Ravan Charitra: रावण, कुंभकरण और विभीषण का चरित्र चित्रण

Ravan Charitra

रावण के चरित्र (Ravan Charitra) से तो सभी भलीभाँति परिचित होंगे लेकिन आज हम आपको रावण और उसके दोनों भाइयों का चरित्र चित्रण बताएँगे। दरअसल रावण, कुंभकरण व विभीषण तीनों सगे भाई थे जिनका जन्म ब्राह्मण-राक्षस कुल में हुआ था। उनके पिता ब्राह्मण ऋषि विश्रवा थे और माता राक्षस कुल की कैकसी थी।

भाई होने के पश्चात भी तीनों का स्वभाव एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत था। जहाँ सबसे बड़ा भाई रावण अहंकारी स्वभाव का था तो वहीं सबसे छोटे वाला भाई विभीषण भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता (Vibhishan Charitra) था। मंझला भाई कुंभकरण (Kumbhkaran Charitra) अपने दोनों भाइयों रावण व विभीषण का मिला जुला रूप था। आइए आज हम रावण, कुंभकरण और विभीषण तीनों के चरित्र के बारे में एक-एक करके जान लेते हैं।

Ravan Charitra | रावण चरित्र

रावण महादेव का भक्त था व सभी वेदों-शास्त्रों का ज्ञाता भी। उसने भगवान ब्रह्मा व शिव से अनेक वरदान प्राप्त किए थे। इसी कारण वह अजेय हो गया था। रावण अपने पिता से प्रेम नहीं करता था वह बचपन से ही अपनी माँ के ज्यादा करीब था। इसलिए उसने केवल अपनी माँ के कुल के आचार-विचार ही ग्रहण किए और पिता के गुणों का उसमें अभाव था।

माँ के राक्षस कुल के गुणों का उसके अंदर पूर्णतया समावेश था जिसके कारण उसके अंदर दया की भावना, परिवार प्रेम, स्त्री लज्जा, जीव हत्या इत्यादि मूल भावनाओं की कमी हो गई थी। अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, स्त्री लालसा, भोग विलासिता की भावनाएं उसमें प्रबल थी।

इसी कारण रावण ने कभी अपनों का भी आदर नहीं किया व हर पराई स्त्री को तुच्छ व भोग की दृष्टि से ही देखा। रावण ने एक समय के बाद तो अपनी माँ की बात सुननी भी बंद कर दी थी। उसके अंदर बड़ों का कोई सम्मान नहीं था व विश्व के हर प्राणी को वह अपने सामने तुच्छ समझता था।

Vibhishan Charitra | विभीषण चरित्र

अपने भाई रावण के बिल्कुल विपरीत विभीषण भगवान में श्रद्धा रखने वाले व्यक्तित्व का था। उसका शुरू से ही अपनी माँ से कम और पिता से ज्यादा जुड़ाव था। इसी कारण वह राक्षस नगरी लंका में रहने के बाद भी भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह नित्य भगवान विष्णु की आराधना करता व रावण को भी यही समझाता था।

पिता से मिले गुणों के कारण वह पराई स्त्री को सम्मान की दृष्टि से देखता था। वह कोई भी निर्णय भविष्य के परिणाम इत्यादि को देखते हुए लेता था। इसलिए जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था व भगवान राम उनसे युद्ध की तैयारी कर रहे थे तब विभीषण ने अंत समय तक अपने भाई व लंका नरेश रावण को सही मार्ग पर लाने का कठोर प्रयास किया था। किंतु उसकी गलत बात में हाँ नहीं मिलाई। इसी का परिणाम था कि रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया था।

Kumbhkaran Charitra | कुंभकरण चरित्र

कुंभकरण दोनों भाइयों रावण व विभीषण का समावेश था। उसे अपने ब्राह्मण पिता से भी प्रेम था व राक्षस माता से भी। इसलिए उसने बचपन से ही दोनों का अनुसरण किया था व दोनों के ही गुणों को ग्रहण किया था। इसी का प्रभाव था कि उसके अंदर धार्मिक कार्यों को करने के साथ-साथ राक्षसी प्रवत्ति के गुण भी आ गए थे। चूँकि वह भी अपने भाई रावण के जैसे जीव हत्या, मानव हत्या, स्त्री लालसा रखता था। लेकिन उसके अंदर धर्म के गुणों के कारण वह किसी पराई स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध हरण करने के विरुद्ध था।

इसलिए जब रावण ने भगवान श्रीराम से युद्ध में बुरी तरह पराजित होने के पश्चात कुंभकरण को उठाया तो अपने भाई के द्वारा किए गए अधर्म के कार्य को देखकर कुंभकरण ने पहले उन्हें समझाने का प्रयत्न किया। किंतु रावण की भ्रष्ट बुद्धि देखकर उसने अंत में उनका साथ देने का निर्णय लिया। साथ ही रावण को चेतावनी दी कि वह शायद ही इस युद्ध के बाद जीवित रहे। परिणाम पता होने के पश्चात भी कुंभकरण अपने भाई से प्रेम व राजा की आज्ञा होने के कारण स्वयं नारायण से युद्ध करने गया।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने रावण का चरित्र चित्रण (Ravan Charitra) जान लिया है। उसी के साथ ही उसके दोनों छोटे भाइयों कुंभकरण और विभीषण का चरित्र कैसा था, इसका भी पता लगा लिया है।

रावण के चरित्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रावण के अच्छे गुण क्या थे?

उत्तर: रावण में कोई भी अच्छा गुण नहीं था वह इसलिए क्योंकि उसने अपनी सभी अच्छी चीजों या गुणों को दुर्गुणों में बदल लिया था यदि आप रावण के अच्छे गुण जानने को उत्सुक हैं तो पहले आप आत्म-मंथन कीजिए कि आपके अंदर किस तरह के गुण हैं।

प्रश्न: रावण का असली नाम क्या है?

उत्तर: रावण का असली नाम रावण ही था जो उसे उसके माता-पिता ने दिया था हालाँकि उसे लंकापति या दशानन के नाम से भी जाना जाता था

प्रश्न: रावण की कमजोरी क्या है?

उत्तर: रावण की कमजोरी थी अपनी शक्ति का अहंकार होना और सभी को अपने सामने तुच्छ समझना इसी कारण उसका अंत हो गया था

प्रश्न: पिछले जन्म में रावण कौन था?

उत्तर: अपने पिछले जन्म में रावण हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस था जिसका भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में वध कर दिया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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