मां महागौरी स्तोत्र हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

महागौरी स्तोत्र (Mahagauri Stotram)

आज हम आपके साथ महागौरी स्तोत्र (Mahagauri Stotram) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। महागौरी माता नवदुर्गा का आठवां रूप है जो सौभाग्य का परिचायक है।

इस लेख में आपको मां महागौरी स्तोत्र (Maa Mahagauri Stotram) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप महागौरी स्तोत्र का भावार्थ भी समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ महा गौरी स्तोत्र के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मां महागौरी स्तोत्र हिंदी में।

Mahagauri Stotram | महागौरी स्तोत्र

॥ ध्यान मंत्र ॥

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनीम्॥

पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

॥ स्तोत्र ॥

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

सुखशांतिदात्री धनधान्यप्रदायनीम्।
डमरूवाद्यप्रिया अघा महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगलात्वंहि तापत्रय प्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

Maa Mahagauri Stotram | मां महागौरी स्तोत्र – अर्थ सहित

॥ ध्यान मंत्र ॥

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनीम्॥

मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी तरह के मनोरथों को पूरा करने वाली, मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, चार भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली महागौरी माता की वंदना करता हूँ।

पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

वे हमारी सभी इन्द्रियों में वास करती हैं, सोमचक्र को मजबूती प्रदान करती हैं, नवदुर्गा में आठवां रूप है जिनका नाम महागौरी है और उनके तीन नेत्र हैं। उन्होंने अपने दो हाथों में त्रिशूल व डमरू लिया हुआ है जबकि बाकि के दो हाथ भक्तों को अभय व वरदान देने की मुद्रा में है।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

महागौरी माता पीले रंग के वस्त्र धारण करती हैं। उनके मुख पर स्नेह के भाव हैं और उन्होंने नाना प्रकार के आभूषणों से अपना अलंकार किया हुआ है। उन्होंने अपने शरीर पर मंजीर, हार, केयूर, किंकिणी व रत्नों से जड़ित कुंडल धारण किये हुए हैं।

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

मैं प्रसन्न मन के साथ महागौरी देवी की आराधना करता हूँ। उनका स्वरुप बहुत ही सुंदर, कमनीय, रमणीय व वैभव युक्त है। तीनों लोकों में उनकी पूजा की जाती है।

॥ स्तोत्र ॥

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

महागौरी माता हमारे सभी तरह के संकटों को दूर कर देती हैं वे हमें धन व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। महागौरी माता की कृपा से ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। चारों वेद भी उनकी महिमा का वर्णन करते हैं। मैं महागौरी माता को प्रणाम करता हूँ।

सुखशांतिदात्री धनधान्यप्रदायनीम्।
डमरूवाद्यप्रिया अघा महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी हमें सुख व शांति प्रदान करती हैं। उन्हीं के द्वारा ही हमारे घर में धन-संपदा आती है और हम धनवान बनते हैं। उन्हें डमरू तथा वाद्य यंत्र बहुत ही ज्यादा अच्छे लगते हैं। मैं महागौरी देवी को नमस्कार करता हूँ।

त्रैलोक्यमंगलात्वंहि तापत्रय प्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

तीनों लोकों में मंगल कार्य महागौरी माता की ही कृपा से संभव हो पाते हैं। वे तीनों लोकों के ताप को हर लेती हैं और हम सभी उन्हें प्रणाम करते हैं। वे ही इस सृष्टि के प्राणियों को वरदान देकर उनका उद्धार करती हैं। मैं महागौरी माँ को नमन करता हूँ।

ऊपर आपने महागौरी स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (Mahagauri Stotra) पढ़ लिया है। इससे आपको मां महागौरी स्तोत्र का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम महागौरी माता स्तोत्र के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

महागौरी स्तोत्र का महत्व

माता पार्वती के कई रूप हैं लेकिन उनके पार्वती नाम या रूप के अलावा, भक्तों के द्वारा जिस रूप की सबसे अधिक पूजा की जाती है या जो रूप उनके समतुल्य देखा जाता है, वह महागौरी वाला ही रूप है। उन्हें हम केवल गौरी माता भी कह सकते हैं। महागौरी का यह रूप अत्यधिक उजला है जिसमें माता के शरीर का रंग भी गौरा है और उन्होंने सभी आभूषण भी श्वेत रंग के ही पहने हुए हैं। इसी कारण उनके इस रूप का नाम महागौरी पड़ा।

महागौरी माता सौभाग्य का प्रतीक हैं। यही कारण है कि श्रीराम को पुष्प वाटिका में देखने के बाद माता सीता गौरी पूजन करती हैं तो वहीं रासलीला से पहले श्रीकृष्ण को पाने के लिए माता राधा भी गौरी माता की ही पूजा करती हैं। ऐसे में महागौरी स्तोत्र के माध्यम से महागौरी माता की शक्तियों, कर्मों, उद्देश्य तथा महत्व के ऊपर प्रकाश डाला गया है। यही महागौरी देवी स्तोत्र का महत्व होता है।

महागौरी स्तोत्र के लाभ

जो स्त्रियाँ सच्चे मन के साथ महागौरी माता स्तोत्र का पाठ करती हैं और उनका ध्यान करती हैं तो ना केवल उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है बल्कि विवाह में आ रही हर अड़चन व बाधा भी अपने आप ही दूर हो जाती है। वहीं विवाहित महिला के द्वारा महागौरी स्तोत्रं का पाठ किये जाने पर उसका जीवन सुखमय बनता है तथा अपने पति के साथ संबंध मधुर होते हैं।

यदि कोई अविवाहित पुरुष मां महागौरी माता स्तोत्र का पाठ करता है तो उसका भी रिश्ता पक्का हो जाता है। हालाँकि उसे साथ में भगवान शिव की भी आराधना करनी होती है। वहीं विवाहित पुरुष के द्वारा महा गौरी स्तोत्र का पाठ किये जाने पर उसे अपनी पत्नी से सुख प्राप्त होता है। महागौरी माता सौभाग्य का भी प्रतीक होती हैं जो विवाहित महिलाओं के पति की रक्षा करती हैं और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने महागौरी स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (Mahagauri Stotram) पढ़ लिया हैं। साथ ही आपने मां महागौरी स्तोत्र के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

महागौरी स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मां गौरी को कैसे प्रसन्न करें?

उत्तर: यदि आप मां गौरी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर गौरी पूजन करें और इसके लिए जो विधि बताई गयी है, उसका पालन करें।

प्रश्न: नवरात्रि का 8 दिन कौन सी देवी?

उत्तर: नवरात्रि के 8 वें दिन नवदुर्गा के महागौरी रूप की पूजा करने का विधान है। महागौरी माता सौभाग्य का प्रतीक होती हैं जिनकी आराधना से विवाह में आ रही अडचन दूर होती है तो वहीं वैवाहिक संबंध मधुर बनते हैं।

प्रश्न: विवाह के लिए कौन सी देवी की प्रार्थना करनी चाहिए?

उत्तर: शीघ्र विवाह के लिए या विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए या सच्चे जीवनसाथी को पाने के लिए आप गौरी माता या महागौरी माँ की पूजा कर सकते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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