया होगा कि धन के साथ-साथ मनुष्य के लिए विद्या व बुद्धि की कितनी आवश्यकता होती है। यही कारण है कि माता लक्ष्मी की पूजा कभी भी अकेले नहीं की जाती है अन्यथा वह पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।

आप जब भी देखेंगे तो पाएंगे कि माँ लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश व माँ सरस्वती के साथ ही की जाती है। दीपावली के पावन अवसर पर भी तीनों की एक साथ ही पूजा की जाती है ताकि धन का सदुपयोग हो सके। माँ लक्ष्मी ने स्वयं कहा है कि जहाँ भी उनकी पूजा होगी और यदि उस जगह भगवान गणेश की पूजा नहीं होगी तो मेरी पूजा का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इस कथन का तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य के पास यदि धन है लेकिन बुद्धि का अभाव है तो धन ज्यादा समय तक उसके पास नहीं रह सकेगा।

तो ऐसे ही कुछ भावों को इस महालक्ष्मी स्तोत्र के माध्यम से प्रकट किया गया है। इसी के साथ ही माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का कितना सहयोग किया है और इस सृष्टि के कल्याण के कार्य किये हैं, उन्हें भी लक्ष्मी स्तोत्र लिरिक्स के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। यही महालक्ष्मी स्तोत्र का महत्व होता है।

लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने के फायदे

अब यदि आप निरंतर रूप से महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अपने घर पर या मंदिर में करते हैं और माँ लक्ष्मी का सच्चे मन से ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बरसती है। यदि आपके जीवन में किसी भी तरह का आर्थिक संकट है या वैभव की कमी है तो वह दूर हो जाती है। कई बार यह देखने में आता है कि बहुत प्रयास करने के पश्चात भी आपका काम सही से नहीं चल पा रहा होता है और उसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं।

ऐसी स्थिति में यदि आप सच्चे मन से लक्ष्मी स्तोत्र का सुबह जल्दी उठकर तथा नहा-धोकर पाठ करने लगेंगे तो उसका प्रभाव कुछ ही दिनों में देखने को मिल जाएगा। इससे ना केवल आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी बल्कि समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। हालाँकि इसी के साथ ही आपको उस प्राप्त धन का सदुपयोग करना होगा और धर्म व समाज सेवा के कार्य भी करते रहने होंगे। तभी वह धन आपके पास टिक पायेगा अन्यथा वह कुछ ही दिनों में पुनः चला जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalaxmi Stotra) पढ़ लिया है। साथ ही आपने श्री लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

महालक्ष्मी स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: लक्ष्मी जी का शुभ अंक क्या है?

उत्तर: लक्ष्मी जी का शुभ अंक 9 माना जाता है क्योंकि उनका स्वामी ग्रह मंगल को माना जाता है।

प्रश्न: लक्ष्मी को घर में कहां रखना चाहिए?

उत्तर: लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र को घर की उस दिशा में रखना चाहिए जहाँ से उनका मुख उत्तर दिशा की ओर हो क्योंकि वहीं उनका वास होता है।

प्रश्न: महालक्ष्मी और लक्ष्मी में क्या अंतर है?

उत्तर: महालक्ष्मी और लक्ष्मी में कोई अंतर नहीं है और दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।

प्रश्न: लक्ष्मी और गणेश जी का क्या रिश्ता है?

उत्तर: माता लक्ष्मी ने माता पार्वती से उनके पुत्र गणेश को गोद ले लिया था जिस कारण भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र माने जाते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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