Ramayana Tara| रामायण में तारा कौन थी? जाने उसकी कहानी

तारा रामायण (Tara Ramayana)

तारा रामायण (Tara Ramayana) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रामायण में तारा की भूमिका एक बुद्धिमान व संयम से काम लेने वाली महिला की है। उसने अपनी चतुराई से कई बार अपने पति को अनहोनी के होने से पहले बताया व उन्हें सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। इतना ही नहीं, उसने लक्ष्मण के क्रोध को शांत कर सुग्रीव और किष्किंधा नगर को भी उनके प्रकोप से बचाया था।

हिंदू धर्म में तारा को पांच सर्वोच्च कन्याओं जिन्हें पंचकन्या भी कहा जाता है, उसमें स्थान दिया गया है। आज हम तारा का जीवन परिचय आपके सामने रखने जा रहे हैं। साथ ही आपको बताएँगे कि रामायण में तारा (Ramayana Tara) की क्या कुछ भूमिका रही थी।

Tara Ramayana | रामायण में तारा का जीवन परिचय

सतयुग में जब देवताओं व दानवों के बीच समुंद्र मंथन चल रहा था तब उसमें से कई बहुमूल्य वस्तुओं की प्राप्ति हुई थी। उसी में से कई अप्सराएँ भी निकली थी जिनमें से एक तारा थी। तारा का विवाह किष्किन्धा के राजा बाली के साथ करवा दिया गया था। बाली से उसे अंगद नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई।

बाली का एक छोटा भाई सुग्रीव था जिसकी पत्नी का नाम रुमा था। अब तारा किष्किन्धा नगरी में अपने वानर पति के साथ हंसी खुशी रह रही थी। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार तारा को लंका के राजवैद्य सुषेण की पुत्री माना गया है।

तारा बाली संवाद

एक दिन तारा को सुग्रीव के माध्यम से पता चला कि उसके पति की मायावी राक्षस के साथ युद्ध करते हुए मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद सुग्रीव किष्किन्धा का राजा बन गया। फिर एक दिन तारा का पति बाली लौट आया व सुग्रीव को राज्य से निष्कासित कर पुनः वहाँ का राजा बन गया।

अब तारा (Tara Ramayana) फिर एक बार किष्किन्धा की प्रमुख महारानी बन गई व अपना जीवन हंसी-खुशी बिताने लगी। कुछ दिनों के पश्चात बाली को सुग्रीव ने युद्ध करने की चुनौती दी जिसमें सुग्रीव पराजित हुआ। उसके कुछ समय के पश्चात सुग्रीव ने फिर आकर बाली को चुनौती दी। इस पर तारा को संदेह हुआ तथा उसे सुग्रीव की अयोध्या के राजा श्रीराम से हुई भेंट का भी पता था।

जब बाली सुग्रीव की चुनौती को सुनकर क्रोध में वहाँ से जाने लगा तो तारा ने उसका रास्ता रोक लिया व उसे बाहर ना जाने को कहा। उसने संशय प्रकट किया कि अवश्य इसमें सुग्रीव की कोई चाल है तथा उसे किसी का सरंक्षण प्राप्त है। किंतु बाली ने तारा की एक ना सुनी व युद्ध करने के लिए निकल पड़ा।

बाली वध और तारा का विलाप

बाली के युद्ध में जाने के कुछ समय पश्चात तारा को पता चला कि श्रीराम के हाथों उसके पति का वध हो चुका है। वह विलाप करती हुई बाहर आई व बाली का सिर अपनी गोद में रखकर रोने लगी। उसके विलाप को देखकर हनुमान ने उसे सांत्वना दी व श्रीराम ने उसे भविष्य की ओर अग्रसर होने को कहा।

कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार इस समय तारा (Ramayana Tara) श्रीराम पर अत्यधिक क्रोधित हो गई थी। इसी क्रोध में उसने श्रीराम को श्राप दिया कि उन्हें माता सीता मिल तो जाएँगी लेकिन काल की गति के कारण दोनों ज्यादा समय तक एक साथ नहीं रह पाएंगे तथा कुछ समय पश्चात माता सीता पुनः भूमि में समा जाएगी।

तारा और सुग्रीव का विवाह

तारा के विलाप को देखकर व उसके खोए हुए सम्मान को लौटाने के लिए श्रीराम ने सुग्रीव को तारा के साथ विवाह करने का परामर्श रखा। सुग्रीव ने इसे मान लिया तथा तारा ने भी अपनी सहमती दे दी। इसके बाद तारा का विवाह सुग्रीव के साथ कर दिया गया तथा पुनः वह किष्किन्धा नगर की प्रमुख महारानी बन गई।

Ramayana Tara | तारा रामायण और लक्ष्मण

सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बनाने के पश्चात श्रीराम ने उन्हें चार मास के पश्चात माता सीता की खोज शुरू करने को कहा था जिसे सुग्रीव भूल गया था। जब चार मास का समय बीत गया व सुग्रीव भोग-विलासिता में डूबा रहा तब एक दिन लक्ष्मण अत्यधिक क्रोध में किष्किन्धा नगरी आए। उनके क्रोध की अग्नि में किष्किन्धा नगरी जलकर ख़ाक हो जाती।

तब सुग्रीव के मंत्रियों हनुमान व जामवंत ने लक्ष्मण का क्रोध शांत करने के लिए तारा से याचना की। यह सुनकर किष्किन्धा नगरी की भलाई के लिए तारा तुरंत लक्ष्मण के पास गई व अपनी सूझ-बूझ से उनका क्रोध शांत करने में सफल रही। इसके बाद सुग्रीव ने आकर लक्ष्मण से क्षमा मांग ली व माता सीता की खोज शुरू कर दी गई।

यदि उस समय तारा (Tara Ramayana) अपनी समझदारी से लक्ष्मण का क्रोध शांत नहीं करती तो अवश्य किष्किन्धा नगरी पर बहुत बड़ा संकट आ जाता। तारा की समझदारी व लक्ष्मण के साथ चतुराई के द्वारा की गई बातचीत के कारण ही सुग्रीव के प्राण बच पाए थे। इस घटना के बाद तारा का उल्लेख रामायण में नहीं मिलता है। अवश्य ही वह किष्किन्धा नगरी में सुख-शांति से रही होगी व एक दिन अपने प्राण त्याग दिए होंगे।

तारा रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: तारा के पिता कौन थे?

उत्तर: रामायण की तारा का जन्म समुद्र मंथन के समय हुआ था वह एक अप्सरा थी जिसकी कोई माता या पिता नहीं था

प्रश्न: तारा किसकी मां थी रामायण में?

उत्तर: रामायण में तारा अंगद की माँ थी अंगद वही था जिसका पैर रावण की सभा में कोई नहीं उठा पाया था

प्रश्न: तारा किसकी पत्नी थी?

उत्तर: रामायण में तारा किष्किंधा नरेश बाली की पत्नी थी हालाँकि श्रीराम द्वारा बाली वध के पश्चात तारा का विवाह बाली के छोटे भाई सुग्रीव के साथ करवा दिया गया था

प्रश्न: तारा और मंदोदरी का क्या रिश्ता था?

उत्तर: तारा और मंदोदरी का कोई रिश्ता नहीं था तारा किष्किंधा के महाराज बाली की पत्नी थी जबकि मंदोदरी लंका नरेश रावण की पत्नी थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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