रामायण में मकराक्ष कौन था (Makraksh Kaun Tha) तथा वह रावण का क्या लगता था? रावण के पास कई मायावी राक्षस थे जिसमें से एक मकराक्ष भी था। हालाँकि उसका मकराक्ष से पारिवारिक रिश्ता भी था। मकराक्ष को श्रीराम से बहुत घृणा थी जो उसने रावण के सामने भी प्रकट की थी। इसी कारण रावण ने उसे युद्धभूमि में जाकर श्रीराम का सामना करने की अनुमति दे दी थी।
जब वह युद्धभूमि में आया तब उसने सभी से युद्ध करने को मना कर दिया। श्रीराम ने भी अपनी सेना को उसका सम्मान करने के लिए कहा तथा अकेले ही उससे युद्ध किया। आज हम मकराक्ष वध (Makraksh Vadh) सहित इन सभी बातों को आपके सामने रखेंगे। आइए जाने रामायण के युद्ध में मकराक्ष की क्या भूमिका थी।
Makraksh Kaun Tha | रामायण में मकराक्ष कौन था?
मकराक्ष रामायण का एक राक्षस था जो रावण का भतीजा और खर का पुत्र था। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात उसके हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी। जब से दंडकारण्य के जंगल में श्रीराम के द्वारा उसके पिता खर, काका दूषण की सभी सैनिकों के साथ हत्या कर दी गई थी तब से वह श्रीराम से बदला लेने की चाह रखता था।
जब श्रीराम रावण से युद्ध करने लंका पहुँच चुके थे तथा उनकी सेना के द्वारा महान योद्धाओं अकम्पन, दुर्मुख तथा प्रहस्त को मार गिराया गया था तब रावण को समझ नहीं आ रहा था कि वह अब युद्धभूमि में किसे भेजे। ऐसे समय में मकराक्ष ने रावण के सामने युद्धभूमि (Makraksh Yuddh) में जाने की इच्छा व्यक्त की।
मकराक्ष ने रावण को बताया कि जब से उसके पिता का वध हुआ है तब से उसकी माता ने अपने सुहाग व अन्य आभूषण वस्त्रों को नहीं उतारा है। साथ ही उसने भी अपने पिता को अंतिम दर्पण नहीं दिया है। उसकी माता की इच्छा है कि उसका पुत्र मकराक्ष श्रीराम का मस्तक काटकर लेकर आए जिससे वह उसकी खोपड़ी में जल भरकर श्राद्ध अर्पण कर सके।
Makraksh Vadh Ramayan | मकराक्ष वध रामायण
मकराक्ष की अपने पिता के प्रति ऐसी भक्ति देखकर तथा उसकी माता का संकल्प सुनकर रावण प्रसन्न हुआ तथा उसे युद्धभूमि में जाने की आज्ञा दे दी। रावण से आज्ञा पाकर मकराक्ष युद्धभूमि में चला गया। वह तेज गति से युद्धभूमि में गया तथा पागलों की भाँति राम को पुकारने लगा। उसकी पुकार सुनकर अंगद व लक्ष्मण आए तथा उसे युद्ध की चुनौती दी लेकिन वह केवल श्रीराम से युद्ध करना चाहता था।
उसने इसके लिए अपनी माता के संकल्प की दुहाई दी तथा श्रीराम से युद्ध करने की इच्छा प्रकट की। इस पर लक्ष्मण तथा अंगद वानर सेना के साथ उसका उपहास करने लगे। यह देखकर स्वयं भगवन श्रीराम वहाँ आए तथा उन्हें मकराक्ष का उपहास करने से रोका। उन्होंने मकराक्ष के संकल्प का सम्मान करते हुए उसकी युद्ध की चुनौती स्वीकार की।
श्रीराम ने मकराक्ष को वचन दिया कि उन दोनों के युद्ध के बीच कोई नहीं आएगा। साथ ही यदि इस युद्ध में उनकी मकराक्ष के द्वारा हार होती है तो उनके मस्तक पर केवल उसी का अधिकार होगा। इसका उत्तरदायित्व उन्होंने लक्ष्मण को सौंपा। इसके बाद दोनों के बीच भीषण युद्ध (Makraksh Yuddh) शुरू हुआ।
मकराक्ष अति-शक्तिशाली तथा मायावी राक्षस था लेकिन भगवान श्रीराम ने उसकी हर माया को विफल कर दिया। अंत में उसने आकाश में उड़कर माया से अपने कई रूप धारण कर लिए तथा भगवान राम पर प्रहार करने लगा। इस पर विभीषण ने श्रीराम को बताया कि केवल असली मकराक्ष के शरीर से ही रक्त निकलता हुआ दिखाई देगा।
इसके पश्चात श्रीराम ने दिव्य अस्त्र चलाकर मकराक्ष का वध (Makraksh Vadh) कर दिया। साथ ही उन्होंने वानर सेना को आदेश दिया कि उसके शव को सम्मान सहित राक्षस सेना को लौटा दिया जाए।
मकराक्ष वध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मकराक्ष का वध किसने किया?
उत्तर: मकराक्ष का वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था। उन्होंने आकाश मार्ग में मायावी रूप धारण किए हुए मकराक्ष का वध कर दिया था।
प्रश्न: रामायण में मकराक्ष कौन थे?
उत्तर: रामायण में मकराक्ष एक राक्षस था। वह रावण के छोटे भाई खर का बेटा था जिसे रावण ने युद्धभूमि में जाकर श्रीराम का सामना करने की अनुमति दी थी।
प्रश्न: रामायण के नायक कौन थे?
उत्तर: रामायण के नायक प्रभु श्रीरामचंद्र थे। वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे जिन्होंने दुष्ट रावण का अंत कर लोगों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलवाई थी।
प्रश्न: शूर्पणखा के पुत्र का नाम क्या था?
उत्तर: शूर्पणखा के पुत्र का नाम जंबुमाली था।
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