
रामायण में सीता अग्नि परीक्षा (Sita Agni Pariksha) की घटना उस समय घटित हुई थी जब भगवान श्रीराम रावण का वध कर माता सीता को अशोक वाटिका से लाने का आदेश देते हैं। उस समय भगवान श्रीराम सीता को अपने पास आने से पहले अग्नि परीक्षा देने को कहते हैं ताकि सीता की पवित्रता जाँची जा सके। हालाँकि इसके पीछे निहित उद्देश्य कुछ और थे लेकिन समय के साथ-साथ धर्मविरोधी लोगों ने इसके लिए श्रीराम पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए थे।
ऐसे में आज हम आपको बताएँगे कि माता सीता की अग्नि परीक्षा क्यों हुई थी? साथ ही आपको यह भी पता चलेगा कि माता सीता की अग्नि परीक्षा कहां हुई थी। दरअसल सीता की अग्नि परीक्षा (Sita Ki Agni Pariksha) के पीछे की सच्चाई जानने के बाद आपको इसके रहस्य का ज्ञान हो सकेगा। दरअसल जिस सीता को रावण उठाकर ले गया था, वह सीता थी ही नहीं।
इस कथा का प्रमाण रामायण में तब मिलता है जब लक्ष्मण माता सीता की अग्नि परीक्षा लिए जाने पर विद्रोह कर देते हैं और श्रीराम उनके समक्ष सीता अग्निपरीक्षा का रहस्योद्घाटन करते हैं। आइए जानते हैं सीता माता की अग्नि परीक्षा और उससे जुड़ी सच्चाई।
Sita Agni Pariksha | सीता अग्नि परीक्षा
विभीषण को माता सीता को लाने का आदेश देने के पश्चात जब श्रीराम व लक्ष्मण अपनी कुटिया में जाते हैं तब श्रीराम लक्ष्मण को अग्नि का प्रबंध करने को कहते हैं। यह सुनकर लक्ष्मण संशय में पड़ जाते हैं तथा इसका औचित्य पूछते हैं। तब भगवान श्रीराम लक्ष्मण को बताते हैं कि सीता को अग्नि को लाँघ कर उनके पास आना होगा अर्थात अग्नि परीक्षा देनी होगी।
यह सुनते ही लक्ष्मण आग-बबूला हो उठते हैं तथा अपने बड़े भाई श्रीराम के सामने ही विद्रोह कर देते हैं। उनकी बातों में क्रोध, दया, ग्लानि व विवशता का भाव होता है। वे श्रीराम को कहते हैं कि इसमें माता सीता का क्या दोष था तथा क्यों उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ेगी। यदि वे माता सीता की अग्नि परीक्षा लेंगे तो उनके पुत्र समान होने के कारण लक्ष्मण श्रीराम का विरोध करेगा।
आजकल की पीढ़ी में भी कुछ लोग धर्म को बदनाम करने व तथ्यों को बिना पढ़े लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से इस बात का आश्रय लेते हैं कि भगवान श्रीराम ने माता सीता के चरित्र पर संदेह किया। लेकिन यदि वे रामायण को सही से पढ़ेंगे तो उन्हें संपूर्ण सत्य का ज्ञान होगा। Sita Ki Agni Pariksha लेने का रहस्य स्वयं भगवान श्रीराम ने ही बताया था। आज हम आपके समक्ष वही प्रस्तुत करेंगे।
सीता की अग्नि परीक्षा क्यों हुई थी?
लक्ष्मण के शब्द श्रीराम के हृदय में लगे तथा उन्होंने उससे कहा कि वे कभी भी सीता के पतिव्रत धर्म तथा पवित्रता पर संदेह कर ही नहीं सकते। सीता पर संदेह करने का अर्थ होगा स्वयं पर संदेह करना। उन्होंने लक्ष्मण को बताया कि यदि रावण सचमुच की सीता को हाथ भी लगाता तो उसके तेज से रावण के हाथ जल जाते व वह कभी भी उनका हरण नहीं कर पाता। उन्हें तो अग्निदेव से अपनी सीता वापस चाहिए थी।
इसके पश्चात श्रीराम ने लक्ष्मण को Sita Agni Pariksha का रहस्य बताया। उन्होंने बताया कि रावण के द्वारा सीता हरण करने तथा स्वर्ण मृग के आने से पूर्व ही श्रीराम को भविष्य में घटित होने वाले संपूर्ण घटनाक्रम का पता चल गया था। तब उन्होंने सीता से कहा था कि अब वह समय आ गया है जब उन्हें इस धरती पर लीला करनी है। इसलिए उन्होंने सीता से अनुरोध किया कि जब तक वे दुष्ट रावण व पापियों का नाश न कर दें तब तक उन्हें अग्नि देव की सुरक्षा में रहना होगा।
इसके पश्चात उन्होंने अग्नि देव का आह्वान किया तथा असली सीता को उन्हें सौंप दिया जिससे कि वे उनके पास सुरक्षित रह सकें। अग्नि देव भगवान श्रीराम की आज्ञा पाकर माता सीता को अपने साथ ले गए तथा माता सीता की एक परछाई वहाँ छोड़ गए जिसे रावण हरके लेकर गया था। इसलिए उन्होंने लक्ष्मण को समझाया कि अब उन्हें अपनी असली सीता को अग्नि देव से वापस लेना होगा क्योंकि उनका उद्देश्य समाप्त हो चुका है।
सीता की अग्नि परीक्षा (Sita Ki Agni Pariksha)
माता सीता को हनुमान तथा अंगद अशोक वाटिका से श्रीराम के समक्ष लेकर आए। माता सीता श्रीराम से कुछ दूरी पर थी तभी श्रीराम ने उन्हें वहीं रुकने का आदेश दिया। श्रीराम ने लक्ष्मण को अपनी शक्ति से अग्नि उनके और सीता के बीच प्रज्ज्वलित करने का आदेश दिया। लक्ष्मण ने भारी मन से श्रीराम के आदेशानुसार अग्नि प्रज्ज्वलित कर दी जो बहुत बड़ी थी।
इसके बाद श्रीराम ने सीता को अग्नि लांघकर आने को कहा। माता सीता ने श्रीराम को प्रणाम किया और तुरंत धधकती अग्नि में प्रवेश कर लिया। उस समय संपूर्ण वानर सेना में भय फैल गया था कि अब क्या होगा। किसी को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था कि सीता अग्नि में कहाँ चली गई। श्रीराम को छोड़कर सभी के मुख पर भय, संदेह व विवशता दिखाई दे रही थी लेकिन श्रीराम वहीं शांत खड़े थे।
जैसे ही माता सीता ने अग्नि में प्रवेश किया था, तभी वहाँ अग्नि देव असली सीता को लेकर प्रकट हो गए थे। माता सीता की परछाई उस अग्नि में समा गई तथा अग्नि देव असली सीता को लेकर श्रीराम के समक्ष आ गए। सभी ने अग्नि के उस छोर से माता सीता को निकलते हुए देखा जिन्हें एक आंच भी नहीं आई थी। हर कोई इसे देखकर हतप्रभ था। माता सीता ने अग्नि से निकलते ही श्रीराम के चरण स्पर्श किए और सभी का आभार प्रकट किया।
सीता की अग्नि परीक्षा कहां हुई थी?
बहुत लोगों के मन में यह प्रश्न भी होता है कि Sita Agni Pariksha कहाँ हुई थी। अब यह तो सभी जानते हैं कि यह अग्नि परीक्षा लंका में ही हुई थी लेकिन यह लंका नगरी या रावण के महल में नहीं हुई थी। वह इसलिए क्योंकि श्रीराम के वनवास के नियमों के अनुसार उनका चौदह वर्षों तक किसी भी नगर में जाना प्रतिबंधित था। इसी कारण श्रीराम के आदेश पर हनुमान व अंगद माता सीता को रावण के महल में स्थित अशोक वाटिका से माता सीता को लेकर श्रीराम के पास वन में पहुँचे थे।
कहते हैं कि आज के समय में वह स्थल श्रीलंका में देवुरुम वेला है। इस जगह की मिट्टी श्रीलंका की अन्य जगह की मिट्टी से अलग है। श्रीलंका देश में भूरे या लाल रंग की मिट्टी पाई जाती है जबकि देवुरुम वेला की मिट्टी काली राख के जैसी है। इस जगह की पवित्रता को देखते हुए हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
नोट: यह ध्यान रखिए कि माता सीता स्वयं माँ लक्ष्मी का अवतार थी। माता लक्ष्मी का पूर्ण रूप में अपहरण करना सृष्टि में किसी रावण जैसे असुर के लिए तो क्या अन्य किसी के लिए भी असंभव था।
सीता अग्निपरीक्षा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सीता की अग्नि परीक्षा के बाद क्या हुआ
उत्तर: माता सीता धधकती अग्नि में पूरी तरह सुरक्षित बाहर निकल आई। आते ही उन्होंने श्रीराम की चरण वंदना की और सभी का आभार प्रकट किया। श्रीराम ने संपूर्ण वानर सेना का आभार प्रकट किया।
प्रश्न: माता सीता को अग्नि परीक्षा क्यों देनी पड़ी?
उत्तर: जो सीता रावण के पास थी वह केवल उनकी परछाई मात्र थी जबकि असली सीता अग्नि देव के पास थी। इस कारण माता सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी।
प्रश्न: क्या सीता ने वास्तव में अग्नि परीक्षा दी थी?
उत्तर: जी हाँ, माता सीता ने वास्तव में अग्नि परीक्षा दी थी। उन्होंने श्रीलंका के देवुरुम वेला नामक जगह पर अग्नि परीक्षा दी थी जहाँ की मिट्टी आज भी काली राख के समान है।
प्रश्न: अग्नि परीक्षा किसने ली थी?
उत्तर: भगवान श्रीराम ने रावण वध के पश्चात माता सीता की अग्नि परीक्षा ली थी। इसके बाद सभी अयोध्या लौट गए थे।
प्रश्न: सीता को अपनी पवित्रता क्यों साबित करनी पड़ी?
उत्तर: माता सीता कई महीनों के लिए रावण की नगरी लंका में रही थी। ऐसे में लोगों के मन में किसी तरह का संदेह उत्पन्न ना हो, इसके लिए माता सीता को अपनी पवित्रता सिद्ध करनी पड़ी थी।
प्रश्न: वह कौन थी जिन्होंने अग्नि परीक्षा दी थी?
उत्तर: वह माता सीता थी जिन्होंने अग्नि परीक्षा दी थी। उन्होंने श्रीराम के आदेशानुसार धधकती अग्नि में प्रवेश किया था और अग्नि परीक्षा दी थी।
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