दशहरा कैसे मनाया जाता है? दशहरा के बारे में संपूर्ण जानकारी

Dussehra In Hindi

आज हम आपको बताएँगे कि दशहरा क्यों मनाया जाता है (Dussehra In Hindi) और इसका क्या महत्व है। दशहरा का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में (मुख्यतया उत्तर, पश्चिम भारत में) मुख्य रूप से मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम ने अधर्मी रावण का उसकी सेनासहित नाश कर दिया था तथा पुनः इस धरती पर धर्म की स्थापना की थी।

इसके साथ ही इस दिन कुछ अन्य घटनाएँ भी घटित हुई थी। इस कारण भारत के अन्य हिस्सों में इसे उन घटनाओं को याद करते हुए मनाया जाता हैं। ऐसे में आज हम आपको यह तो बताएँगे ही कि दशहरा क्यों मनाया जाता है (Dussehra Kyu Manaya Jata Hai) बल्कि साथ ही इसके बारे में अन्य जानकारी भी देंगे। जैसे कि दशहरा कैसे मनाया जाता है, दशहरा कब मनाया जाता है, दशहरा का महत्व क्या है, इत्यादि। आइए दशहरा के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

Dussehra In Hindi | दशहरा क्यों मनाया जाता है?

इस दिन मुख्य रूप से तीन घटनाएँ घटित हुई थी, एक थी श्रीराम के द्वारा पापी रावण का वध करना, दूसरी माँ दुर्गा के द्वारा राक्षस महिषासुर का वध करना व तीसरी धनुर्धारी अर्जुन के द्वारा कौरवो की सेना को परास्त करना। अब इसमें से सबसे प्रमुख घटना है पापी रावण का अंत होना। इसके बारे में अधिकांश लोग जानते भी होंगे क्योंकि दशहरा पर्व मुख्य तौर पर इसी कारण मनाया जाता है।

हालाँकि अन्य दो घटनाएँ भी इसी दिन घटित हुई थी। इसमें से महिषासुर वध की घटना के कारण ही दशहरा को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। आइए तीनो घटनाओं के बारे में एक-एक करके जान लेते हैं।

#1. श्रीराम के द्वारा रावण वध होना

त्रेता युग में धरती पर रावण के नेतृत्व में अत्याचार बहुत बढ़ गया था जिसका अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। जब उनका अयोध्या के राजा के रूप में राजतिलक होने वाला था तभी उनकी सौतेली माँ कैकेयी के द्वारा उन्हें चौदह वर्ष का कठोर वनवास दे दिया गया। वे वनवास में अपने छोटे भाई लक्ष्मण तथा पत्नी सीता के साथ गए।

चौदह वर्ष के वनवास के अंतिम वर्ष में रावण ने छल से माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें अपनी राजधानी लंका ले गया। श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता को वापस पाने के लिए रावण तथा उसकी सेना के साथ भयंकर युद्ध किया। अंत में अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवी तिथि के दिन उन्होंने रावण का अंत कर दिया। इसलिये असत्य पर सत्य की विजय के रूप में इस पर्व को मनाया जाता हैं।

#2. माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर वध होना

सतयुग में महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसका शरीर भैंस के समान था। उसे भगवान ब्रह्मा के द्वारा वरदान प्राप्त था जिस कारण उसे परास्त करना स्वयं त्रिदेव के हाथों में भी नही था। उसका वध किसी स्त्री के हाथों ही हो सकता था। इसलिये त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) तथा समस्त देवताओं ने अपनी शक्ति मिलाकर एक ऊर्जा का निर्माण किया जिसमें से माँ दुर्गा का जन्म हुआ।

उन्होंने अकेले ही महिषासुर तथा उसकी करोड़ो की राक्षस सेना के साथ दस दिन तक भयंकर युद्ध किया। उस युद्ध में माँ ने उसकी सारी सेना का वध कर डाला तथा अंतिम दिन महिषासुर का भी वध हो गया। इसलिये बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में इसे मनाया जाता हैं जिसे विजयादशमी या दुर्गा पूजा भी कहते हैं।

#3. अर्जुन का कौरवों को परास्त करना

यह कथा महाभारत के युद्ध से पहले की हैं जब सभी पांडव वनवास में थे तथा उनका वनवास समाप्त होने को आया था। तब भीम के द्वारा कीचक का वध करने के पश्चात कुछ ऐसी घटनाएँ घटी कि कौरवों ने समस्त सेना सहित पांडवों पर आक्रमण कर दिया।

तब अर्जुन ने अकेले अपने गांडीव धनुष से सम्मोहक अस्त्र चलाया जिससे कौरवों की सेना सो गई या उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या किया जाए। इस प्रकार अर्जुन ने सभी कौरवों को अपनी शक्ति का परिचय दे दिया था।

इस तरह से आज आपने जान लिया है कि दशहरा क्यों मनाया जाता है (Dussehra Kyu Manaya Jata Hai) और इसका क्या इतिहास है। अब हम जानेंगे कि दशहरा कैसे मनाया जाता हैं, कब मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।

दशहरा कब मनाया जाता है?

दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवी तिथि को मनाया जाता है। भारत देश के हरेक शहर के रामलीला मैदान में दशहरा से एक दिन पहले ही रावण, कुंभकरणमेघनाद के बड़े-बड़े पुतले लगा दिए जाते हैं। फिर दशहरा वाले दिन संध्या के समय शुभ मुहूर्त पर इन तीनो में आग लगा दी जाती है।

वैसे तो दशहरा एक दिन का पर्व होता है लेकिन इससे पहले नवरात्रि का पावन त्यौहार आता है। नवरात्र को नौ दिनों तक मनाया जाता है और फिर दसवें दिन दशहरा को मनाया जाता है। दशहरा (Dussehra In Hindi) के 20 दिन बाद ही दीपावली का त्यौहार आता है। इस कारण यह एक महीने का समय सभी के लिए त्योहारों के मौसम के रूप में ही देखा जाता है।

दशहरे वाले दिन लोग मुख्य रूप से नए काम का शुभारंभ करते हैं। हिंदू धर्म में इस तिथि को अत्यंत शुभ माना गया हैं। इसलिये किसी काम की शुरुआत करनी हो तो वे इसी दिन को चुनते हैं। जैसे कि बच्चों की पढ़ाई शुरू करवाना, यज्ञोपवित संस्कार करना, कोई नया काम शुरू करना, घर या दुकान का मुहूर्त करना इत्यादि।

इसके साथ ही इस दिन लोग अपने घर में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं। व्यापारी अपने बही-खातों इत्यादि की पूजा करते हैं तथा भगवान को धन्यवाद करते हैं। इस दिन वाहनों की पूजा भी की जाती हैं।

दशहरा कैसे मनाया जाता हैं?

यह पर्व भारतवर्ष में विभिन्न तरीकों के साथ मनाया जाता हैं। यह केवल एक दिन का नहीं अपितु 10 दिनों का पर्व होता हैं। इसे हम मुख्यतया तीन भागों में विभाजित करेंगे, आइए जानते हैं:

#1. उत्तर, पश्चिम व मध्य भारत में दशहरा

इन स्थलों पर दशहरा पर्व पहली कथा के अनुसार मनाया जाता हैं जहाँ श्रीराम के द्वारा रावण का वध करने पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। मान्यता हैं कि रावण का वध करने से पहले भगवान श्रीराम ने नौ दिन तक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की थी। उनकी पूजा के फलस्वरूप ही उनके अंदर शक्ति का निर्माण हुआ जिस कारण रावण का वध हो सका।

इसलिये संपूर्ण उत्तर, पश्चिम व मध्य भारत में नौ दिनों का पर्व नवरात्र मनाया जाता हैं जिस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं। इसके बाद अष्टमी तथा नवमी के दिन लोग अपने घरों पर कंजक पूजन करते हैं। इसी के साथ इन दिनों में सार्वजानिक मंचों पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता हैं। इसमें भगवान राम के बचपन से लेकर रावण वध तक की कथा दिखाई जाती हैं।

अंतिम दिन अर्थात दशहरा के दिन बड़े मैदान में रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के बड़े-बड़े पुतले लगाए जाते हैं जिसमे पटाखे भरे होते हैं। संध्या में शहर के सभी लोग इसे देखने एकत्रित होते हैं तथा शुभ मुहूर्त पर उनमें आग लगा दी जाती हैं। उसके बाद लोग एक-दूसरे से मिलकर बधाई देते हैं तथा मीठे पकवान खाते हैं।

  • कुल्लू शहर का दशहरा

इन सबके अलावा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर का दशहरा (Dussehra In Hindi) भी प्रसिद्ध हैं। इसमें भी लोग रावण इत्यादि के पुतलों का दहन करते हैं किंतु यहाँ पर इस पर्व का उल्लास कुछ अलग ही रूप में देखने को मिलता हैं। यहाँ पर हर घर के सभी लोग बाहर निकलते हैं तथा कोई न कोई वाद्य यंत्र को बजाकर इस पर्व को मनाते हैं। साथ ही खरीदारी के लिए बड़े-बड़े बाजार सजाए जाते हैं। लोग नए वस्त्रों को धारण करते हैं, एक दूसरे को बधाई देते हैं व पकवान खाते हैं।

  • दशहरा मेला

दशहरा पर पूरे भारत में मेले भी लगाए जाते हैं जहाँ लोग अपने परिवार के साथ जाते हैं व मस्ती करते हैं। इस मेलो में मनोरंजन के लिए विभिन्न झूलों को लगाया जाता हैं जिन्हें बच्चे से लेकर बूढ़े लोग ले सकते हैं। इसके अलावा इन मेलो में खरीदारी के लिए भी बहुत चीज़े होती हैं। इसलिये आप इन मेलो में जाकर अपना अच्छा मनोरंजन कर सकते हैं।

#2. पूर्व, उत्तर-पूर्व भारत में दशहरा

यहाँ पर दशहरा को विजयादशमी के नाम से जाना जाता हैं जहाँ माँ दुर्गा की आराधना की जाती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व असम राज्य में मनाया जाता हैं। इस दिन माँ दुर्गा के लिए बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं जो कि छठे दिन से आम भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

प्रत्येक दिन विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता हैं जैसे की सिंदूर से होली खेलना, नृत्य करना इत्यादि। लोग अपने घरों पर माँ दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करते हैं जिसका अंतिम दिन नदी में विसर्जन कर दिया जाता हैं।

#3. दक्षिण भारत में दशहरा

दक्षिण भारत में भी इस दिन माँ के तीन रूपों की पूजा-आराधना की जाती हैं। इसमें प्रथम रूप माँ दुर्गा/ पार्वती जो कि शक्ति का प्रतीक हैं, द्वितीय रूप माँ लक्ष्मी जो कि धन-वैभव का प्रतीक हैं तथा तीसरा रूप माँ सरस्वती जो कि विद्या संगीत का प्रतीक हैं, उनकी पूजा की जाती हैं। इन दिनों दक्षिण भारत में मंदिर इत्यादि सजाए जाते हैं तथा पूजा-पाठ की जाती हैं। सभी लोग नए वस्त्र धारण करते हैं तथा एक दूसरे को बधाई देते हैं।

दशहरा का महत्व

दशहरा त्यौहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय, असत्य पर सत्य की विजय के रूप में माना जाता हैं। दशहरा पर्व का अर्थ (Dussehra In Hindi) हुआ दसवें दिन बुराई का अंत या दस बुराइयों का अंत। रावण के दस सिर थे जिन्हें एक-एक करके श्रीराम ने काट दिया था तथा अंत में ब्रह्मास्त्र चलाकर उसका वध कर दिया था। यह 10 सिर 10 बुराइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हैं:

  • काम
  • क्रोध
  • लोभ
  • मोह
  • मद
  • मत्सर
  • अहंकार
  • आलस्य
  • हिंसा
  • चोरी

यह सभी बुराइयों के ही प्रतीक हैं जो मनुष्य का नाश कर देते हैं। इसलिये यह पर्व हमे यह शिक्षा देता हैं कि इस दिन हमे अपने मन से इन बुराइयों को हमेशा के लिए त्याग देने का संकल्प लेना चाहिए तथा केवल गुणों को ही ग्रहण करना चाहिए। इसी के द्वारा हम उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं व एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं।

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जहाँ कि अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भर करती हैं। दशहरा का त्यौहार भी इसी से जुड़ा हुआ पर्व हैं। दरअसल दशहरा के दिन से ही वर्षा ऋतु का समाप्त होना तथा शरद ऋतु का आगमन होना होता हैं। इन दिनों फसलों की कटाई की जाती हैं तथा नयी फसल की बुवाई की जाती हैं। इसलिये यह किसानों के लिए किसी उत्सव से कम नही होता हैं।

इस तरह से आज आपने जान लिया है कि दशहरा क्यों मनाया जाता है (Dussehra Kyu Manaya Jata Hai) और इसका क्या महत्व है। दशहरे का त्यौहार हर सनातनी को यह दर्शाने के लिए मनाया जाता है कि बुराई चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो जाए लेकिन अंत में जाकर विजय अच्छाई की ही होगी।

दशहरे से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दशहरा कब मनाया जाता है इसका क्या महत्व है?

उत्तर: दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा का महत्व बुराई पर अच्छाई की विजय है इस दिन भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण का अंत कर दिया था इस कारण दशहरा हर वर्ष बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है

प्रश्न: दशहरा मनाने का कारण क्या है?

उत्तर: दशहरा मनाने का कारण बुराई पर अच्छाई की जीत है त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्रीराम ने पापी व अधर्मी रावण का वध कर दिया था इससे उन्होंने अधर्म का अंत कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी

प्रश्न: दशहरा 10 दिनों तक क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने रावण वध से पहले नौ दिनों तक मातारानी के भिन्न रूपों की उपासना की थी फिर दसवें दिन उन्होंने पापी रावण का अंत कर दिया था इसलिए दशहरा 10 दिनों तक मनाया जाता है

प्रश्न: दशहरा का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: दशहरा का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि बुराई चाहे कितनी ही शक्तिशाली क्यों ना हो जाए, अंत में उसे अच्छाई के सामने घुटने टेकने ही होंगे

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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