आज हम आपको सतयुग के दो राक्षसों मधु कैटभ की कहानी सुनाएंगे। वे अत्यंत शक्तिशाली थे तथा स्वयं को मिले वरदान स्वरुप उन्होंने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। दोनों ने अपने पराक्रम से देवराज इंद्र को भी परास्त कर दिया था तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था। यहाँ तक तो फिर भी ठीक था लेकिन उन्होंने भगवान विष्णु के बैकुंठ पर भी चढ़ाई कर दी थी।
ऐसे में मधु कैटभ को किसने मारा और कैसे मारा? इसके लिए आपको मधु और कैटभ की कहानी को शुरू से अंत तक पढ़ना होगा। साथ ही मधु कैटभ का रामायण से भी संबंध है जिसका उल्लेख लक्ष्मण-अतिकाय युद्ध के समय देखने को मिलता है। आइए मधु कैटभ वध (Madhu Kaitabh Vadh) व उनकी कहानी को जान लेते हैं।
मधु कैटभ की कहानी
मधु और कैटभ के जन्म की कहानी (Madhu Kaitabh Ki Kahani) बहुत ही रोचक है। एक दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में थे। तब उनके कान के मैल से दो राक्षसों का जन्म हुआ जिनके नाम मधु और कैटभ थे। मधु और कैटभ पहले से ही बहुत शक्तिशाली होते हैं और समय के साथ-साथ वे माँ आदिशक्ति से कई तरह के वर भी प्राप्त कर लेते हैं।
माँ आदिशक्ति के द्वारा उन्हें वरदान दिया जाता है कि उनकी मृत्यु किसी विशेष चीज़ से ही होगी जिसके बारे में केवल उन दोनों को ही पता था। इस तरह से मधु कैटभ का वध (Madhu Kaitabh Vadh) करना हर किसी के लिए असंभव सा हो जाता है क्योंकि किसी को भी उनकी मृत्यु का रहस्य नहीं पता होता है।
अपने वरदान के फलस्वरूप दोनों बहुत ही शक्तिशाली हो जाते हैं और तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लेते हैं। वे धरती से लेकर पाताल लोक और स्वर्ग लोक को भी अपने अधीन कर लेते हैं। इसके बाद दोनों ब्रह्म लोक जाकर भगवान ब्रह्मा को भी हरा देते हैं और उनकी जान के पीछे पड़ जाते हैं। भगवान ब्रह्मा किसी तरह से वहाँ से भागते हैं और विष्णु लोक को जाते हैं।
मधु कैटभ को किसने मारा?
वहाँ जाकर भगवान ब्रह्मा देखते हैं कि मधु कैटभ भगवान विष्णु से युद्ध करने बैकुंठ धाम भी पहुँच गए हैं। भगवान विष्णु उस समय भी योग निद्रा में ही थे। ऐसे में ब्रह्मा जी ने उन्हें जगाने के बहुत प्रयास किए लेकिन विफल रहे। अंत में हारकर भगवान ब्रह्मा योगमाता का आह्वान करते हैं। ब्रह्मा जी के कहने पर योगमाता वहाँ प्रकट होती है और तुरंत विष्णु जी को योग निद्रा से जगा देती है।
इतनी देर में मधु और कैटभ बैकुंठ धाम के अंदर तक आ जाते हैं और भगवान विष्णु को युद्ध के लिए ललकारते हैं। बैकुंठ धाम में राक्षसों के आ जाने के कारण माता लक्ष्मी भयभीत व क्रोधित हो जाती है किंतु भगवान विष्णु शांत रहते हैं। भगवान विष्णु अपने शेषनाग से उतरते हैं और दोनों से युद्ध करने जाते हैं।
दोनों के बीच भीषण युद्ध होता है लेकिन वे मधु कैटभ का वध करने में असमर्थ होते हैं। अंत में भगवान विष्णु ने उन दोनों का वध करने के उद्देश्य से अपना सुदर्शन चक्र चलाया लेकिन वह भी उन दोनों का वध कर पाने में असमर्थ था। यह देखकर तीनों लोकों में भय व्याप्त हो गया लेकिन भगवान विष्णु ने अपना धैर्य नहीं खोया।
मधु तथा कैटभ लगातार भगवान विष्णु का उपहास कर रहे थे। उन्हें लग रहा था कि विष्णु अब हार चुके हैं। ऐसे में उन पर महामाया का प्रभाव हावी हो जाता है जो उनकी बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है। अपने इसी अहंकार व मूर्खता में उन्होंने भगवान विष्णु से वर मांगने को कहा। यही उन दोनों की सबसे बड़ी भूल थी जो मधु कैटभ की कहानी के अंत का कारण बनने वाली थी।
Madhu Kaitabh Vadh | मधु कैटभ वध
जब मधु व कैटभ ने अपने अहंकार में भगवान विष्णु से वर मांगने को कहा तो विष्णु जी ने बहुत ही चालाकी से काम लिया। भगवान विष्णु ने उनसे उनकी मृत्यु का मार्ग वर में मांग लिया। मधु तथा कैटभ दोनों अपने अहंकार में चूर थे और सोच रहे थे कि अब हारे हुए विष्णु उनका क्या ही बिगाड़ लेंगे। इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु को अपनी मृत्यु का मार्ग बता दिया।
उन्होंने भगवान विष्णु को अपनी मृत्यु का मार्ग बताते हुए कहा कि उनकी मृत्यु विष्णु की जाँघों पर ही हो सकती है। इतना सुनते ही भगवान विष्णु ने माया से अपने शरीर को इतना विशाल कर लिया कि वह तीनों लोकों में फैल गए। उन्होंने अपनी दोनों जांघों के बीच मधु और कैटभ को फंसा लिया तथा अपनी गदा से उनका वध कर डाला।
ऐसे में आपके प्रश्न मधु कैटभ को किसने मारा, का उत्तर भगवान विष्णु ही हैं। मधु कैटभ का वध (Madhu Kaitabh Vadh) होते ही तीनों लोको में पुनः धर्म की स्थापना हो गई। इंद्र को स्वर्ग वापस दे दिया गया और भगवान ब्रह्मा भी अपने लोक को लौट गए। इस धर्म युद्ध में भगवान विष्णु की सहायता योगमाता व महामाया ने की थी।
मधु कैटभ का पुनर्जन्म
अब आप सोच रहे होंगे कि जब मधु कैटभ की कहानी का वहीं अंत हो जाता है तो रामायण काल से इनका क्या संबंध था। ऐसे में इनकी कहानी तो वहाँ समाप्त हो जाती है लेकिन त्रेता युग में ये दोनों पुनर्जन्म लेते हैं। उस समय इन दोनों राक्षसों ने लंका में जन्म लिया जिसमें से मधु रावण का छोटा भाई कुंभकरण बना तथा कैटभ रावण का पुत्र अतिकाय। इसमें से एक का वध स्वयं भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने तथा दुसरे का वध उनके शेषनाग लक्ष्मण ने किया था।
मधु कैटभ की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मधु और कैटभ की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर: मधु और कैटभ की उत्पत्ति भगवान विष्णु के कान के मैल से हुई थी। जब भगवान विष्णु योग निद्रा में थे तब उनकी उत्पत्ति हुई थी।
प्रश्न: मधु और कटक कौन थे?
उत्तर: उनका नाम मधु और कटक नहीं बल्कि मधु और कैटभ था। वे दोनों सतयुग के समय के राक्षस थे जिनका वध स्वयं भगवान विष्णु ने किया था।
प्रश्न: मधु और कैटभ का वध कैसे हुआ?
उत्तर: मधु और कैटभ का वध भगवान विष्णु ने अपनी जाँघों के बीच में किया था। उन्होंने अपनी गदा से दोनों का वध कर दिया था।
प्रश्न: मधु कैटाभा, विष्णु या दुर्गा का वध किसने किया?
उत्तर: मधु कैटभ का वध भगवान विष्णु ने योग माता व महामाया की सहायता से किया था।
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