क्या आपने कभी सोचा है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Mahashivratri Kyon Manae Jaati Hai)!! बहुत लोग कहेंगे कि इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। यह सत्य भी है लेकिन इस दिन से जुड़ी केवल यही कहानी नहीं है। हालांकि महाशिवरात्रि मनाने के पीछे का मुख्य कारण शिव-पार्वती का विवाह ही है लेकिन इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई कहानियां जुड़ी हुई हैं।
महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे प्रमुख त्यौहार है जो फाल्गुन मास में कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन सभी शिव भक्त उपवास रखते हैं व प्रातः काल जल्दी उठकर मंदिर जाते हैं। इस दिन के महत्व को देखते हुए आज हम इस लेख के माध्यम से आपके साथ महाशिवरात्रि की कहानी (Mahashivratri Story In Hindi) ही साझा करने वाले हैं।
Mahashivratri Kyon Manae Jaati Hai | महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि पांच-पांच कहानियां जुड़ी हुई है। साथ ही इन पांचों कहानियों का संबंध भी शिव जी से ही है। इसमें से एक तो महाशिवरात्रि व्रत कथा है तो वहीं एक शिव जी के माता पार्वती के विवाह से जुड़ी हुई है। वहीं तीन अन्य कथाएं ब्रह्मा-विष्णु के बीच हुए विवाद, समुंद्र मंथन के समय विष निकलने और माता सती के आत्म-दाह से जुड़ी हुई है।
इन पाँचों कहानियों को पढ़कर आपको यह अच्छे से समझ में आ जाएगा कि महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं!! आइए एक-एक करके इन पाँचों कहानियों के बारे में जान लेते हैं।
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भगवान शिव का अग्निलिंग के रूप में प्रकट होना
एक बार भगवान ब्रह्मा व भगवान विष्णु के बीच में इस बात पर विवाद हुआ कि दोनों में से कौन महान है। भगवान ब्रह्मा कहते कि मैं सबसे महान हूँ तो भगवान विष्णु ने स्वयं को सबसे महान बताया। उनके इस विवाद को समाप्त करने के लिए भगवान शिव अपने अग्निलिंग अवतार में दोनों के सामने प्रकट हुए जिसका ना ही कोई आदि था व ना ही कोई अंत।
तब भगवान ब्रह्मा व विष्णु अपने-अपने वाहनों हंस व गरुड़ पर बैठकर अग्निलिंग के दोनों छोर पर उसकी शुरुआत व अंत ढूंढने गए। दोनों ने बहुत दूरी तय की व अंत में थक कर दोनों ने भगवान शिव को सबसे महान माना। तब से भगवान शिव के अग्निलिंग के रूप की भी पूजा की जाती है। विस्तार से पढ़ें…
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भगवान शिव का रूद्र रूप
आप सभी जानते होंगे कि भगवान शिव का विवाह माता सती से हुआ था जो उनकी प्रथम पत्नी थी। वैसे तो भगवान शिव ने वैराग्य भाव अपनाया हुआ था जिनको सांसारिक मोह-माया से कोई अंतर नहीं पड़ता था किंतु वे अपनी पत्नी को बहुत प्रेम करते थे। एक दिन उनके ससुर दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें भगवान शिव व माता सती को नहीं बुलाया गया था किंतु माता सती हठ करके उस यज्ञ में चली गई थी।
वहां अपने पति का अपमान देखकर माता सती ने उसी यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। अपनी पत्नी की मृत्यु के वियोग से भगवान शिव इतने ज्यादा क्रोधित हो गए थे कि उन्होंने रूद्र रूप धारण कर लिया था व भयानक तांडव नृत्य किया था। विस्तार से पढ़ें…
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शिव-पार्वती का विवाह
माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव लंबी साधना में चले गए थे व उन्होंने सब कुछ त्याग दिया था। तब पृथ्वी पर माता सती ने ही पुनः जन्म लिया जिनका नाम पार्वती था। पार्वती माता ने शिव से पुनः विवाह करने के लिए लंबी साधना की थी। उनकी वर्षों की तपस्या का ही फल था कि शिवजी पुनः उनसे विवाह करने को मान गए थे।
हालांकि शिव को इस साधना से उठाना आसान कार्य नहीं था और इसके लिए कामदेव को अपनी आहुति देनी पड़ी थी। जब शिव जी पुनः उठे और उन्हें माता सती के पुनर्जन्म माता पार्वती के बारे में पता चला, तो उन्होंने बिना संकोच के उनसे विवाह कर लिया। इसे ही मुख्य तौर पर महाशिवरात्रि की कहानी (Mahashivratri Story In Hindi) माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव के जीवन में फिर से खुशियाँ आई थी।
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भगवान शिव का विष पीना
भगवान विष्णु के आदेशानुसार सभी देवता व दानव समुंद्र मंथन का कार्य कर रहे थे। जैसे-जैसे वे सभी समुंद्र को मथ रहे थे वैसे-वैसे ही उसमें से बहुमूल्य रत्न निकल रहे थे। पर कहते हैं ना कि हर अच्छी चीज बुरी चीज के बिना संभव नहीं। सभी का मुख्य उद्देश्य समुंद्र मंथन से अमृत निकालना था किंतु अमृत के निकलने से पहले समुंद्र से अथाह मात्रा में विष निकला जो कि पूरी सृष्टि को नष्ट कर सकता था।
जैसे ही विष निकला तब सभी देवताओं व दानवों में हाहाकार मच गया व सभी ने मिलकर महादेव से सहायता मांगी। तब महादेव ने सृष्टि को बचाने के उद्देश्य से सारा विष पी लिया किंतु माता पार्वती ने अपने प्रभाव से उस विष को भगवान शिव के कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया। तभी से उनका नाम नीलकंठ भी पड़ा। विस्तार से पढ़ें…
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शिकारी को मोक्ष मिलने की कथा
महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं, उससे जुड़ी व्रत कथा अब आप जानेंगे। शिकारी की इस कथा से ही महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखने व शिवजी को बिल्व पत्र चढ़ाने इत्यादि की प्रथा शुरू हुई। दरअसल चित्रभानु नाम का शिकारी था जो एक दिन जंगल में शिकार करने गया हुआ था। उस दिन उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था किंतु जब उसे एक हिरण दिखाई दिया तो उसने उसके गर्भवती होने के कारण छोड़ दिया।
उस शिकारी के साथ इस प्रकार की घटना कई बार हुई किंतु उसने हर बार शिकार नहीं किया व अपनी भूख को दबाए रखा। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हो गए व साथ ही उस दिन महाशिवरात्रि का भी दिन था। इसलिए भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए व उस शिकारी को मोक्ष प्रदान किया। विस्तार से पढ़ें…
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Mahashivratri Kyon Manae Jaati Hai), के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। आशा है कि अब आपको महाशिवरात्रि के इतिहास का पूरा ज्ञान मिल गया होगा।
महाशिवरात्रि मनाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हिंदू धर्म में महा शिवरात्रि क्या है?
उत्तर: हिंदू धर्म में महा शिवरात्रि का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ था। उसके बाद से ही यह दिन भक्तों के बीच प्रसिद्ध हो गया।
प्रश्न: महाशिवरात्रि का जन्म कब हुआ?
उत्तर: महाशिवरात्रि सनातन पर्व है जिसके जन्म या शुरुआत की कोई समय सीमा नहीं है। यह भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न: महाशिवरात्रि की रचना किसने की?
उत्तर: महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान शिव को समर्पित है। इसकी रचना करने वाले स्वयं महादेव हैं। इससे जुड़ी पांच कहानियों का संबंध भी उन्हीं से ही है।
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