आज हम आपके साथ महागौरी माता की आरती (Mahagauri Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। महागौरी माता नवदुर्गा का आठवां रूप है जो सौभाग्य का परिचायक है।
इस लेख में आपको महागौरी की आरती (Mahagauri Ki Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप महागौरी आरती का भावार्थ समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ महागौरी माता की आरती PDF फाइल, पाठ करने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं महागौरी माता आरती।
Mahagauri Mata Ki Aarti | महागौरी माता की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा॥
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥
Mahagauri Ki Aarti | महागौरी की आरती – अर्थ सहित
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
महागौरी माता जो कि इस जगत की माया की स्वामिनी भी हैं, उनकी जय हो। वे ही माँ उमा, भवानी व महामाया का रूप हैं और उनकी जय हो।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा॥
हरिद्वार नगरी के कनखल में महागौरी माता का प्रसिद्ध मंदिर है। वे अपने मंदिर में निवास करती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
वे ही माँ चन्द्रकली व अंबा माता का रूप हैं। उन्हें ही आदि शक्ति व जगदंबा माता कहा जाता है। महागौरी माँ की जय हो, जय हो।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता॥
महागौरी माता ही भीमा देवी व विमला माता का रूप हैं। कौशिकी देवी के रूप में संपूर्ण जगत में वे प्रसिद्ध हैं।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
हिमाचल राज्य में वे गौरी रूप में पूजी जाती हैं। माँ महाकाली व माँ दुर्गा भी उनकी का ही रूप हैं।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
अपने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति शिव का अपमान किये जाने पर उन्होंने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूद कर आत्म-दाह कर लिया था। उनके जलते शरीर से जो धुआं निकल रहा था, उसी से ही काली माता का प्रकटन हुआ था।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
जो भी मातारानी की भक्ति में लीन हो जाता है, उसे धर्म का मार्ग दिखाई देता है। सती माता के द्वारा आत्म-दाह किये जाने पर शिव शंकर ने भी अपना त्रिशूल उठा लिया था।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
इसके पश्चात ही माँ सती ने महागौरी का नाम पाया था क्योंकि उनके शरीर से प्रकाश निकल रहा था। जो भी महागौरी माता की शरण में जाता है, उसका हर संकट मिट जाता है।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
जो भी शनिवार के दिन माता महागौरी के नाम की पूजा करता है और महागौरी की आरती करता है, उसके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥
अब आप सभी भक्तगण किस सोच में डूबे हुए हैं? आप सभी एक साथ महागौरी माता के नाम का जयकारा लगाइए।
महागौरी माता की आरती PDF
अब हम महागौरी आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: महागौरी माता की आरती PDF
ऊपर आपको लाल रंग में महागौरी माता की आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
महागौरी की आरती का महत्व
माता पार्वती के कई रूप हैं लेकिन उनके पार्वती नाम या रूप के अलावा, भक्तों के द्वारा जिस रूप की सबसे अधिक पूजा की जाती है या जो रूप उनके समतुल्य देखा जाता है, वह महागौरी वाला ही रूप है। उन्हें हम केवल गौरी माता भी कह सकते हैं। महागौरी का यह रूप अत्यधिक उजला है जिसमें माता के शरीर का रंग भी गौरा है और उन्होंने सभी आभूषण भी श्वेत रंग के ही पहने हुए हैं। इसी कारण उनके इस रूप का नाम महागौरी पड़ा।
महागौरी माता सौभाग्य का प्रतीक हैं। यही कारण है कि श्रीराम को पुष्प वाटिका में देखने के बाद माता सीता गौरी पूजन करती हैं तो वहीं रासलीला से पहले श्रीकृष्ण को पाने के लिए माता राधा भी गौरी माता की ही पूजा करती हैं। ऐसे में महागौरी आरती के माध्यम से महागौरी माता की शक्तियों, कर्मों, उद्देश्य तथा महत्व के ऊपर प्रकाश डाला गया है। यही महागौरी की आरती का महत्व होता है।
महागौरी आरती के लाभ
जो स्त्रियाँ सच्चे मन के साथ महागौरी माता की आरती करती हैं और उनका ध्यान करती हैं तो ना केवल उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है बल्कि विवाह में आ रही हर अड़चन व बाधा भी अपने आप ही दूर हो जाती है। वहीं विवाहित महिला के द्वारा महागौरी की आरती किये जाने पर उसका जीवन सुखमय बनता है तथा अपने पति के साथ संबंध मधुर होते हैं।
यदि कोई अविवाहित पुरुष मां महागौरी की आरती करता है तो उसका भी रिश्ता पक्का हो जाता है। हालाँकि उसे साथ में भगवान शिव की भी आराधना करनी होती है। वहीं विवाहित पुरुष के द्वारा महागौरी आरती किये जाने पर उसे अपनी पत्नी से सुख प्राप्त होता है। महागौरी माता सौभाग्य का भी प्रतीक होती हैं जो विवाहित महिलाओं के पति की रक्षा करती हैं और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने महागौरी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Mahagauri Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मां महागौरी की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको महागौरी माता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
महा गौरी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: महागौरी का मंत्र क्या है?
उत्तर: महागौरी का मंत्र “सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” है जिसका आप नवरात्र के आठवें दिन जाप कर सकते हैं।
प्रश्न: महागौरी का भोग क्या है?
उत्तर: महागौरी को नारियल की गिरी बहुत पसंद आती है। महागौरी का वर्ण श्वेत होता है और नारियल की गिरी भी अंदर से पूरी श्वेत होती है। इसी कारण नवरात्र के आठवें दिन भक्तगण महागौरी को नारियल का भोग लगाते हैं।
प्रश्न: पार्वती को गौरी क्यों कहा जाता है?
उत्तर: पार्वती माता के भिन्न-भिन्न गुणों के अनुसार उनके अलग-अलग रूप हैं जिसमें से उनका गौरी रूप सौभाग्य का प्रतीक होता है। ऐसे में पार्वती को गौरी भी कह दिया जाता है।
प्रश्न: नवरात्रि के आठवें दिन कौन सी माता की पूजा की जाती है?
उत्तर: नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी माता की पूजा की जाती है जो माता पार्वती का ही एक रूप है। महागौरी माता सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
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