आज हम आपको गोपाल चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Gopal Chalisa In Hindi) देने जा रहे हैं। अधिकतर लोगों के द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए गोपाल चालीसा का पाठ किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि गोपाल चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल रूप को समर्पित होती है।
ऐसे में आज हम आपको गोपाल चालीसा लिरिक्स (Gopal Chalisa Lyrics) तो देंगे ही। इसी के साथ ही गोपाल चालीसा के लाभ भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं गोपाल चालीसा हिंदी में।
Gopal Chalisa In Hindi | गोपाल चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित
॥ दोहा ॥
श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल॥
माता राधा के चरणों में प्रणाम कर और यमुना नदी में स्नान कर, हम सभी मंगल कामना की आशा से गोपाल चालीसा का शुभारंभ करते हैं।
॥ चौपाई ॥
जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।
हे श्री कृष्ण, आप ब्रह्मा की बनाई धरती पर विचरण करते हो और अपनी लीला दिखाकर दुष्टों का संहार करते हो। आपकी जय हो जय हो।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै।
जो भी भक्तगण आपके भजन करता है, उसे बिना कोई परिश्रम किये फल की प्राप्ति होती है।
श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता।
आप वासुदेव व देवकी के पुत्र हो जिन्होंने अपने बड़े भाई बलराम के बाद जन्म लिया था।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नंद भवन मे बजत बधाये।
कंस के मथुरा के कारावास में जन्म लेने के पश्चात आपको गोकुल गाँव लाया गया और नंदबाबा के घर में पालन-पोषण किया गया।
जो विष देन पूतना आई, सो मुक्ति दै धाम पठाई।
कंस के द्वारा भेजी गयी पूतना राक्षसी जब आपको दूध पिलाने के बहाने मारने आई तब आपने उसका संहार कर उसे मुक्ति दिलाई।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ, पग बढ़ाए सकटासुर मारयो।
आपने ही कागासुर राक्षस को मार गिराया और उत्कक्ष राक्षस का पैर की एक चोट से ही संहार कर दिया।
खेल खेल में माटी खाई, मुख में सब जग दियो दिखाई।
जब आपने खेल-खेल में मिट्टी खा ली और यशोदा माता के कहने पर अपना मुहं खोला तो उसमे उन्हें ब्रह्मांड के दर्शन करवाए।
गोपिन घर घर माखन खायो, जसुमति बाल केलि सुख पायो।
आपने वृंदावन के हर गोपी के घर से माखन खाया और यशोदा माता का प्रेम पाया।
ऊखल सों निज अंग बँधाई, यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई।
जब आपकी शरारतों से तंग आकर यशोदा माता ने आपको ऊखल से बाँध दिया तब आपने नलकुबेर व मनिग्रिव को नारद मुनि के श्राप से मुक्त करवाया।
बकासुर की चोंच विदारी, विकट अघासुर दियो सँहारी।
आपने बकासुर राक्षस की चोंच मरोड़ कर उसे मार गिराया तो वहीं कपटी राक्षस अघासुर का संहार किया।
ब्रह्मा बालक वत्स चुराये, मोहन को मोहन हित आये।
जब भगवान ब्रह्मा ने आपके मित्र और गाय चुरा लिए तब आपने उनकी माया समझ ली।
बाल वत्स सब बने मुरारी, ब्रह्मा विनय करी तब भारी।
आपने अपने अनेक रूपों से अपने मित्र व गाय माता प्रकट की और तब भगवान ब्रह्मा के विनती करने पर आपने उन्हें क्षमा किया।
काली नाग नाथि भगवाना, दावानल को कीन्हों पाना।
कालिया नाग के आंतक से सभी ब्रजवासी परेशान थे लेकिन आपने उस नाग का मान भंग किया।
सखन संग खेलत सुख पायो, श्रीदामा निज कंध चढ़ायो।
आप अपने मित्रों के साथ खेलकर बहुत प्रसन्न होते हो और उनका हर चीज़ में साथ देते हो।
चीर हरन करि सीख सिखाई, नख पर गिरवर लियो उठाई।
आपने इंद्र देव के अहंकार को समाप्त किया और इसके लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिया।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों, राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों।
राधा और आपका प्रेम निश्छल है और उससे आपको अत्यंत सुख की प्राप्ति होती है।
नन्दहिं वरुण लोक सों लाये, ग्वालन को निज लोक दिखाये।
नंद वरुण इत्यादि देवता देवलोक से आये और ग्वालिनो को लोक दर्शन करवाए।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई, अति सुख दीन्हों रास रचाई।
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा ने अपना तेज दिखाया और तब आपने गोपियों संग रासलीला रचाई।
अजगर सों पितु चरण छुड़ायो, शंखचूड़ को मूड़ गिरायो।
अजगर से आपने अपने पिता को मुक्ति दिलाई और शंखचूड को मार गिराया।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी, व्योमासुर मारयो छल वेषी।
देवताओं के आग्रह पर आपने व्योम नामक असुर का वध कर दिया।
व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये, मारि कंस यदुवंश बसाये।
सही समय आने पर आप मथुरा गए और कंस नामक दैत्य का वध किया।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई, सांदीपनी गृह विघा पाई।
तत्पश्चात आपने अपने माता-पिता देवकी व वासुदेव को कंस के कारावास से मुक्त करवाया और सान्दिपनी गुरु के यहाँ विद्या ग्रहण की।
पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी, प्रेम देखि सुधि सकल भुलानी।
वहां रहकर आपने सभी वेदों व शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की और आपके प्रेम को देखकर तो गुरु भी मतिभ्रम हो जाया करते थे।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी, हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी।
आपने रुक्मिणी की इच्छानुसार उसका हरण कर लिया और उसे अपनी पत्नी बनाया।
भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये, सुरन जीति सुरतरु महि लाये।
आपने भौमासुर नामक राक्षस से युद्ध कर उसे मार गिराया और उसके चंगुल से हजारों कन्याओं को मुक्त करवाया।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे, खग मृग नृग अरु बधिक उधारे।
आपने शिशुपाल की 100 गलतियाँ क्षमा करने के पश्चात उसका संहार कर दिया और सभी को सुख प्रदान किया।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों, पारथ रथ सारथि यश लीन्हों।
आपने निर्धन सुदामा को धनवान बना दिया और अर्जुन के सारथी बन उन्हें यश दिलाया।
गीता ज्ञान सिखावन हारे, अर्जुन मोह मिटावन हारे।
आपने अर्जुन के मन से मोह माया का त्याग करने के लिए कुरुक्षेत्र की भूमि पर गीता का ज्ञान दिया।
केला भक्त बिदुर घर पायो, युद्ध महाभारत रचवायो।
आप दुर्योधन के न्यौते को ठुकरा कर अपने भक्त विदुर के घर पधारे और महाभारत के युद्ध की रचना की।
द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो, गर्भ परीक्षित जरत बचायो।
आपने ही द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा की और पांडव के आखिरी वंशज परीक्षित की प्राण रक्षा की।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा, बावन कल्की बुद्धि मुनीशा।
आपने ही मत्स्य, कच्छप व वराह का अवतार लेकर दुष्टों का संहार किया और पृथ्वी की रक्षा की जिसमें आपका अंतिम अवतार कल्कि अवतार होगा।
ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो, राम रुप धरि रावण मारयो।
आपने ही नरसिंह का रूप धरकर अपने भक्त प्रह्लाद की उसके दैत्य पिता हिरन्यकश्यप से रक्षा की। आप ही ने श्रीराम का रूप धरकर रावण नामक दैत्य का वध किया।
जय मधु कैटभ दैत्य हनैया, अम्बरीष प्रिय चक्र धरैया।
आपने ही मधु-कैटभ नामक राक्षसों का वध किया और पूरे आकाश में अपना प्रिय सुदर्शन चक्र घुमाया।
ब्याध अजामिल दीन्हें तारी, शबरी अरु गणिका सी नारी।
आप ही ने हम सभी के कष्ट और दुखों का निवारण किया और शबरी जैसी महिलाओं का उद्धार किया।
गरुड़ासन गज फंद निकंदन, देहु दरश ध्रुव नयनानन्दन।
आप ही गरुड़ के सिंहासन पर विराजमान हो और आपके हाथों में वज्र है। आपके दर्शन मात्र से ही हमारी आँखें तृप्त हो जाती है।
देहु शुद्ध संतन कर संगा, बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रंगा।
आपकी संगति से ही हमारा शरीर शुद्ध हो जाता है और आपकी भक्ति करने और प्रेम करने से मन भी शुद्ध होता है।
देहु दिव्य वृंदावन बासा, छूटै मृग तृष्णा जग आशा।
हम सभी का मन केवल वृंदावन में ही निवास करता है और इसके पश्चात हमारी कोई आशा शेष नही रह जाती है।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद, शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद।
आपका ध्यान तो स्वयं महादेव, नारद मुनि, ब्रह्मा, वेद, ऋषि-मुनि इत्यादि करते हैं।
जय जय राधारमण कृपाला, हरण सकल संकट भ्रम जाला।
हे राधा के प्रिय, और सभी के ऊपर कृपा दृष्टि रखने वाले, संकटो को हरने वाले और माया-मोह से मुक्ति दिलाने वाले आपकी जय हो।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी, जो सुमरैं जगपति गिरधारी।
जो भी भक्तगण आपके नाम का उच्चारण करता है, उसके सभी दुःख, कष्ट आप हर लेते हो।
जो सत बार पढ़ै चालीसा, देहि सकल बाँछित फल शीशा।
जो भी गोपाल चालीसा का सात बार पाठ कर लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
॥ छंद ॥
गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई॥
जो भक्तगण प्रतिदिन श्री गोपाल चालीसा का पाठ करता है और कृष्ण के नाम का ध्यान करता है, उसका तन-मन शुद्ध हो जाता है और उसे गोलोक में स्थान मिलता है।
संसार सुख संपत्ति सकल, जो भक्तजन सन महँ चहैं।
जयरामदेव सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं॥
उसे संसार के सभी सुख-संपत्ति प्राप्त होती है और मन शांत रहता है। जयरामदेव सदा ही आपकी भक्ति करते हैं और गुरु की शरण में रहते हैं।
॥ दोहा ॥
प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा सिन्धु ब्रजेश।
चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश॥
हे हम सभी के प्राणों के दाता, हमे अपनी शरण में लीजिए, हे बृज क्षेत्र के स्वामी, हम पर अपनी कृपा बरसाएं। इस गोपाल चालीसा का पाठ करने पर आप हमे अपनाएं और हमारा उद्धार करें।
इस तरह से आज आपने गोपाल चालीसा लिरिक्स (Gopal Chalisa Lyrics) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। अब हम गोपाल चालीसा पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।
गोपाल चालीसा लिरिक्स का महत्व
गोपाल चालीसा के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।
श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्री गोपाल चालीसा का पाठ किया जाता है। यहीं श्री गोपाल चालीसा का महत्व है।
गोपाल चालीसा के लाभ
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि अधिकतर लोगों के द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए गोपाल चालीसा का पाठ किया जाता है। ऐसे में यदि आपको भगवान श्रीकृष्ण के जैसी संतान चाहिए, तो वह इस गोपाल चालीसा के पाठ से पूर्ण होती है। वही जिन लोगों को संतान प्राप्ति में दुविधा आ रही है, उन्हें भी गोपाल चालीसा पढ़नी चाहिए।
इसके अलावा, गोपाल चालीसा के माध्यम से माता-पिता को अपनी संतान से सुख प्राप्त होता है। यदि उनके संतान के जीवन में कोई दुःख चल रहा है, तो वह दूर होता है। गोपाल चालीसा का सच्चे मन से पाठ किया जाता है तो घर में सुख-शांति का वास होता है। यहीं गोपाल चालीसा के लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने गोपाल चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Gopal Chalisa In Hindi) पढ़ ली है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: