रामायण में माता सीता की खोज (Sita Ki Khoj) बहुत बड़ा अभियान था जो भारत की चारों दिशाओं में किया गया था। भगवान श्रीराम ने बाली का वध कर सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बनाकर अपना वचन निभाया था। अब सुग्रीव को सीता माता की खोज करके अपना वचन निभाना था। भगवान श्रीराम ने चार मास के पश्चात शरद ऋतु में माता सीता की खोज आरंभ करने को कहा था।
जब चार मास बीत गए तब सुग्रीव व श्रीराम की अध्यक्षता में सभी वानर सेना को बुलाया (Ramayan Sita Ki Khoj) गया व मंत्रियों इत्यादि से विचार-विमर्श किया गया। यह तो सब जानते थे कि रावण के द्वारा ही माता सीता का अपहरण किया गया है लेकिन उन्हें कहाँ छुपाकर रखा है, यह कोई नहीं जानता था। इसलिए सेना को चार समूहों में बांटकर चारों दिशाओं में माता सीता को ढूंढने भेजा गया।
रामायण में माता सीता की खोज
भारत भूमि बहुत ही विशाल थी। उस समय भारत का क्षेत्रफल आज के समय के अनुसार उत्तर में चीन, दक्षिण में लंका, पूर्व में म्यांमार तथा पश्चिम में अरब देशों तक फैला हुआ था। इसका प्रमाण रामायण में माता सीता की खोज में देखने को मिलता है। जब महाराज सुग्रीव के द्वारा अपनी वानर सेना को भारतवर्ष की चारों दिशाओं में भेजने का निर्णय लिया गया था।
ऐसे में आज हम आपको वानर सेना के द्वारा सीता माता की खोज भारत के किन-किन क्षेत्रों और राज्यों में की गई थी, उसके बारे में बताने वाले हैं। इसे हमने पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार दिशाओं में बांटा (Sita Ki Khoj) है।
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पूर्व दिशा
सुग्रीव ने पूर्व दिशा में वानर सेना को लेकर जाने का नेतृत्व विनंत को दिया। उन्हें भारत की पूर्व दिशा में भागीरथी गंगा नदी, सरयू नदी, यमुना नदी, सरस्वती नदी इत्यादि पार करके ब्रह्मताल, विदेह, मालव, काशी, कौशल, मगध इत्यादि राज्यों में माता सीता की खोज करने को कहा गया था।
इसके साथ ही उन्होंने पूर्व दिशा में यवद्वीप, सुवर्णद्वीप, रुथ्वकद्वीप में जाकर भी माता सीता को ढूंढने को कहा। उन्होंने पूर्व दिशा में उदयगिरी पर्वत तक सीता माता की खोज (Ramayan Sita Ki Khoj) करने का आदेश विनंत को दिया था।
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पश्चिम दिशा
इस दिशा का नेतृत्व महाराज सुग्रीव ने अर्चिषमान व अचिरमलया को दिया। उस वानर दल को सौराष्ट्र, बहलीक, कुक्ष देशों में माता सीता की खोज करने को कहा गया था। उन्होंने उस वानर दल को मरुस्थल को पार करके समुंद्र तक जाने को कहा। वहाँ से आगे मोरवी जटापुर राज्यों से होते हुए उन्हें सिंधु नदी जाना था।
उसके पश्चात उन्हें सिंधु नदी से भी आगे समुंद्र संगम पर सोमगिरी पर्वत पर जाकर सीता माता की खोज करनी थी। वह पर्वत बहुत विशाल था इसलिए उन्होंने वहाँ की सभी चोटियों में माता Sita Ki Khoj करते हुए आगे प्रयाग ज्योतिष नगरी में जाने को कहा था। वहाँ अनेक गुफाएं थी जिनमें माता सीता जी की खोज करते हुए उन्हें अन्स्थांचल तक माता सीता को ढूँढना था।
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उत्तर दिशा
इस दिशा का उत्तरदायित्व उन्होंने वीर शत्वली को दिया। चूँकि उत्तर दिशा में भगवान श्रीराम सभी राक्षसों का पूर्णतया वध कर चुके थे व यह स्वयं भगवान श्रीराम की कर्मभूमि थी। इसलिए यहाँ माता सीता के होने की संभावना कम थी। फिर भी सभी प्रकार की शंकाओं को दूर करने के उद्देश्य से सुग्रीव ने उत्तर दिशा में भी वानर दल को भेजा।
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दक्षिण दिशा
दक्षिण की दिशा सबसे अधिक महत्वपूर्ण थी क्योंकि यहीं से होकर रावण की नगरी लंका आती थी। इसलिए माता सीता के उस दिशा में होने की संभावना सबसे अधिक थी। इसी कारण सुग्रीव ने इस दिशा में अपने सबसे शक्तिशाली योद्धाओं को भेजा। उन्होंने इस दिशा का नेतृत्व अपने भतीजे व बाली के पुत्र अंगद को दिया। अंगद के साथ उन्होंने महाबली हनुमान, जाम्बवंत, नल-नीर इत्यादि योद्धाओं को भेजा।
उन्होंने दक्षिण दिशा में जाने वाले वानर दल को आंध्र, कर्नाटक, पोंड, चोल, पांड्या व केरल प्रदेश में जाने को कहा। वहाँ से आगे उन्हें कावेरी नदी को पार करके ताम्रवर्ना को पार करना था। वहाँ उन्हें महेंद्रगिरी पर्वत से आगे वाले द्वीप पर भी माता सीता को खोजने का आदेश दिया गया था। इस प्रकार भगवान श्रीराम के आदेश पर सुग्रीव की सेना ने चारों दिशाओं में माता सोता की खोज की थी। अंत में दक्षिण दिशा में गए वानर दल में से हनुमान ने लंका में सीता को खोज निकाला था।
Ramayan Sita Ki Khoj | रामायण सीता की खोज हुई पूरी
जब दक्षिण दिशा में गया वानर दल रामेश्वरम में समुद्र के किनारे पहुँच गया तो आगे जाने का रास्ता नहीं बचा था। वहाँ बैठे गिद्धराज सम्पाती ने लंका नगरी का पता तो बता दिया था लेकिन वहाँ जाकर माता सीता को ढूंढा जाना आवश्यक था। ऐसे में जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाई।
अपनी शक्तियों के याद आ जाने पर हनुमान जी ने सौ योजन के उस विशाल समुद्र को पार कर लिया था। इस तरह से भक्त हनुमान के द्वारा सीता माता की खोज पूरी हो पाई थी और उन्होंने लंका पहुँच कर माता सीता को ढांढस भी बंधाया था। वहाँ से वापस लौटकर हनुमान जी ने श्रीराम को माता सीता का पता दिया। उसके बाद ही श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर रावण का वध किया था।
रामायण सीता की खोज के प्रश्न उत्तर
प्रश्न: सीता की खोज कब और किसने की थी?
उत्तर: सीता जी की खोज भक्त हनुमान के द्वारा महाराज सुग्रीव व श्रीराम के आदेश पर की गई थी। उन्होंने लंका नगरी में माता सीता को ढूंढ निकाला था।
प्रश्न: सीता को खोजने में कितना समय लगा?
उत्तर: सीता माता की खोज करने में लगभग एक माह का समय लग गया था। हालाँकि सीता हरण के बाद उनका पता 5 से 6 माह के बाद लगा था।
प्रश्न: सीता की खोज कैसे की जाए इसका निर्णय कैसे हुआ?
उत्तर: महाराज सुग्रीव व श्रीराम की अध्यक्षता में एक सभा बुलाई गई थी। उसी सभा में माता सीता को खोजने की रणनीति बनाई गई थी।
प्रश्न: हनुमान जी ने सीता का पता कैसे लगाएं?
उत्तर: हनुमान जी ने गिद्धराज संपाती के कहेनुसार लंका की ओर उड़ान भरी थी। उसके बाद माता सीता उन्हें मिल गई थी।
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