आज हम आपको राहु केतु की कहानी (Rahu And Ketu Story In Hindi) सुनाएँगे। राहु केतु को हिंदू धर्म में अत्यंत अशुभ माना जाता है तथा उनके प्रकोप से हर कोई डरता है। उनका रूप भी बहुत भयानक है। इसमें राहु का केवल धड़ है और शरीर नहीं है जबकि केतु का शरीर है और धड़ नहीं।
ऐसे में राहु और केतु का जन्म कैसे हुआ तथा उनका सूर्य व चंद्रमा से क्या संबंध है? वह इसलिए क्योंकि जब भी सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण होता है तो वह राहु केतु के कारण ही होता है। इसलिए आज हम राहु और केतु की कहानी (Rahu Ketu Ki Kahani) के बारे में जानेंगे तथा ग्रहण लगने से उनका क्या संबंध है, इसका पता लगाएंगे।
Rahu And Ketu Story In Hindi | राहु केतु की कहानी
राहु और केतु की यह कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। आप सभी ने वह कहानी सुनी होगी जब देवता और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन का काम किया गया था। इसके लिए स्वयं भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर मंदार पर्वत का भार अपनी पीठ पर लिया था। वहीं विष्णु जी के शेषनाग की सहायता से देव और दानवों ने समुद्र मंथन का काम किया था।
इस समुद्र मंथन के कारण उसमें से कई बहुमूल्य रत्न निकले थे। उसी मंथन में अमृत कलश भी निकला था जिसे पीकर कोई भी अमरत्व को पा सकता था। इस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं तथा दानवों के बीच 12 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध के बीच में अमृत कलश से चार बूंदे पृथ्वी पर गिरी थी जिस कारण हम कुंभ मेले का आयोजन करते हैं। युद्ध के अंतिम दिन ही राहु केतु का जन्म हुआ था। आइए जाने कैसे।
-
विष्णु का मोहिनी अवतार
देव-दानवों का यह युद्ध बारह दिनों तक चला था। फिर भी इसका कोई हल नहीं निकल पाया था। यदि यह अमृत कलश दानवों के हाथ लग जाता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो सकता था। अंत में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देव दानवों का युद्ध शांत करवाया। भगवान विष्णु ने वह अमृत कलश देवताओं से ले लिया तथा देव दानवों को आमने-सामने दो अलग-अलग पंक्तियों में बिठा दिया।
-
स्वरभानु की कहानी
मोहिनी ने कहा कि वह बारी-बारी से दोनों को यह अमृत पिला देगी। योजनानुसार पहले वे देवताओं को अमृत पिलाने लगे लेकिन असुर स्वरभानु को भगवान विष्णु के द्वारा किए गए छल का आभास हो चुका था। इसलिए वह चुपके से भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में सूर्य तथा चंद्रमा के बीच जाकर बैठ गया।
-
सूर्य चंद्र और स्वरभानु
स्वरभानु ने देवता का रूप धारण किया हुआ था। जब भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिला रहे थे तब वे स्वरभानु को भी अमृत पिलाने लगे। उसके अगल-बगल में बैठे सूर्य और चंद्र देव को उसके राक्षस होने का पता चल गया और उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी।
-
स्वरभानु का वध
जैसे ही भगवान विष्णु को इसकी जानकारी मिली तो बे घबरा गए। उन्होंने तुरंत स्वरभानु के आगे से अमृत कलश हटा लिया। भगवान विष्णु अपने असली अवतार में आ गए और सुदर्शन चक्र का आह्वान किया। उन्होंने तुरंत ही सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का मस्तक काटकर अलग कर दिया।
-
Rahu Ketu Ki Kahani | राहु केतु का जन्म
जब तक भगवान विष्णु ने स्वरभानु का गला काटा तब तक अमृत की कुछ बूँदें उसने पी ली थी। इस कारण वह अमर हो चुका था। मस्तक कटने के बाद भी उसकी मृत्यु नहीं हुई तथा उसका धड़ व सिर दोनों जीवित रहे। उसका कटा हुआ सिर भगवान विष्णु के सामने हँसता रहा और यह देखकर सभी देवता भी घबरा गए।
स्वरभानु के इसी सिर को आज हम राहु तथा धड़ को केतु के नाम से जानते हैं। सूर्य तथा चंद्रमा के द्वारा भगवान विष्णु को उसके बारे में सूचना देने के कारण वह आज तक उन पर ग्रहण लगाता है। इसी कारण हिंदू धर्म में राहु तथा केतु का प्रभाव अत्यंत कष्टदायक माना गया है।
Rahu Ketu Kya Hai | राहु केतु क्या है?
हिन्दू धर्म में राहु और केतु को पाप ग्रह या छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि यदि ये दोनों किसी व्यक्ति की कुंडली में सही जगह नहीं होते हैं तो उसको मृत्यु के समान दुःख देते हैं। अन्य कोई भी ग्रह किसी व्यक्ति का इतना नहीं बिगाड़ सकता जितना यह कर सकते हैं। शनि ग्रह भी बहुत शक्तिशाली होता है लेकिन वह मनुष्य को उसके कर्मों का दंड देता है जबकि राहु केतु को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है।
वहीं यदि राहु केतु व्यक्ति की कुंडली में सही जगह हैं तो यह लाभ भी वैसा ही देते हैं। इसके प्रभाव से सूर्य व चंद्रमा भी सही रहते हैं और व्यक्ति को धन लाभ होता है। इन्हें छाया ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य व चंद्रमा को अपनी छाया में लेकर उन पर ग्रहण लगा देते हैं। शास्त्रों में राहु केतु को रहस्यमयी ग्रह भी कहा गया है जिनका प्रभाव भी विचित्र होता है। यही कारण है कि लोगों के द्वारा राहु केतु ग्रह की शांति हेतु उपाय करवाए जाते हैं।
इस तरह से आपने राहु केतु की कहानी (Rahu And Ketu Story In Hindi) जान ली है। भगवान विष्णु के द्वारा उस समय जो भूल हुई थी, वह सूर्य, चंद्रमा को आज तक भुगतनी पड़ रही है। वहीं मनुष्य की कुंडली पर भी इनका अत्यधिक प्रभाव रहता है।
राहु और केतु की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: राहु केतु की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: राहु केतु की कभी मृत्यु नहीं हो सकती है क्योंकि उन्होंने अमृतपान किया हुआ है। राहु और केतु स्वरभानु दैत्य थे जिसका सिर भगवान विष्णु ने काटकर अलग कर दिया था।
प्रश्न: राहु केतु के देवता कौन है?
उत्तर: राहु के देवता माँ सरस्वती को माना गया है जबकि केतु के भगवान गणेश जी हैं। दोनों ग्रहों को शनि ग्रह का अनुचर भी माना जाता है।
प्रश्न: राहु का असली नाम क्या है?
उत्तर: राहु का असली नाम स्वरभानु है और केतु भी इसी का हिस्सा है। स्वरभानु का सिर राहु कहलाता है जबकि बाकी का शरीर केतु।
प्रश्न: राहु किसकी पूजा करता है?
उत्तर: राहु के इष्ट देवता तो माँ सरस्वती हैं लेकिन वह महाकाल की पूजा करता हुआ पाया जाता है। महाकाल भगवान शिव को माना जाता है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: