क्या आपने कभी सोचा है कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों करते हैं (Diwali Par Laxmi Puja Kyon Hoti Hai) और श्रीराम की नहीं!! हम हर वर्ष श्रीराम के चौदह वर्ष का वनवास काटने व पापी रावण का अंत करने के पश्चात पुनः अयोध्या लौटने की खुशी में दिवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
क्या आपने कभी सोचा हैं कि इस दिन श्रीराम की बजाए माता लक्ष्मी की पूजा मुख्य रूप से क्यों की जाती हैं? ऐसे में आज हम आपको बताएँगे कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों होती है (Diwali Me Laxmi Puja Kyon Hoti Hai) और इसके क्या कुछ कारण है। आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजन क्यों करते हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों करते हैं?
वैसे तो हम दिवाली मनाते ही इसलिए हैं क्योंकि त्रेता युग में भगवान श्रीराम अपना वनवास समाप्त कर इसी दिन अयोध्या लौटे थे। उसके बाद ही उनका राज्याभिषेक हुआ था और राम राज्य की स्थापना हुई थी। उस समय उनके द्वारा किए गए शासन को आज तक का सबसे सर्वश्रेष्ठ शासन माना जाता है। बस इसलिए हम सभी हर वर्ष दीपावली को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
हालाँकि दिवाली को श्रीराम के नाम पर मनाने के साथ ही हम दिवाली की पूजा माँ लक्ष्मी के नाम की करते हैं। इसके पीछे लक्ष्मी माता की एक नहीं बल्कि तीन-तीन कथाएं (Diwali Par Laxmi Puja Kyon Hoti Hai) है। इन्हें पढ़कर आपको पता चल जाएगा कि आखिरकार किस कारण से हम सभी दिवाली पर लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। चलिए एक-एक करके इन तीनो कथाओं के बारे में जान लेते हैं।
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माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विवाह
यह कथा त्रेता युग से पहले की हैं जो समुंद्र मंथन के समय से जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि एक बार देवताओं के अहंकार से रुष्ट होकर माता लक्ष्मी पाताल लोक में चली गयी थी जो कि समुंद्र की गहराइयों में था। जब समुंद्र मंथन हुआ तो उसमे से माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई थी। यह दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा का दिन था जिसे हम शरद मास की पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। यह दिन लक्ष्मी माता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
मान्यता हैं कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति रूप में स्वीकार किया था जो कि दिवाली का ही दिन था। इसलिये इस दिन उनकी पूजा करने का महत्व हैं।
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माता लक्ष्मी का मृत्यु लोक पर आना
मान्यता हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने वैकुण्ठ धाम से मृत्यु लोक को आती हैं तथा अपने भक्तो के घरो में प्रवेश कर उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली की रात को माता लक्ष्मी का मृत्यु लोक पर आगमन होता हैं। इस दिन माता लक्ष्मी मृत्यु लोक पर भ्रमण पर निकलती हैं तथा अपने मनचाहे घर में प्रवेश करती हैं। इसके पीछे एक बूढ़ी स्त्री की कथा भी जुड़ी हुई हैं।
इसलिये लोग दिवाली के दिन अपने घरो को रोशन रखते हैं व रातभर अपने घर के द्वार बंद नही करते क्योंकि उस दिन लक्ष्मी माता कभी भी घर में प्रवेश कर सकती हैं। यदि द्वार बंद हैं तो लक्ष्मी माता नही आती। यह भी एक कारण है कि हम सभी दिवाली के दिन खासतौर पर लक्ष्मी माता की पूजा करते (Diwali Me Laxmi Puja Kyon Hoti Hai) हैं।
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लक्ष्मी माता और साहूकार की बेटी की कथा
इसे दिवाली पर लक्ष्मी जी की कहानी या व्रत कथा भी कह सकते हैं। जो भक्तगण दिवाली का व्रत रखते हैं, वे इसी कथा को सुनते हैं। दरअसल एक समय पहले साहूकार की बेटी थी जो कि निर्धन परिवार से थी। हालाँकि वह लक्ष्मी माता की बहुत बड़ी भक्त भी थी जिस कारण लक्ष्मी माता उसे अपनी मित्र बना लेती है। इसके लिए लक्ष्मी माता मनुष्य रूप लेकर उसके पास आती है।
एक दिन लक्ष्मी माता उसके घर आने का कहती है। साहूकार की बेटी शंका में पड़ जाती है कि वह अपनी मित्र की अच्छे से आवभगत नहीं कर पाएगी लेकिन वह मित्र की बात को भी नहीं ठुकराती। जब लक्ष्मी माता उनके घर आती है तो उसी के साथ ही साहूकार के घर की समृद्धि बढती चली जाती है। इसके बाद उन्हें कभी धन की कमी नहीं रहती है। वह दिवाली का ही दिन था जब यह घटना घटित हुई थी।
दिवाली पर लक्ष्मी-सरस्वती-गणेश की पूजा
इसके साथ ही हम देखते हैं कि दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ माता सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा भी अनिवार्य से रूप से की जाती हैं। मान्यता हैं कि जिस घर में माता लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा ना की जाए तो उस घर में माता लक्ष्मी का प्रवेश नही होता।
इस बात का आशय यह हुआ कि धन वही रहता हैं जहाँ विद्या व बुद्धि का समावेश होता हैं। बिना विद्या व बुद्धि के धन का कोई महत्व नही हैं। इसका पता हमे लकड़हारे की कथा से चलता हैं।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा
दिवाली की संध्या को लोग अपने घरो व दुकानों पर शुभ मुहूर्त पर माँ लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। उनकी पूजा करने के पश्चात ही बाकि अन्य काम किए जाते हैं। लोगो के लिए यह दिन नए वर्ष का प्रथम दिन भी होता हैं तथा व्यापारी इस दिन अपने बही-खातो इत्यादि की पूजा कर उन पर साथिया बनाते हैं व तिलक लगाते हैं तथा उसे लक्ष्मी माता के चरणों में रखते हैं ताकि वर्षभर उनके घर व व्यापर में माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहे।
इस तरह से आज आपने जान लिया है कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों करते हैं (Diwali Par Laxmi Puja Kyon Hoti Hai) और उसका क्या महत्व है। ऐसा नहीं है कि इस दिन हम श्रीराम की पूजा नहीं करते हैं लेकिन मुख्य पूजा माँ लक्ष्मी और उनके साथ माँ सरस्वती और भगवान गणेश की की जाती है।
दिवाली में लक्ष्मी पूजा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों होती है?
उत्तर: दिवाली पर लक्ष्मी माता से जुड़ी एक नहीं बल्कि तीन-तीन कहानियां है। इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न: दिवाली में लक्ष्मी पूजा क्यों होती है?
उत्तर: दिवाली में लक्ष्मी पूजा इसलिए होती है क्योंकि इसी दिन माँ लक्ष्मी वैकुंठ धाम से पृथ्वी लोक को आती है। उनके आने से हम सभी के घर में समृद्धि भी आती है।
प्रश्न: दीपावली पर राम की पूजा क्यों नहीं की जाती?
उत्तर: ऐसा नहीं है कि दीपावली पर भगवान राम की पूजा नहीं की जाती है। हालाँकि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा विशेष तौर पर की जाती है। उनके साथ माँ सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करने का भी विधान है।
प्रश्न: दिवाली पर भगवान राम की पूजा क्यों नहीं की जाती है?
उत्तर: यह एक भ्रम है कि दिवाली पर भगवान राम की पूजा नहीं की जाती है। इस दिन भगवान राम की पूजा होती है लेकिन विशेष पूजा माता लक्ष्मी की की जाती है।
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