राम बाली संवाद में छुपा है बाली वध का रहस्य

रामायण बाली (Ramayan Bali)

रामायण में बाली वध (Ramayan Bali Vadh) एक ऐसी घटना थी जिस पर आज तक कुछ लोगों के द्वारा प्रश्न चिन्ह उठाए जाते हैं। लोग पूछते हैं कि भगवान राम ने अपने जीवन में हमेशा धर्म का पालन किया व शत्रु पर कभी भी छुपकर वार नहीं किया। फिर क्यों उन्होंने बाली को छुपकर व षडयंत्र के तहत मारा। यह एक ऐसा प्रश्न है जो कई लोगों के मन में उठता है।

अब यदि लोगों ने श्रीराम पर प्रश्न चिन्ह लगाने से पहले उनका अध्ययन किया होता तो वे कभी यह प्रश्न नहीं पूछते। वह इसलिए क्योंकि इस प्रश्न का उत्तर राम बाली संवाद (Ram Bali Samvad) के माध्यम से स्वयं भगवान राम ने दे दिया था। आइए जानते हैं मरने से पहले बाली ने श्रीराम से क्या प्रश्न किए थे और श्रीराम ने उनका क्या उत्तर दिया था।

Ramayan Bali Vadh | रामायण में बाली वध

बाली को भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि युद्ध भूमि में बाली को अपने प्रतिद्वंद्वी की आधी शक्ति मिल जाएगी। साथ ही उसके शत्रु की आधी शक्ति कम हो जाएगी। इस तरह से बाली के सामने चाहे कोई भी आ जाए, अन्तंतः बाली को ही उस पर विजयी होना था। उसने तो स्वयं राक्षस राजा रावण तक को भी इसी वरदान के फलस्वरूप पारित कर दिया था।

इसी कारण श्रीराम व बाली के छोटे भाई सुग्रीव के द्वारा बाली वध (Ramayan Bali Vadh) की योजना बनाई जाती है। इसके अनुसार श्रीराम को बाली के सामने आकर नहीं बल्कि छुपकर वार करना था। वहीं सुग्रीव को उसे युद्ध के लिए ललकारना था। श्रीराम से आज्ञा पाकर सुग्रीव ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा और अपने अहंकार में चूर बाली भी युद्ध के लिए आ पहुँचा।

जब बाली अपने छोटे भाई सुग्रीव के साथ युद्ध कर रहा होता है तब भगवान श्रीराम छुपकर उसे अपने धनुष से तीर मारकर घायल कर देते हैं। यह तीर बाली की छाती को फाड़ता हुआ उसके हृदय तक जाता है जिससे वह अचेत होकर भूमि पर गिर जाता है। जब भगवान श्रीराम उसके सामने आते हैं तो बाली अत्यंत क्रोध से भर जाता है व भगवान श्रीराम से कुछ तीखे प्रश्न पूछता है।

Ram Bali Samvad | राम बाली संवाद

वह भगवान श्रीराम से पूछता है कि आप तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं फिर क्यों आपने मुझे पीछे से छुपकर अधर्म की भांति मारा व क्यों मुझे अपना शत्रु समझा व सुग्रीव को अपना मित्र?

इस पर भगवान श्रीराम बाली को बताते हैं कि उन्होंने सुग्रीव से मित्रता की है व मित्र का शत्रु मेरा भी शत्रु है। साथ ही वे सुग्रीव को सहायता का वचन दे चुके थे व रघुवंशी अपना वचन प्राण देकर भी पूरा करते हैं। इसलिए उन्होंने सुग्रीव की सहायता की व बाली का वध किया।

साथ ही वे बाली के द्वारा किए गए अधर्म के कार्य को याद दिलाते हुए कहते हैं कि किस तरह उसने अपने छोटे भाई सुग्रीव का कोई दोष ना होते हुए भी उसे भरी सभा में अपमानित करके उसे राज्य से निकाल दिया था। वे कहते हैं कि बड़े भाई का यह कर्तव्य होता है कि वह पिता की भाँति अपने छोटे भाई की गलतियों को क्षमा कर दे, ना कि उसे राज्य से निकाल दे व उसकी जान लेने को आतुर हो जाए।

दूसरा अधर्म का कार्य जो बाली ने किया था वह यह था कि उसने अपने छोटे भाई की पत्नी तारा को सुग्रीव के जीवित होते हुए व तारा की अनुमति के बिना अपनी पत्नी बनाकर राजमहल में रखा। यह धर्म के अनुसार बिल्कुल अनुचित कार्य था। भगवान राम के अनुसार बाली का वध करने के लिए केवल यही कारण मुख्य था। उनके अनुसार अपने छोटे भाई की पत्नी जो पुत्रवधू समान होती है उसे अपनी पत्नी बनने के लिए विवश करना बहुत बड़ा अधर्म था।

यह सब सुनने के बाद बाली प्रश्न करता है कि यदि वह गलत भी था तो भगवान श्रीराम को उसे दंड देने का क्या अधिकार था?

इस पर भगवान श्रीराम उसे कहते हैं कि यह संपूर्ण पृथ्वी ईश्वाकू वंश के अंतर्गत आती है व इस समय उसके राजा भरत हैं। राजा भरत की आज्ञा के अनुसार ही प्रभु श्रीराम इस दंडकारण्य वन में अधर्मी मनुष्यों को दंड देने का कार्य कर रहे थे। चूँकि बाली ने अधर्म का कार्य किया था इसलिए भगवान श्रीराम के द्वारा उसे दंड मिला।

साथ ही प्रभु श्रीराम ने बाली को मनुस्मृति का श्लोक पढ़कर सुनाया जिसमें राजा के द्वारा दंड प्राप्त व्यक्ति के दोष समाप्त हो जाते हैं। साथ ही यदि राजा उसे दंड ना दे तो स्वयं राजा को उस दंड को भोगना पड़ता है। इसलिए नीति व धर्म के अनुसार बाली का वध उचित था।

प्रभु श्रीराम के द्वारा अपनी सभी शंकाओं का समाधान होने पर बाली को अपने किए पर पछतावा हुआ। उसने उसी समय भगवान श्रीराम के चरणों में गिरकर उनसे क्षमा याचना की। साथ ही अपने पुत्र अंगद को आदेश दिया कि आगे से वह हमेशा भगवान श्रीराम की आज्ञा का पालन करेगा। यह कहकर बाली ने अपने प्राण त्याग दिए।

इस तरह से श्रीराम के द्वारा बाली वध (Ramayan Bali Vadh) पूर्ण रूप से न्यायोचित था। हालाँकि यह भी कहते हैं कि अपने अगले जन्म में बाली ज़रा नामक शिकारी के रूप में जन्मा था। इसी शिकारी का तीर भगवान विष्णु के अगले अवतार श्रीकृष्ण के पैरों में लगा था जिस कारण उनकी मृत्यु हुई थी।

बाली वध से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रामजी ने बाली को क्यों मारा था?

उत्तर: बाली ने अपने भाई सुग्रीव की पत्नी रूमा का उसकी इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक हरण किया था इस कारण श्रीराम ने उसे मारकर दंड दिया था

प्रश्न: बाली को कौन मार सकता था?

उत्तर: बाली को वही मार सकता था जो बलशाली होने के साथ साथ चतुर भी हो वह इसलिए क्योंकि बाली को सामने से कभी भी नहीं मारा जा सकता था

प्रश्न: बाली और रावण का क्या संबंध था?

उत्तर: बाली और रावण के बीच हुए युद्ध में बाली ने रावण को बुरी तरह पराजित किया था साथ ही उसे छह महीने तक अपमानित भी किया था

प्रश्न: बाली किसका बेटा है?

उत्तर: बाली को देवराज इंद्र का पुत्र माना जाता है वहीं उसकी माता ऋक्षराज को माना जाता है जो कि एक राक्षस से सुंदर स्त्री में बदल गई थी।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *