राम रावण का आखिरी युद्ध और उसका संपूर्ण विवरण

Ram Ravan Yuddh

आज हम राम रावण युद्ध (Ram Ravan Yudh) के बारे में पढ़ेंगे। भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करके जब रावण की नगरी पर आक्रमण किया तब एक-एक करके रावण के सभी महान योद्धा, सेनापति, पुत्र, भाई-बंधु मारे गए। अंत में केवल रावण ही बचा था इसलिए वह स्वयं रणभूमि में भगवान श्रीराम से युद्ध करने गया। वह सभी योद्धाओं में सबसे शक्तिशाली व पराक्रमी था।

हालाँकि इससे पहले भी राम रावण का युद्ध हो चुका था जिसमें रावण को पराजय का मुख देखना पड़ा था। किंतु इस बार वह सभी अस्त्र-शस्त्रों व पूरी तैयारी के साथ युद्धभूमि में आया था। वह इसलिए क्योंकि यह उसे भी पता था कि यह युद्ध राम रावण का आखिरी युद्ध (Ram Ravan Ka Yudh) के नाम से जाना जाएगा। इसलिए उसे इस युद्ध में पूरी शक्ति व सामर्थ्य के साथ लड़ना था।

यह युद्ध कुल दो दिन चला था जिसमें पहले दिन दोनों ही एक-दूसरे पर भारी पड़े थे। अगला दिन वह दिन था जिसके लिए भगवान विष्णु ने राम रुपी अवतार लिया था। उस दिन भगवान श्रीराम के आग्नेय बाण से रावण का वध हो गया था। आइए आज हम आपको पूरे घटनाक्रम के बारे में बता देते हैं।

Ram Ravan Yudh | राम रावण युद्ध

युद्धभूमि में पहुँचते ही रावण ने चारों ओर हाहाकार मचा दिया था। उसके बाणों से वानर सेना में चीख पुकार मच गई। जब बाली पुत्र अंगद को उसने परास्त कर दिया तब श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण उससे युद्ध करने पहुँचे। दोनों के बीच भीषण युद्ध चल ही रहा था कि स्वयं भगवान श्रीराम युद्धभूमि में आ पहुँचे तथा रावण को चुनौती दी।

श्रीराम के साथ विभीषण भी थे जो उन्हें रावण के रहस्य बता रहे थे। जब रावण ने युद्धभूमि में विभीषण को श्रीराम की सहायता करते देखा तो वह अत्यंत क्रोधित हो गया। उसने विभीषण को कटु वचन कहे तथा उसका वध करने के लिए अत्यंत शक्तिशाली शक्ति अस्त्र का प्रहार किया। विभीषण को बचाने के उद्देश्य से उस शक्ति प्रहार के सामने स्वयं प्रभु श्रीराम आ गए तथा घायल हो गए।

जब शक्ति के प्रहार से भगवान श्रीराम अचेत हो गए तब विभीषण, हनुमान व सुग्रीव रावण से युद्ध करने के लिए गए। रावण उनसे युद्ध कर ही रहा था कि जामवंत ने उन पर अपनी भुजाओं का प्रहार किया जिससे रावण मूर्छित होकर अपने रथ पर गिर पड़ा। रावण को मूर्छित देखकर उसका सारथी रावण के प्राण बचाने के लिए उसे युद्धभूमि से दूर ले गया।

जब रावण को चेतना वापस आई तब स्वयं के रथ को युद्धभूमि से बाहर देखकर उसने अपने सारथी पर क्रोध किया। उसने अपने सारथी को भला बुरा कहा तथा अपने ऊपर युद्धभूमि से भागने का कलंक लगाने का भागी बताया। उसने अपने सारथी को तत्काल युद्धभूमि में जाने का आदेश दिया ताकि वह पुनः शत्रु से युद्ध (Ram Ravan Yudh) कर सके।

फिर शुरू हुआ राम और रावण का युद्ध

रावण के पुनः युद्धभूमि में आने के पश्चात दोनों के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया। रावण ने प्रभु श्रीराम व उनकी सेना पर कई विध्वंसक अस्त्रों जैसे कि तामस अस्त्र, असुरास्त्र का प्रयोग किया। दोनों को ही युद्ध में कई चोटें आई लेकिन युद्ध समाप्त न हो सका तथा सूर्यास्त हो गया। शंखनाद हो गया तथा युद्ध विराम हो गया।

देवराज इंद्र ने भेजा अपना दिव्य रथ

अगले दिन जब युद्ध शुरू होने वाला था तब भगवान ब्रह्मा ने देवराज इंद्र को भगवान राम की सहायता करने के लिए अपना रथ भेजने को कहा। तब देव इंद्र ने अपने सारथी मातली को रथ लेकर भगवान श्रीराम के पास जाने को कहा। मातली देवराज इंद्र की आज्ञा पाकर श्रीराम के पास वह दिव्य रथ लेकर गए लेकिन लक्ष्मण ने इसे शत्रु की चाल समझकर संदेह किया।

तब मातली के द्वारा रथ का दिव्य वर्णन करने के पश्चात सभी की शंका मिट गई। भगवान श्रीराम ने देवराज इंद्र व भगवान ब्रह्मा को धन्यवाद कह वह रथ स्वीकार कर लिया। अगले दिन उन्होंने इसी रथ पर बैठकर रावण से युद्ध किया था जो उड़ भी सकता था। देवराज इंद्र के द्वारा इस रथ को भेजे जाने का यही कारण था कि रावण की मायावी शक्तियों की तरह ही इस रथ में भी वह सभी शक्तियां थी।

Ram Ravan Ka Yudh | राम रावण का आखिरी युद्ध

वह दिन आ चुका था जब भगवान श्रीराम के हाथों रावण का वध होना तय था। सूर्योदय हो गया और राक्षस सेना और वानर सेना आमने-सामने आ खड़ी हुई। युद्ध का शंखनाद होते ही राम रावण का युद्ध भी शुरू हो गया। इस युद्ध में दोनों की ओर से ही कई दैवीय अस्त्रों को चलाया गया। यह युद्ध कई देर तक चलता रहा और दोपहर हो गई।

इतने में ही रावण अपना रथ आकाश में ले गया तो प्रभु श्रीराम ने भी मातली को रथ आकाश में ले जाने को कहा। दोनों के बीच अब आकाश में ही भीषण युद्ध होने लगा। नीचे सभी वानर और राक्षस आकाश मार्ग में लड़े जा रहे इस भीषण युद्ध को देख रहे थे। वहीं स्वर्ग लोक से सभी देवता भी इस राम रावण युद्ध (Ram Ravan Ka Yudh) पर नज़र बनाए हुए थे।

  • रावण के सिर काटना

अंत में भगवान श्रीराम ने अपने बाणों से रावण के सिर काट डाले। जितनी बार वह रावण का सिर काटते तभी एक नया सिर प्रकट हो जाता जो रावण की धड़ से जुड़ जाता। यह देखकर प्रभु श्रीराम विचलित हो गए। रावण ने अपने दस सिर प्रकट कर लिए थे जो एक साथ हंस रहे थे। वह हंसी इतनी भयानक थी कि स्वर्ग लोक में देवता तक भयभीत हो गए। उन्हें यह आशंका थी कि यदि इस युद्ध में श्रीराम की पराजय हुई तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

  • विभीषण का रावण की मृत्यु का रहस्य बताना

नीचे खड़े विभीषण भी श्रीराम को असमंजस में देख रहे थे। वे रावण की मृत्यु का भेद जानते थे। यह सोचकर विभीषण अपनी मायावी शक्तियों से उड़कर श्रीराम के रथ पर पहुँच गए और उन्हें रावण की मृत्यु का रहस्य बताया। उन्होंने श्रीराम को बताया कि भगवान ब्रह्मा के वरदान से रावण की नाभि में अमृत का वास है। इसी के फलस्वरुप उसका एक मस्तक कटते ही नया मस्तक उत्पन्न हो जाता है। इसलिए उन्होंने प्रभु श्रीराम को पहले आग्नेय अस्त्र का प्रयोग करके रावण की नाभि का अमृत सुखाने का सुझाव दिया।

  • रावण की नाभि पर आग्नेय अस्त्र चलाना

रावण ने जब यह देखा कि विभीषण श्रीराम को कुछ बता रहे हैं तो वह अत्यधिक क्रोधित हो गया। वहीं दूसरी ओर, विभीषण से रावण की मृत्यु का रहस्य पाकर श्रीराम ने तुरंत आग्नेय अस्त्र का संधान किया तथा उसे रावण की नाभि पर छोड़ दिया। अपनी नाभि पर आग्नेय अस्त्र लगते ही रावण की चीख निकल गई जो पूरे ब्रह्माण्ड में गूंज गई। संपूर्ण जगत में हाहाकार फैल गया था और इस भयानक अस्त्र के प्रभाव से कुछ ही पल में रावण की नाभि का सारा अमृत सूख गया। 

  • ब्रह्मास्त्र से रावण का वध करना

अभी तक केवल रावण की नाभि का अमृत ही सूखा था लेकिन उसका वध नहीं हो पाया था। इसलिए प्रभु श्रीराम ने ब्रह्माण्ड के सबसे विध्वंसक अस्त्र ब्रह्मास्त्र का संधान किया तथा उसे रावण पर छोड़ दिया। ब्रह्मास्त्र के प्रहार से रावण जोर-जोर से जय श्रीराम का चीत्कार करता हुआ भूमि पर रथ सहित गिर पड़ा। इस प्रकार भगवान श्रीराम रावण वध करने में सफल हुए थे।

रावण वध के पश्चात रावण के नाना माल्यवान लंका नरेश के राजमुकुट को श्रीराम के पास लेकर आते हैं। वे श्रीराम के चरणों में उस राजमुकुट को रखकर लंका अयोध्या के अधीन होने की घोषणा कर देते हैं ताकि और रक्तपात होने से बच जाए। इस पर श्रीराम उसे विनम्रता पूर्वक ठुकरा देते हैं और विभीषण को लंका का नया राजा नियुक्त करते हैं। इसके बाद वे अपनी पत्नी सीता को लेकर विभीषण के पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या लौट जाते हैं।

राम रावण युद्ध से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राम और रावण के बीच युद्ध कितने दिन चला था?

उत्तर: इसको लेकर अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ के अनुसार यह 8 दिनों तक चला था तो वहीं कुछ लोग इसे 84 दिनों तक चलने वाला युद्ध कहते हैं

प्रश्न: राम ने रावण को कितने वर्ष की उम्र में मारा था?

उत्तर: जब श्रीराम ने रावण का वध किया था उस समय उनकी आयु लगभग 34 से 35 वर्ष रही होगी वह इसलिए क्योंकि विवाह के बाद 14 वर्ष तो उन्होंने वन में ही व्यतीत कर दिए थे

प्रश्न: राम कौन सी भाषा बोलते थे?

उत्तर: श्रीराम व अन्य भारतवासियों के द्वारा उस समय संस्कृत भाषा ही बोली जाती थी

प्रश्न: राम ने रावण को कौन से सन में मारा था?

उत्तर: राम ने रावण को त्रेता युग में मारा था उस समय आज के जैसे सन इत्यादि नहीं चलते थे यह आज से हजारों लाखों साल पहले की बात है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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