क्या आपने कभी सोचा है कि जैन धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है (Jain Diwali Poojan) और इसका उनसे क्या संबंध है!! पूरे भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार मुख्य रूप से मनाया जाता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इस दिन श्रीराम के अयोध्या वापसी की खुशी में इसे प्रति वर्ष मनाते हैं किंतु इसी के साथ इसका जैन धर्म में भी उतना ही महत्व है।
इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था अर्थात उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर दिया था तथा मोक्ष को प्राप्त किया था। आइए जानते हैं जैन धर्म में दिवाली का महत्व और उसकी पूजा विधि (Jain Diwali Puja) के बारे में।
Jain Diwali Poojan | जैन धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है?
जैन धर्म में कुल चौबीस तीर्थकर हुए थे जिन्हें जैन धर्म के भगवान भी माना जाता हैं। इनमे से अंतिम तीर्थकर थे महावीर स्वामी जी जिनकी विशेष मान्यता हैं। आज से 527 ईसापूर्व महावीर स्वामी ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही अपने शिष्यों को आखिरी उपदेश दिया था जिसे उत्तराध्ययन सूत्र के नाम से जाना जाता हैं।
इसके पश्चात उन्होंने अपने भौतिक शरीर का त्याग कर दिया था तथा मोक्ष को प्राप्त कर लिया था। महावीर स्वामी जी के द्वारा मृत्यु लोक को छोड़ने पर उनके शिष्यों ने दीपक जलाकर खुशियाँ प्रकट की थी। बस उसी याद में जैन धर्म के लोग दिवाली को मुख्य रूप से मनाते हैं।
इसी दिन भगवान महावीर स्वामी के मुख्य शिष्य गणधर गौतम स्वामी को महावीर स्वामी जी से कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान महावीर स्वामी ने अपने शरीर का त्याग करने से पूर्व अपने शिष्य को यह ज्ञान दिया था ताकि उनके जाने के बाद वह लोगो का मार्गदर्शन कर सके।
Jain Diwali Puja | जैन धर्म में दीपावली कैसे मनाएं?
जैन धर्म के लोग भी हिंदू धर्म के लोगो की भांति दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। इसमें मुख्य रूप से घरो व मंदिरों में दीपक जलाना, माता लक्ष्मी की आराधना करना, निर्वाण (लाडू) का प्रसाद बनाना सम्मिलित हैं। जैन धर्म के लोग इस दिन नए वस्त्रों को पहनते हैं व तैयार होकर मंदिर जाते हैं। वहां जाकर वे भगवान महावीर स्वामी की पूजा करते (Jain Diwali Puja) हैं।
इसके अलावा हिंदू धर्म के लोगो की भांति जैन धर्म के व्यापारी भी अपनी दुकान पर बही-खातो की पूजा करते हैं व लक्ष्मी माता से हमेशा स्वयं पर आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करते है। दिल ढलते ही सभी अपने घरो व मोहल्लो को दीपक से सजा देते हैं तथा एक दूसरे को बधाई देते हैं। इस दिन जैन धर्म में चतुर्थकर का समापन हो जाता हैं जिस कारण नए संवत्सर की शुरुआत होती है। जैन धर्म में इस दिन को वीर निर्वाणोत्सव के रूप में भी याद किया जाता है।
जैन धर्म में माँ लक्ष्मी व माँ सरस्वती का महत्व
जैन धर्म में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी व माँ सरस्वती की पूजा (Jain Vidhi Deepavali Puja) की जाती हैं। इन दोनों माताओं का जैन धर्म में प्रमुख स्थान हैं क्योंकि लक्ष्मी माता को निर्वाण अर्थात मोक्ष की माता कहा जाता हैं जबकि माँ सरस्वती को कैवल्यज्ञान अर्थात विद्या की देवी माना जाता हैं।
दिवाली वाले दिन महावीर स्वामी जी को माँ लक्ष्मी जी की प्राप्ति हुई थी जबकि उनके शिष्य गणधर गौतम स्वामी जी को माँ सरस्वती जी की। इसलिये इन दोनों देवियों की विशेष रूप से पूजा की जाती हैं ताकि परिवार में हमेशा विद्या, बुद्धि व वैभव बने रहे।
निर्वाण लाडू का प्रसाद
इस दिन मुख्य रूप से लाडू का प्रसाद चढ़ाया जाता हैं क्योंकि यह आत्मा का प्रतीक होता हैं जिसका ना ही कोई अंत होता है व ना ही कोई प्रारंभ। इस लाडू को घी में बनाया जाता हैं जिसमे चाशनी मिलाई जाती हैं। जिस प्रकार यह लाडू अग्नि में तपता हैं उसी प्रकार आत्मा भी तपती हैं व मोक्ष को प्राप्त करती है। तो कुछ इस तरह से जैन धर्म में दिवाली (Jain Diwali Poojan) मनाई जाती है।
जैन धर्म में दिवाली से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जैन धर्म दीपावली क्यों मनाते हैं?
उत्तर: दिवाली वाले दिन ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इस दिन उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर मोक्ष प्राप्त किया था।
प्रश्न: क्या जैन लक्ष्मी पूजा करते हैं?
उत्तर: जी हां, जैन धर्म के अनुयायी भी लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। जैन सनातन धर्म की ही एक शाखा है और जैनी लोगों के लिए हिन्दू देवी-देवताओं का उतना ही महत्व है, जितना हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए है।
प्रश्न: जैन धनतेरस क्यों मनाते हैं?
उत्तर: जैन धर्म में धनतेरस और दिवाली दोनों का ही बहुत महत्व है। धनतेरस वाले दिन तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ध्यान अवस्था में थे जबकि दिवाली वाले दिन उन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया था।
प्रश्न: क्या जैन और सिख दिवाली मनाते हैं?
उत्तर: जी हां, जैन और सिख धर्म के लोगों के द्वारा भी दिवाली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन से दोनों धर्म के लोगों का कोई ना कोई जुड़ाव रहा है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: