आज हम रामायण के एक प्रमुख पात्र सूर्पनखा का जीवन परिचय (Surpanakha In Hindi) जानेंगे। हालाँकि उसके नाम का शुद्ध रूप शूर्पणखा है लेकिन वर्तमान में बहुत लोग उन्हें सूर्पनखा के नाम से ही जानने और बोलने लगे हैं। अब रामायण में शूर्पणखा की क्या भूमिका थी और किस तरह से उसने रावण को भड़का कर माता सीता का हरण करवाया था, यह तो हर कोई जानता है।
किंतु क्या आप वास्तविकता में शूर्पणखा की कहानी (Surpanakha Ki Kahani) जानते हैं!! कहने का अर्थ यह हुआ कि सूर्पनखा की नाक कटने से पहले की कहानी क्या है और रावण के मरने के बाद उसका क्या हुआ था? आखिर क्यों शूर्पणखा अपने भाई की ही मृत्यु का कारण बनी। इतना ही नहीं, उसी के कारण ही संपूर्ण राक्षस सेना और उसके परिवार का अंत हो गया था। आज हम आपके साथ रावण की बहन सूर्पनखा के बारे में ही जानकारी सांझा करेंगे।
Surpanakha In Hindi | सूर्पनखा का जीवन परिचय
शूर्पणखा महान ऋषि विश्रवा व कैकसी की पुत्री थी। उसके तीन भाई थे जिनके नाम रावण, कुंभकरण, विभीषण हैं। रावण राक्षस राजा था जिस कारण सूर्पनखा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। शुरू से ही वह अति सुंदर व बड़े-बड़े नाखूनों वाली स्त्री थी। उसे अपने रूप, पद व शक्ति का बहुत ज्यादा अहंकार था जिसका वह पूरा लाभ भी उठाती थी।
फिर एक दिन ऐसा आया जब उसके इस अहंकार का अंत हो गया। उसने अपने अपमान का बदला लेने के लिए अपने सभी भाइयों को युद्ध में झोंक दिया। उसी ने ही अपने भाई रावण की बुद्धि भ्रष्ट की। जिस प्रकार मंथरा ने कैकई की बुद्धि भ्रष्ट कर दी थी ठीक उसी तरह रावण के लिए सूर्पनखा मंथरा की ही भूमिका में उभरी थी। आइए शूर्पणखा की कहानी की शुरुआत और अंत दोनों जान लेते हैं।
सूर्पनखा का असली नाम
बचपन में सूर्पनखा का असली नाम मीनाक्षी रखा गया था अर्थात जिसकी आखें मछली के समान हो। बाद में उसे चंद्रमुखी के नाम से भी जाना जाने लगा अर्थात जिसका मुख चंद्रमा के समान हो। शूर्पणखा के नाखून अत्यधिक बड़े व नुकीले हुआ करते थे। इसलिए उसका नाम शूर्पणखा पड़ा। शूर्पणखा का अर्थ होता है बड़े और नुकीले नाखूनों वाला।
सूर्पनखा का पति कौन था?
जब शूर्पणखा विवाह योग्य हो गई तब उसका विवाह दैत्य राजा कालनेय के पुत्र विद्युत जिव्ह के साथ करवा दिया गया। विद्युतजिव्ह भी रावण के समान परम प्रतापी था व दैत्यों की जाति का राजकुमार था। उसके अंदर भी रावण के समान संपूर्ण पृथ्वी पर शासन करने व राजा बनने की चाह थी। सूर्पनखा को अपने पति से जंबुमाली नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
मान्यताओं के अनुसार जब सूर्पनखा के पति की मृत्यु हो गई थी तब वह छह माह की गर्भवती थी। उसने अपने पुत्र को जन्म पंचवटी के वनों में दिया था। यह भी कहा जाता है कि जंबुमाली का वध लक्ष्मण के हाथों हुआ था लेकिन इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है।
शूर्पणखा की कहानी (Surpanakha Ki Kahani)
रावण लंका का राजा था व अत्यंत बलवान था। उसने अपने पराक्रम के बल पर अनेक राज्यों को अपने अधीन कर लिया था। वह संपूर्ण पृथ्वी, देव लोक व पाताल लोक को अपने अधीन करना चाहता था। इसलिए उसने अपने जीवनकाल में बहुत युद्ध किए व एक दिन उसका सामना दैत्य राजा कालनेय से भी हुआ। उनकी सेना में उनका पुत्र विद्युतजिव्ह भी था। रावण ने यह जानते हुए भी कि वह उसकी बहन का पति है उसका वध कर दिया।
जब शूर्पणखा को विद्युतजिव्ह की मृत्यु का समाचार पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हो गई। उसके अंदर रावण से प्रतिशोध लेने की अग्नि धधक रही थी। इसी प्रतिशोध की अग्नि में उसने रावण को श्राप दिया था कि उसकी मृत्यु का कारण वह बनेगी।
चूँकि रावण ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शिव की कठोर तपस्या करके अनेक वर प्राप्त किए थे। इस कारण उसे वरदान था कि उसकी मृत्यु किसी देवता, राक्षस, दैत्य, दानव, असुर, गन्धर्व, किन्नर, सर्प, यक्ष, गरुड़, नाग व गिद्ध से नहीं होगी। शूर्पणखा भी एक राक्षस थी तो वह भी रावण को नहीं मार सकती थी। अब वह रावण से अलग अपने भाई खर व दूषण के साथ रहने लगी थी जो समुंद्र के उस पार दंडकारण्य वन में रहते थे।
सूर्पनखा की नाक किसने काटी थी?
एक दिन शूर्पणखा (Surpanakha In Hindi) दंडकारण्य वन में विचरण कर रही थी तो उसकी नजर भगवान श्रीराम की कुटिया पर गई। उसने श्रीराम को देखा तो उनके सुंदर शरीर को देखकर वह उन पर सम्मोहित हो उठी। वह उनकी कुटिया में गई व भगवान राम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। भगवान श्रीराम ने स्वयं के विवाहित होने की बात कहकर उसके प्रस्ताव को विनम्रता से ठुकरा दिया।
श्रीराम के प्रस्ताव ठुकराने के पश्चात उसने उनके छोटे भाई लक्ष्मण के सामने वही प्रस्ताव रखा। लक्ष्मण ने उसकी इस मूर्खता को देखकर उसके प्रस्ताव को कठोर शब्दों के साथ ठुकरा दिया। दोनों भाइयों के द्वारा उससे विवाह के लिए मना किए जाने व लक्ष्मण के द्वारा कटु वचनों को सुनकर शूर्पणखा को अत्यंत क्रोध आ गया। तभी वह अपने राक्षस प्रजाति के व्यवहार के अनुसार माता सीता को खाने के लिए उनकी ओर झपटी।
माता सीता को बचाने के उद्देश्य से लक्ष्मण ने अपनी तलवार निकाली व शूर्पणखा की नाक व बायां कान काट दिया। यह देखकर वह रोती हुई वहाँ से चली गई व अपने भाई खर व दूषण को इसके बारे में बताया। खर व दूषण जब शूर्पणखा का बदला लेने के लिए गए तो राम व लक्ष्मण ने उन दोनों का वध कर दिया।
सूर्पनखा रावण संवाद
खर व दूषण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा समुंद्र पार करके लंका में रावण के राजमहल में पहुँची व सारा वृतांत गलत तरीके से सुनाया। उसने रावण के सामने भरी सभा में उसकी शक्ति पर प्रश्न उठाया तथा अपनी बहन के अपमान व खर दूषण की मृत्यु का बदला लेने की बात कही।
इसके साथ ही वह रावण के स्त्री के प्रति प्रेम को भी भलीभाँति जानती थी। इसलिए उसने रावण के सामने माता सीता की सुंदरता का बखान किया व रावण के लिए उसे एक उत्तम स्त्री बताया। रावण सीता के बारे में ऐसा विवरण सुनकर विचलित हो उठा। अपने अहंकार के मद में रावण ने माता सीता का अपहरण किया जो अंत में उसकी मृत्यु का कारण बना।
कुछ लोगों के अनुसार शूर्पणखा ने जान बूझकर राम व लक्ष्मण को क्रोध दिलाया था। चूँकि रावण ने स्वयं को मिले वरदान में अपनी मृत्यु के कारण में मानव व वानर को नही मांगा था तो उसकी मृत्यु उन दोनों के द्वारा हो सकती थी। जब उसे भगवान राम व लक्ष्मण की शक्ति के बारे में पता चला तो अपने भाई से अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसने यह सब षड्यंत्र रचा। इससे अंत में जाकर रावण की मृत्यु हुई।
अब वैसे तो रावण की मृत्यु के साथ ही शूर्पणखा की कहानी (Surpanakha Ki Kahani) का भी अंत हो गया था लेकिन लोक मान्यताओं व प्रचलित धारणाओं के आधार पर हम सूर्पनखा की मृत्यु के बारे में भी आपको बता देते हैं।
सूर्पनखा का अंत कैसे हुआ?
अपने भाई रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा ने भगवान विष्णु की गहन तपस्या की व उन्हें अगले जन्म में अपने पति के रूप में माँगा। भगवान विष्णु ने उसे यह वरदान दिया। अगले जन्म में जब भगवान विष्णु कृष्ण रुपी अवतार में इस धरती पर आए तब उनकी सोलह हज़ार पत्नियों में एक शूर्पणखा भी थी।
हालाँकि रावण की मृत्यु के बाद, सूर्पनखा का क्या हुआ और उसकी मृत्यु कैसे हुई, इसका उल्लेख किसी भी धर्मग्रंथ में देखने को नहीं मिलता है। ऐसे में यही अनुमान लगाया जा सकता है कि सूर्पनखा ने भगवान विष्णु से वरदान मिलने के पश्चात एकांत में अपने प्राणों का त्याग कर दिया था।
इस तरह से आज आपने सूर्पनखा का जीवन परिचय (Surpanakha In Hindi) जान लिया है। वैसे रामायण में मंथरा व शूर्पणखा का होना भी बहुत आवश्यक था। वह इसलिए क्योंकि ये दोनों नहीं होती तो ना ही भगवान श्रीराम को वनवास होता और ना ही माता सीता का हरण हो पाता। ऐसे में दुष्ट राक्षस राजा रावण का वध भी नहीं हो पाता।
शूर्पणखा का जीवन परिचय से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्पनखा के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर: सूर्पनखा के पुत्र का नाम जंबुमाली था। उसे जम्बुमाली, जंबूमाली इत्यादि नामों से भी बुलाया जाता है।
प्रश्न: शूर्पणखा के पति का नाम क्या था?
उत्तर: शूर्पणखा के पति का नाम विद्युत जिव्ह था जो दैत्यों के राजा कालनेय का पुत्र व दैत्यों का राजकुमार हुआ करता था।
प्रश्न: शूर्पणखा की मृत्यु कैसे होती है?
उत्तर: शूर्पणखा की मृत्यु कहाँ और कैसे होती है, इसके बारे में किसी भी धर्म ग्रंथ में किसी भी तरह का वर्णन नहीं मिलता है।
प्रश्न: रावण ने शूर्पणखा पति को क्यों मारा?
उत्तर: रावण में बहुत अहंकार था और वह संपूर्ण लोकों को अपने अधीन करना चाहता था। अपने इसी विजयी अभियान में उसने अपने जीजा तक का वध कर दिया था।
प्रश्न: रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा का क्या हुआ?
उत्तर: रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा का उल्लेख कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। कहते हैं कि इसके बाद शूर्पणखा भगवान विष्णु की तपस्या करते हुए ही मर गई थी।
प्रश्न: सूर्पणखा के पति को किसने मारा?
उत्तर: सूर्पणखा के पति को उसके भाई रावण ने ही मार डाला था।
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सूर्पनखा के बारे में जो पढ़ा वह मेरे लिए सरप्राइज था, आज के पहले यह रहस्य मुझे पता नहीं था। इस अद्भुत प्रसंग से अवगत कराने के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभार, धन्यवाद्।
आपका बहुत-बहुत आभार गिरीश जी
बहुत-बहुत बधाई आपको यह रोचक ज्ञान देने की हार्दिक शुभकामनाएँ