नरसिंह चालीसा PDF फाइल, अर्थ, महत्व व लाभ सहित

नरसिंह चालीसा (Narsingh Chalisa)

आज हम भगवान विष्णु के चौथे रूप को समर्पित नरसिंह चालीसा (Narsingh Chalisa) का पाठ करने जा रहे हैं। भगवान विष्णु के इस युग में दस पूर्ण अवतार हैं जिनमें से नौ अवतार हो चुके हैं तो तथा अंतिम अवतार भगवान कल्कि कलयुग के अंत में जन्म लेंगे। इन दस अवतारों में से भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार बहुत ही भीषण, प्रचंड व प्रलयंकारी रूप लिए हुए है।

इस भीषण रूप में उन्होंने अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था। नरसिंह भगवान की चालीसा का पाठ करने के साथ ही यदि उसका अर्थ भी जान लिया जाए तो इसका ज्यादा लाभ देखने को मिलता है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके साथ नरसिंह चालीसा हिंदी में भी साझा करेंगे ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें।

इतना ही नहीं, आज आपको नरसिंह चालीसा PDF (Narsingh Chalisa PDF) फाइल भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सेव कर सकते हैं। अंत में नरसिंह चालीसा पढ़ने के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं नरसिंह भगवान चालीसा हिंदी में।

Narsingh Chalisa | नरसिंह चालीसा

॥ दोहा ॥

मास वैशाख कृतिका युत,
हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन,
लियो नरसिंह अवतार॥

धन्य तुम्हारो सिंह तनु,
धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु,
पूरन हो सब काम॥

॥ चौपाई ॥

नरसिंह देव में सुमरों तोहि,
धन बल विद्या दान दे मोहि।

जय जय नरसिंह कृपाला,
करो सदा भक्तन प्रतिपाला।

विष्णु के अवतार दयाला,
महाकाल कालन को काला।

नाम अनेक तुम्हारो बखानो,
अल्पबुद्धि में ना कछु जानों।

हिरणाकुश नृप अति अभिमानी,
तेहि के भार मही अकुलानी।

हिरणाकुश कयाधू के जाये,
नाम भक्त प्रहलाद कहाये।

भक्त बना विष्णु को दासा,
पिता कियो मारन परसाया।

अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा,
अग्निदाह कियो प्रचंडा।

भक्त हेतु तुम लियो अवतारा,
दुष्ट-दलन हरण महिभारा।

तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे,
प्रह्लाद के प्राण पियारे।

प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा,
देख दुष्ट-दल भये अचंभा।

खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा,
ऊर्ध्व केश महादष्ट्र विराजा।

तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा,
को वरने तुम्हरों विस्तारा।

रूप चतुर्भुज बदन विशाला,
नख जिह्वा है अति विकराला।

स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी,
कानन कुंडल की छवि न्यारी।

भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा,
हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हे नित ध्यावे,
इंद्र महेश सदा मन लावे।

वेद पुराण तुम्हरो यश गावे,
शेष शारदा पारन पावे।

जो नर धरो तुम्हरो ध्याना,
ताको होय सदा कल्याना।

त्राहि-त्राहि प्रभु दुःख निवारो,
भव बंधन प्रभु आप ही टारो।

नित्य जपे जो नाम तिहारा,
दुःख व्याधि हो निस्तारा।

संतान-हीन जो जाप कराये,
मन इच्छित सो नर सुत पावे।

बंध्या नारी सुसंतान को पावे,
नर दरिद्र धनी होई जावे।

जो नरसिंह का जाप करावे,
ताहि विपत्ति सपनें नही आवे।

जो कामना करे मन माही,
सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।

जीवन मैं जो कछु संकट होई,
निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।

रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई,
ताकि काया कंचन होई।

डाकिनी-शाकिनी प्रेत बेताला,
ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।

प्रेत पिशाच सबे भय खाए,
यम के दूत निकट नहीं आवे।

सुमर नाम व्याधि सब भागे,
रोग-शोक कबहूं नही लागे।

जाको नजर दोष हो भाई,
सो नरसिंह चालीसा गाई।

हटे नजर होवे कल्याना,
बचन सत्य साखी भगवाना।

जो नर ध्यान तुम्हारो लावे,
सो नर मनवांछित फल पावे।

बनवाए जो मंदिर ज्ञानी,
हो जावे वह नर जग मानी।

नित-प्रति पाठ करे इक बारा,
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।

नरसिंह चालीसा जो जन गावे,
दुःख दरिद्र ताके निकट न आवे।

चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे,
सो नर जग में सब कुछ पावे।

यह श्री नरसिंह चालीसा,
पढ़े रंक होवे अवनीसा।

जो ध्यावे सो नर सुख पावे,
तोही विमुख बहु दुःख उठावे।

शिव स्वरूप है शरण तुम्हारी,
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी।

॥ दोहा ॥

चारों युग गायें
तेरी महिमा अपरम्पार।
निज भक्तनु के प्राण हित
लियो जगत अवतार॥

नरसिंह चालीसा जो पढ़े
प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे
वैभव बढ़े अपार॥

नरसिंह चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार॥

धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम॥

भगवान विष्णु ने वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को सोमवार के दिन इस धरती से पाप का अंत करने के लिए नरसिंह अवतार लिया था। आपका यह सिंह रूप बहुत ही धन्य है और आपका नाम भी धन्य है। आपके केवल सुमिरन मात्र से ही हमारे सभी काम बन जाते हैं।

॥ चौपाई ॥

नरसिंह देव में सुमरों तोहि, धन बल विद्या दान दे मोहि।

जय जय नरसिंह कृपाला, करो सदा भक्तन प्रतिपाला।

विष्णु के अवतार दयाला, महाकाल कालन को काला।

नाम अनेक तुम्हारो बखानो, अल्पबुद्धि में ना कछु जानों।

हे नरसिंह भगवान!! मैं आपका ही ध्यान करता हूँ। अब आप मुझे धन, शक्ति व विद्या का दान दें। नरसिंह भगवान की जय हो, जय हो। वे हम सभी पर कृपा करते हैं और अपने भक्तों के मान की रक्षा करते हैं। वे भगवान विष्णु के ऐसे अवतार हैं जो महाकाल के भी काल हैं। आपके तो अनेक नाम हैं और मैं अज्ञानी उन्हें कैसे जान पाऊंगा।

हिरणाकुश नृप अति अभिमानी, तेहि के भार मही अकुलानी।

हिरणाकुश कयाधू के जाये, नाम भक्त प्रहलाद कहाये।

भक्त बना विष्णु को दासा, पिता कियो मारन परसाया।

अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा, अग्निदाह कियो प्रचंडा।

एक समय में यह धरती हिरण्यकश्यप के अधर्म से बहुत भारी हो गयी थी और उसे सहन नहीं कर पा रही थी। तब हिरण्यकश्यप का अपनी पत्नी से प्रह्लाद नाम का पुत्र हुआ। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त बन गया। यह देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को नाना प्रकार की यातनाएं दी। उसने अस्त्र-शस्त्रों सहित कई माध्यम से प्रह्लाद को दंड देने या उसका वध करने का प्रयास किया और अंत में उसे अपनी बहन होलिका के साथ अग्नि में बिठा दिया।

भक्त हेतु तुम लियो अवतारा, दुष्ट-दलन हरण महिभारा।

तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे, प्रह्लाद के प्राण पियारे।

प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा, देख दुष्ट-दल भये अचंभा।

खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा, ऊर्ध्व केश महादष्ट्र विराजा।

तब आपने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह का अवतार लिया। उस रूप में आप दुष्टों की सेना का नाश करके धरती को पापमुक्त करना चाहते थे। भक्त आपके हैं तो आप भक्तों के हैं और उनमें भक्त प्रह्लाद तो आपको अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हैं। उस समय आपने भवन के खंभे को फाड़ दिया और उसमें से नरसिंह अवतार में प्रकट हुए जिसे देखकर दैत्यों की सेना आश्चर्यचकित रह गयी। आपकी जीभ तलवार के समान तेज, शरीर सुंदर व बाल बिखरे हुए थे।

तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा, को वरने तुम्हरों विस्तारा।

रूप चतुर्भुज बदन विशाला, नख जिह्वा है अति विकराला।

स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी, कानन कुंडल की छवि न्यारी।

भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा, हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।

आपका शरीर तपते हुए सोने के समान क्रोध की अग्नि में जल रहा था और मैं किस मुहं से उसका वर्णन करूँ। आपकी चार भुजाएं थी और शरीर बहुत ही विशाल था। आपके नाखून अत्यधिक बड़े और प्रलयंकारी थे। आपने सिर पर सोने का मुकुट और कानो में कुंडल पहन रखे थे। आपने हिरण्यकश्यप का अपने नाखूनों से वध कर दिया और भक्त प्रह्लाद का उद्धार किया।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हे नित ध्यावे, इंद्र महेश सदा मन लावे।

वेद पुराण तुम्हरो यश गावे, शेष शारदा पारन पावे।

जो नर धरो तुम्हरो ध्याना, ताको होय सदा कल्याना।

त्राहि-त्राहि प्रभु दुःख निवारो, भव बंधन प्रभु आप ही टारो।

भगवान ब्रह्मा व विष्णु आपका ही ध्यान करते हैं और इंद्र देव व महादेव का मन आपके ऊपर ही लगा हुआ है। वेदों व पुराणों में भी आपकी महिमा का वर्णन किया गया है और शेषनाग व शारदा माता भी आपको पार नहीं पा सकते हैं। जो मनुष्य आपका ध्यान करता है, उसका कल्याण हो जाता है। हे प्रभु!! अब आप मेरे दुःख दूर कर दीजिये और इस विश्व के बंधनों से मुक्त कर दीजिये।

नित्य जपे जो नाम तिहारा, दुःख व्याधि हो निस्तारा।

संतान-हीन जो जाप कराये, मन इच्छित सो नर सुत पावे।

बंध्या नारी सुसंतान को पावे, नर दरिद्र धनी होई जावे।

जो नरसिंह का जाप करावे, ताहि विपत्ति सपनें नही आवे।

जो नरसिंह भगवन का नाम प्रतिदिन लेता है, उसे सभी तरह के दुखों व रोगों से मुक्ति मिलती है। यदि किसी मनुष्य को संतान नहीं हो रही है तो नरसिंह चालीसा के जाप से उसे संतान मिलती है। बाँझ नारी को योग्य संतान मिलती है तो निर्धन को धन मिलता है। जो भी नरसिंह भगवान की चालीसा का जाप करवाता है, उसके ऊपर किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आती है।

जो कामना करे मन माही, सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।

जीवन मैं जो कछु संकट होई, निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।

रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई, ताकि काया कंचन होई।

नरसिंह भगवान की कृपा से हमारे मन की हरेक कामना पूरी होती है। नरसिंह भगवान के ध्यान से हमारे जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति के द्वारा नरसिंह चालीसा का पाठ करने से वह रोगमुक्त हो जाता है और उसका शरीर पहले से ज्यादा बलवान हो जाता है।

डाकिनी-शाकिनी प्रेत बेताला, ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।

प्रेत पिशाच सबे भय खाए, यम के दूत निकट नहीं आवे।

सुमर नाम व्याधि सब भागे, रोग-शोक कबहूं नही लागे।

नरसिंह चालीसा से डाकिनी, शाकिनी, प्रेत, बेताल, ग्रह दोष, यमदूत, काल, पिशाच, भूत इत्यादि सब भाग जाते हैं और वे हमारे निकट नहीं आते हैं। नरसिंह भगवान के सुमिरन से ही यह सभी बाधाएं दूर भाग जाती हैं और हमें किसी भी प्रकार का रोग या शोक नहीं सताता है।

जाको नजर दोष हो भाई, सो नरसिंह चालीसा गाई।

हटे नजर होवे कल्याना, बचन सत्य साखी भगवाना।

जो नर ध्यान तुम्हारो लावे, सो नर मनवांछित फल पावे।

यदि किसी व्यक्ति के ऊपर किसी की काली नज़र है या काला जादू किया हुआ है या उसे किसी अन्य तरह का नज़र दोष है तो वह सभी भी नरसिंह चालीसा के माध्यम से दूर हो जाते हैं। जो मनुष्य नरसिंह जी की चालीसा का पाठ करता है, उसके मन की हरेक इच्छा पूरी हो जाती है।

बनवाए जो मंदिर ज्ञानी, हो जावे वह नर जग मानी।

नित-प्रति पाठ करे इक बारा, सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।

नरसिंह चालीसा जो जन गावे, दुःख दरिद्र ताके निकट न आवे।

जो व्यक्ति नरसिंह भगवान का मंदिर बनवाता है, उसका इस विश्व में मान बढ़ता है। जो प्रतिदिन एक बार भगवान नरसिंह चालीसा का पाठ करता है, वह नरसिंह भगवान को बहुत प्रिय होता है। जो नरसिंह चालीसा का जाप करता है, उसे दुःख, गरीबी इत्यादि नहीं सताती है।

चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे, सो नर जग में सब कुछ पावे।

यह श्री नरसिंह चालीसा, पढ़े रंक होवे अवनीसा।

जो ध्यावे सो नर सुख पावे, तोही विमुख बहु दुःख उठावे।

शिव स्वरूप है शरण तुम्हारी, हरो नाथ सब विपत्ति हमारी।

जो नरसिंह देव की चालीसा को पढ़ता है या पढ़वाता है, उसे इस जगत में सब कुछ मिल जाता है। इस नरसिंह चालीसा को पढ़ने से तो रंक भी राजा बन जाता है। जो नरसिंह भगवान का ध्यान करता है, वह सुख को पाता है और जो उनसे मुख मोड़ लेता है, वह दुःख का भागी बनता है। हम सभी आपकी शरण में आये हैं और अब आप हमारी सब विपत्तियों को दूर कर दीजिये।

॥ दोहा ॥

चारों युग गायें तेरी महिमा अपरम्पार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार॥

नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार॥

आपकी महिमा का वर्णन तो चारों युगों में हो रहा है। आपने अपने भक्त प्रह्लाद के मान की रक्षा करने के लिए इस धरती पर अवतार लिया था। जो कोई भी सौ बार प्रेम सहित नरसिंह चालीसा का पाठ कर लेता है, उसके घर में आनंद व वैभव कभी समाप्त नहीं होता है।

नरसिंह चालीसा PDF | Narsingh Chalisa PDF

अब हम Narsingh Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: नरसिंह चालीसा PDF

ऊपर आपको लाल रंग में नरसिंह चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

नरसिंह भगवान चालीसा का महत्व

भगवान विष्णु के द्वारा लिए गए सभी अवतारों का अपना-अपना महत्व है। इसमें उन्होंने रामकृष्ण के रूप में मानवीय जीवन व सोलह संस्कारो का पालन किया था जिनकी कथाएं हम पढ़ते रहते हैं। वहीं अन्य अवतार कुछ समय के लिए या एक ही उद्देश्य की प्राप्ति के लिए लिए गए थे किन्तु भगवान परशुराम इसमें एक अपवाद हैं। अब जो उनका नरसिंह अवतार था, वह अल्पकाल के लिए ही था लेकिन उनका उद्देश्य बहुत बड़ा था।

इस अवतार में उन्होंने एक बारी में ही दैत्य व पाताल नगरी के राजा हिरण्यकश्यप को भगवान ब्रह्मा जी से मिले वरदान को निष्फल करते हुए अपने नाखूनों से उसके सीने को फाड़कर उसका वध कर दिया था तथा अपने भक्त प्रह्लाद को दैत्य नगरी का अगला राजा नियुक्त किया था। तो नरसिंह चालीसा के माध्यम से भगवान नरसिंह के गुणों, कार्यों, शक्तियों तथा महत्व का वर्णन किया गया है। यही भगवान नरसिंह चालीसा का महत्व होता है।

नरसिंह चालीसा पढ़ने के लाभ

अब यदि आप नित्य रूप से भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए नरसिंह चालीसा का पाठ करते हैं तो उसके एक नहीं बल्कि कई लाभ देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है तथा हमारे जीवन में आ रही हरेक बाधा व संकट का समाधान हो जाता है। भगवान नरसिंह अपने भक्तों के किसी भी शत्रु, बाधा, संकट व विपदा को हरने में सक्षम हैं।

ऐसे में जो भक्तगण प्रतिदिन नरसिंह भगवान की चालीसा का पाठ कर रहा है, उसके जीवन में कोई भी विपत्ति नहीं आती है और यदि आती भी है तो वह उसका सरलता से सामना कर पाने में सक्षम होता है। इसी के साथ ही भगवान नरसिंह की कृपा से हमारी उन्नति होती है तथा हमें वह सब मिल जाता है, जिसकी हम कामना करते हैं। यही नरसिंह चालीसा को पढ़ने के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने नरसिंह चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Narsingh Chalisa) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने नरसिंह चालीसा पढ़ने के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको नरसिंह चालीसा PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नरसिंह चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान ने नरसिंह अवतार क्यों लिया?

उत्तर: विष्णु भगवान ने अपना नरसिंह अवतार इसलिए लिया था ताकि वे दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध कर अपने भक्त प्रह्लाद को पाताल लोक का राजा नियुक्त कर सकें।

प्रश्न: भगवान नरसिंह ने किसका वध किया था?

उत्तर: भगवान नरसिंह ने दैत्यों व पाताल नगरी के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था क्योंकि वह धर्म विरुद्ध कार्य कर रहा था।

प्रश्न: नरसिंह को हिंदी में क्या बोलते हैं?

उत्तर: नरसिंह हिंदी भाषा का ही शब्द है जो दो शब्दों में मेल से बना है। इसमें नर का अर्थ मनुष्य से तथा सिंह का अर्थ शेर से है। भगवान विष्णु ने मनुष्य व शेर का मिला हुआ रूप लिया था जिस कारण उनका नाम नरसिंह पड़ा।

प्रश्न: भगवान नरसिंह कैसे शांत हुए?

उत्तर: दैत्य हिरण्यकश्यप का वध करने के पश्चात भी भगवान नरसिंह क्रोध में फुंफकार रहे थे किन्तु अपने भक्त प्रह्लाद को देखकर वे शांत हो गए थे।

प्रश्न: नरसिंह किसका अवतार है?

उत्तर: भगवान विष्णु के इस युग के दस अवतारों में से भगवान नरसिंह उनका चौथा अवतार है जिसका उद्देश्य दैत्य नगरी के राजा हिरण्यकश्यप का वध करना तथा अपने भक्त को वहां का राजा नियुक्त करना था।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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