हिंदी में होली पर निबंध कैसे लिखें? पढ़ें होली का निबंध

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh)

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh): हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़ी ही धूमधाम के साथ भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में आयोजित किया जाता हैं। इस दिन बच्चों के स्कूल-कॉलेज की भी छुट्टियाँ हो जाती हैं तो वही नौकरी कर रहे लोगों को भी कुछ दिन का आराम मिलता हैं।

लेकिन बच्चों को स्कूल से होली का निबंध (Holi Ka Nibandh) या उस पर कुछ पक्तियां लिखने को कहा जाता हैं। आपको होली के बारे में मुख्य बातें तो पता ही होगी लेकिन आज हम आपके ज्ञान को बढ़ाने जा रहे हैं क्योंकि इस लेख के द्वारा आपको होली के बारे में कुछ अनसुनी बातें भी जानने को मिल सकती हैं। आइए जानते हैं।

Holi Par Nibandh | होली पर निबंध

क्या आप जानते हैं कि होली को पहले रंगों से नहीं खेला जाता था। आज के समय में हमारे लिए होली का मतलब ही रंग होता है। एक तरह से होली अर्थात रंग और रंग अर्थात होली कहना गलत नहीं होगा। अब जिस होली का रंगों से इतना गहरा संबंध है, वह पहले बिना रंगों के खेली जाती थी। तो फिर होली को रंगों से खेलने की शुरूआत कब हुई?

साथ ही होली एक दिन का त्योहार ना होकर दो दिनों का त्यौहार होता है। जिस दिन हम रंगों से खेलते है, उस दिन को धुलंडी कहा जाता है। इससे पहले होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है। इन दोनों त्योहारों को मिलाकर ही होली नाम दिया गया है। आइए होली पर निबंध के तहत होली से जुड़े कुल दस तथ्यों के बारे में जान लेते हैं।

#1. होली की कथा

होली पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के दहन और भक्त प्रह्लाद की भगवान विष्णु के द्वारा रक्षा करने की कथा के बारे में तो सब जानते होंगे लेकिन क्या सभी को यह भी पता हैं कि इस दिन की कथा भगवान शिव से भी जुड़ी हुई हैं।

दरअसल इसी दिन भगवान शिव ने क्रोध में अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया था। जब उनका क्रोध शांत हुआ तब उन्होंने कामदेव की पत्नी रति के अनुरोध पर कामदेव को कृष्ण पुत्र होने का वरदान दिया। साथ ही उन्होंने माता सती के रूप माता पार्वती से विवाह भी किया था।

#2. कृष्ण होली की कहानी

आपने यह तो सुना होगी कि जब कृष्ण भगवान अपने बाल रूप में थे तब मथुरा के राजा कंस ने उन्हें मारने के लिए राक्षसी पूतना को भेजा था। तब श्रीकृष्ण ने पूतना का वध कर दिया था। किंतु आप यह नही जानते होंगे कि वह दिन भी होली का ही दिन था जब श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध किया था।

यदि आप होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) के तहत इस कथा को भी लिखेंगे तो यकीन मानिए बहुत जानो को तो इस बात पर आश्चर्य होगा। साथ ही यह भी जान ले कि श्रीकृष्ण पहले से ही सांवले अंग के थे लेकिन पूतना के विष युक्त दूध को पीने के कारण उनका रंग और सांवला हो गया था।

#3. राधा कृष्ण होली

अब यह बात सुनकर आपको आश्चर्य होगा क्योंकि इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। दरअसल श्रीकृष्ण से पहले होली को रंगों से खेलने का विधान नही था। होली पर रंगों से खेलने की प्रथा श्रीकृष्ण ने नंदगांव में रहते हुए ही प्रारंभ की थी।

मान्यता हैं कि श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा से बार-बार राधा के गोरी होने और स्वयं के काले होने की शिकायत करते थे। तब एक दिन माता यशोदा ने कह दिया कि तेरा राधा को जिस रंग में देखने का मन करता हैं, तू उसी में उसको रंग दे। बस इतना सुनना था कि कान्हा अपने मित्रों के साथ कई तरह के रंग लेकर बरसाने गाँव पहुँच गए और सभी गोपियों और राधा को रंग दिया। इसके बाद होली पर रंगों से खेलने की शुरुआत हो गयी।

#4. होली के प्रकार

क्या आपको पता हैं कि पूरे देश में होली को केवल रंगों और पानी से ही नही अपितु अन्य चीज़ों से भी खेला जाता हैं। जैसे कि राजस्थान की पत्थरमार होली, बरसाने की लट्ठमार होली, वृंदावन की लड्डू होली, गोकुल की छड़ीमार होली इत्यादि।

लगभग भारत के हर राज्य में इसे वहां की पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार कई रूप दे दिए गए हैं किंतु यह बात भी सच हैं कि जगह चाहे कोई भी हो, होली पर रंग-गुलाल नही उड़े तो क्या ही होली खेली। स्कूल के होली का निबंध (Holi Ka Nibandh) में होली के प्रकारों के ऊपर एक अलग ही निबंध लिखा जा सकता है।

#5. वृंदावन की होली

ब्रज या वृंदावन की होली को पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ होली कहा जाता हैं। यहाँ होली एक या दो दिन नही बल्कि पूरे चालीस दिन के आसपास चलती हैं। यहाँ पर होली की आधिकारिक शुरुआत माँ सरस्वती के पर्व वसंत पंचमी से शुरू हो जाती हैं जो रंग पंचमी तक चलती हैं।

पूरा ब्रज क्षेत्र जिसमें मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव इत्यादी आते हैं, सब रंगों से भर जाते हैं। देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्तगण इसके साक्षी बनने और कृष्ण संग होली खेलने यहाँ आते हैं। यदि आपको भी जीवन में कभी अवसर मिले तो ब्रज की होली खेलने अवश्य जाए।

#6. बरसाने की लठमार होली

ऊपर बताई गयी होली के विभिन्न प्रकारों में जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं वह हैं बरसाने की लठमार होली। दरअसल इसकी कथा भी भगवान श्रीकृष्ण के नटखटपन से जुड़ी हुई हैं। जब कान्हा अपने मित्रों के संग राधारानी और अन्य गोपियों को रंग लगाने बरसाने गाँव जाया करते थे तब उनसे बचने के लिए सभी गोपियाँ बांस के मोटे-मोटे लट्ठ उठा लिया करती थी और कान्हा और उनके मित्रों को भगा दिया करती थी।

बस तभी से नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं लट्ठमार होली खेलते हैं जिसमें पुरुष लट्ठ के वार से बचते हुए महिलाओं को रंग लगाने का प्रयास करते हैं तो वही महिलाएं उन पर लट्ठ से वार करती हैं। कुछ इसी प्रकार की होली अगले दिन नंदगांव में भी खेली जाती हैं जिसमें नंदगांव की महिलाएं और बरसाने के पुरुष भाग लेते हैं।

#7. काशी की चिता भस्म होली

बरसाने की लट्ठमार होली के बाद जो होली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं वह हैं भगवान शिव की नगरी काशी की चिता-भस्म होली क्योंकि इसमें जली हुई चिताओं की राख से होली खेली जाती हैं। मान्यता हैं कि भगवान शिव अपने भक्तों के साथ इसी जगह पर जली हुई चिताओं की राख को मलकर होली खेला करते थे।

बस इसी के बाद विश्वभर के लाखों शिव भक्त होली के अवसर पर काशी नगरी पहुँचते हैं और एक-दूसरे के साथ जली हुई चिताओं की राख-भस्म को लगाकर होली खेलते हैं। हमने अलग से भी काशी की चिता भस्म होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखा है जिसका लिंक नीचे दिया जाएगा।

#8. होलिका दहन का महत्व

क्या आप जानते हैं कि होली मनाने से पर्यावरण और प्रकृति को कितना लाभ मिलता हैं। जी हां, सही सुना आपने। दरअसल जब देशभर में होलिका दहन के दिन लाखों की संख्या में अग्नि को एकसाथ प्रज्ज्वलित किया जाता हैं तब उस समय पनप रहे जीवाणु-विषाणु नष्ट हो जाते हैं।

होली ऋतु परिवर्तन के समय आती हैं और उस समय शीत ऋतु से ग्रीष्म ऋतु आ रही होती हैं। ऐसे में पर्यावरण में अत्यधिक संख्या में जीवाणु-विषाणु पनप रहे होते हैं जिससे हमें कई तरह की बीमारियाँ और संक्रमण होने का खतरा बना रहता हैं। इसलिये होलिका दहन का उद्देश्य इन सभी जीवाणुओं को समाप्त करने से होता हैं।

#9. होली के लाभ

होली से केवल पर्यावरण को ही लाभ नही मिलता बल्कि हमारे शरीर और त्वचा को भी इससे बहुत लाभ मिलता हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था जो कि विभिन्न फल-फूल, सब्जियों, पेड़-पौधों की पत्तियों इत्यादि के मिश्रण से बनाए जाते थे।

लोग इन्हीं सब चीज़ों से बने रंगों को एक-दूसरे की त्वचा पर लगाते थे जिससे हमारी त्वचा को अत्यधिक मात्रा में पोषण मिलता था। इस कारण शरीर का मैल तो निकलता ही था और साथ ही साथ त्वचा के रंग में भी निखार आता था।

#10. होली का उद्देश्य

अंत में होली का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे मे भी बात करेंगे। दरअसल यह हम सभी देखते हैं कि लोग गर्मी में ज्यादा काम करते हैं और सर्दी में कम। सर्दियों में हम सभी अपेक्षाकृत थोड़े आलसी और कामचोर हो जाते हैं और शरीर भी इतना साथ नही देता।

होली सर्दी से गर्मी आने के समय आती हैं। ऐसे में हमारे शरीर में फिर से जोश और एक नयी ऊर्जा को भरने और मन में नयी ताजगी लाने को होली का त्यौहार मनाया जाता है जिसमें चारों ओर. शोर-शराबा, धूम-धड़ाका, हुडदंड इत्यादि देखने को मिलता हैं। इसी के साथ होली के दिन हम सभी आपसी मन-मुटाव को भुलाकर एक-दूसरे को प्रेम के रंग लगाते हैं।

इस तरह से आज का यह होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) यहीं समाप्त होता है। आशा है कि आपको होली से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। फिर भी यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

होली का निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: होली पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर: इस लेख में हमने कई तथ्यों के साथ होली पर निबंध लिखा है यहाँ पर होली के बारे में दस चुनिंदा और रोचक बाते बताई गई है इसके माध्यम से आप अपना होली का निबंध लिख सकते हैं

प्रश्न: होली के बारे में निबंध कैसे लिखा जाता है?

उत्तर: होली के बारे में लिखने को एक चीज़ नहीं बल्कि कई चीज़े है इस निबंध में हमने एक या दो नहीं बल्कि होली के दस तथ्यों के बारे में बताया है इस पर आप निबंध लिख सकते हैं

प्रश्न: हिंदी में होली पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर: हिंदी में होली पर निबंध लिखने के लिए आप इस निबंध का सहारा ले सकते हैं आज के इस निबंध में हमने होली के ऊपर लगभग हर महत्वपूर्ण जानकारी दे दी है

प्रश्न: हम होली क्यों मनाते हैं 150 शब्दों में लिखें?

उत्तर: होली मनाने से संबंधित हमने 150-150 शब्दों के कुल 10 तथ्य दिए है इसमें से आप किसी भी एक तथ्य को चुन सकते हैं और उस पर लिख सकते हैं

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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