पढ़ें 5 तरह की हनुमान जी की आरतियां

Aarti Hanuman Ji Ki

हनुमान जी की सभी रचनाएँ बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। यहाँ तक कि ज्यादातर लोगों को हनुमान जी की कई रचनाएँ कंठस्थ भी होगी जैसे कि हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या संकटमोचन हनुमानाष्टक। इन सभी के अंत में यदि हम आरती हनुमान जी की (Aarti Hanuman Ji Ki) भी कर लेते हैं तो यह हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त होती है।

आज के इस लेख में हम आपके साथ हनुमान आरती (Hanuman Aarti) का पाठ ही करने जा रहे हैं। अब वैसे तो हनुमान जी की सबसे प्रसिद्ध आरती आरती कीजै हनुमान लला की है लेकिन इसी के साथ ही उनकी 4 अन्य आरतियाँ भी है। आज हम आपके साथ सभी तरह की हनुमान जी की आरती लिरिक्स सहित सांझा करेंगे।

Aarti Hanuman Ji Ki | आरती हनुमान जी की

श्रीराम के भक्तों का नाम लिया जाता है तो उसमें हनुमान जी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यहाँ तक कहा जाता है कि यदि हमें श्रीराम की कृपा चाहिए तो उसके लिए पहले भक्त हनुमान को प्रसन्न किया जाना आवश्यक है। अब आप सभी ने हनुमान जी की प्रसिद्ध आरती आरती की जय हनुमान लला की तो सुन रखी होगी लेकिन क्या आपने इसके अलावा भी कोई हनुमान आरती सुनी है?

आज हम आपके सामने एक या दो तरह की हनुमान आरती नहीं बल्कि कुल पांच तरह की हनुमान जी की आरती लिरिक्स सहित रखने जा रहे हैं। इसमें से आपको जो भी हनुमान जी की आरती अच्छी लगती है, आप उसका पाठ कर सकते हैं। तो आइये एक-एक करके आरती हनुमान जी की लिरिक्स सहित पढ़ें।

#1. आरती हनुमान लला की

यह हनुमान जी की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। कहने का अर्थ यह हुआ कि भक्तों के द्वारा हनुमान आरती के रूप में इसी आरती का ही पाठ किया जाता है। इसे मुख्यतया आरती कीजै हनुमान लला की ही कह दिया जाता है।

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग दोष जाके निकट न झांकै।

अंजनि पुत्र महा बलदाई,
संतन के प्रभु सदा सहाई।

दे बीरा रघुनाथ पठाये,
लंका जारि सिया सुधि लाई।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।

लंका जारि असुर संहारे,
सीता रामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आनि संजीवन प्राण उबारे।

पैठि पाताल तोरि जम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे।

बायें भुजा असुर दल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे।

सुर नरमुनिजन आरती उतारें,
जय जय जय हनुमान उचारें।

कंचन थार कपूर की बाती,
आरति करत अंजना माई।

जो हनुमानजी की आरती गावै,
बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।

लंका विध्वंस किये रघुराई,
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

#2. Hanuman Aarti | हनुमान आरती

महर्षि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म पंद्रहवीं शताब्दी में हुआ था। उस समय उन्होंने ना केवल रामचरितमानस व हनुमान चालीसा की रचना की थी अपितु श्रीराम व हनुमान जी को समर्पित कई तरह के काव्यों व ग्रंथों की रचना कर डाली थी। इसे विनय पत्रिका में सहेजा गया है। उसी में ही उन्होंने हनुमान जी को समर्पित इस हनुमान आरती की रचना की है।

जयति मंगलागार, संसारभारापहर,
वानराकारविग्रह पुरारी।
राम-रोषानल-ज्वालमाला-मिष
ध्वांतचर-सलभ-संहारकारी॥

जयति मरुदंजनामोद-मंदिर,
नतग्रीव सुग्रीव-दुःखैकबंधो।
यातुधानोद्धत-क्रुद्ध-कालाग्निहर,
सिद्ध-सुर-सज्जनानंद-सिंधो॥

जयति रुद्राग्रणी, विश्व-वंद्याग्रणी,
विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती।
सामगाताग्रणी, कामजेताग्रणी,
रामहित, रामभक्तानुवर्ती॥

जयति संग्रामजय, रामसंदेसहर,
कौशला-कुशल-कल्याणभाषी।
राम-विरहार्क-संतप्त-भरतादि-
नर-नारि-शीतलकरण कल्पशाषी॥

जयति सिंहासनासीन सीतारमण,
निरखि, निर्भरहरष नृत्यकारी।
राम संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा
तुलसिमानस-रामपुर-विहारी॥

#3. हनुमान जी की आरती लिखित में

हनुमान जी की तीसरी आरती जो प्रसिद्ध है वह उनके अंजनीकुमार के रूप की है। हनुमान जी का जन्म माँ अंजनी के गर्भ से हुआ था, जिस कारण उन्हें अंजनीकुमार या अंजनीपुत्र के नाम से जाना जाता है। ऐसे में उनकी अंजनीकुमार जी की आरती को भी आरती हनुमान जी की (Aarti Hanuman Ji Ki) के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइये पढ़ें हनुमान जी की आरती लिरिक्स सहित।

आरती श्री अंजनी कुमार की।

शिवस्वरुप, मारुतनंदन,
केसरी-सुअन कलियुग-कुठार की॥

हिय में राम-सीय नित राखत,
मुख सों राम-नाम-गुण भाखत,
सुमधुर भक्ति-प्रेम-रस चाखत,
मंगलकर मंगलाकार की॥

विस्मृत-बल-पौरुष, अतुलित बल,
दहन दनुज-वन हित, दावानल,
ज्ञानी-मुकुट-मणि, पूर्ण गुण सकल,
मंजु भूमिशुभ सदाचार की॥

मन-इन्द्रिय-विजयी, विशाल मति,
कलानिधान, निपुण गायक अति,
छन्द-व्याकरण-शास्त्र अमित गति,
रामभक्त अतिशय उदार की॥

पावन परम सुभक्ति प्रदायक,
शरणागत को सब सुखदायक,
विजयी वानर-सेना-नायक,
सुगति-पोत के कर्णधार की॥

#4. श्री हनुमान जी की आरती

हनुमान जी की अंतिम दो आरतियाँ बहुत ही छोटी है जिनमें 5 से 6 पंक्तियाँ ही है। हालाँकि इनके जरिये भी हनुमान जी की आरधना की गयी है। ऐसे में आइये पढ़ें श्री हनुमान जी की आरती  (Hanuman Aarti)।

मंगल-मूरति मारुत-नंदन।
सकल-अमंगल-मूल-निकंदन॥

पावन-तनय संतन-हितकारी।
हृदय विराजत अवध बिहारी॥

मातु-पिता, गुरु गनपति, सारद।
सिवा-समेत संभु, सुक-नारद॥

चरन बंदि बिनवौं सब काहू।
देहु रामपद-नेह-निबाहू॥

बंदौं राम-लखन-बैदेही।
जे तुलसी के परम सनेही॥

#5. आरती हनुमान जी की लिरिक्स

अंत में हम आपके साथ हनुमान जी की अंतिम व पांचवीं आरती सांझा करने जा रहे हैं जिसमें केवल तीन पद ही आते हैं। ऐसे में आइये पढ़ें आरती हनुमान जी की लिरिक्स के साथ।

वन्दे सन्तं श्रीहनुमन्तं
रामदासममलं बलवन्तं।
रामकथामृतमधु निपिबन्तं
परमप्रेमभरेण नटन्तं॥

प्रेमरुद्धगलमश्रुवहन्तं
पुलकान्चितवपुषा विलसन्तं।
सर्वं राममयं पश्यन्तं
राघवनाम सदा प्रजपन्तं॥

कदाचिदानन्देन हसन्तं
क्वचित् कदाचिदपि प्ररुदन्तं।
सद्वक्तिपथं समुपदिशन्तं
विट्ठलपन्तं प्रति सुखयन्तं॥

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने कई तरह की हनुमान आरती पढ़ व जान ली है। वैसे तो आरती कीजे हनुमान लला की सबसे प्रसिद्ध हनुमान आरतियों में से एक है लेकिन इसके अलावा अन्य हनुमान आरतियाँ भी अलग-अलग क्षेत्रों या स्थितियों में गायी जाती है। ऐसे में आप जब भी आरती हनुमान जी की (Aarti Hanuman Ji Ki) करने लगें तो आप इनमें से किसी भी हनुमान आरती का चुनाव कर सकते हैं।

आरती हनुमान जी की से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: हनुमान जी का आवाहन मंत्र क्या है?

उत्तर: हनुमान जी का आवाहन मंत्र “ॐ नमो भगवते हनुमते नमः” माना जा सकता है हालाँकि उनके कई अन्य मंत्र भी हैं जिनके माध्यम से हनुमान जी का आवाहन किया जा सकता है

प्रश्न: हनुमान जी का सरल मंत्र कौन सा है?

उत्तर: हनुमान जी के कुछ सरल मंत्र “ॐ नमो भगवते हनुमते नमः”, “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्” व “ॐ हं हनुमते नमः” हैं जिनका जाप आप कर सकते हैं

प्रश्न: हनुमान जी का कौन सा मंत्र पढ़े?

उत्तर: हनुमान जी को समर्पित एक नहीं बल्कि कई मंत्र हैं जिनका अपना अलग-अलग महत्व है ऐसे में आप अपनी इच्छा या स्थिति के अनुसार हनुमान जी के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं

प्रश्न: मंगलवार के दिन कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

उत्तर: मंगलवार के दिन आप हनुमान जी को समर्पित किसी भी मंत्र को बोल सकते हैं इसमें कुछ प्रमुख मंत्र “ॐ नमो भगवते हनुमते नमः” व “ॐ हं हनुमते नमः” है

प्रश्न: हनुमान जी से प्रार्थना कैसे करें?

उत्तर: यदि आप हनुमान जी से प्रार्थना करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको प्रतिदिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक व हनुमान आरती का पाठ करना चाहिए

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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