दस महाविद्याओं में बगलामुखी माता (Baglamukhi Mata) आठवीं महाविद्या के रूप में जानी जाती हैं। एक तरह से माता सती के 10 रूपों में से बगलामुखी माता को आठवां रूप माना गया है। मातारानी का यह रूप शत्रुओं का नाश करने वाला व वाक् शक्ति प्रदान करने के रूप में जाना जाता है।
इस रूप में मां बगलामुखी (Maa Baglamukhi) एक मृत शरीर पर बैठी हुई अपने एक हाथ से राक्षस की जिव्हा पकड़े हुई हैं। आप भी मातारानी के ऐसे रूप को देखकर आश्चर्य चकित हो जाएंगे। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ बगलामुखी माता की कहानी, बगलामुखी रहस्य, बगलामुखी माता का मंत्र व बगलामुखी पूजा के फायदे सहित सभी जानकारी सांझा करने वाले हैं।
Baglamukhi Mata | बगलामुखी माता
माता सती के कुल 10 रूप हैं जिन्हें महाविद्या का दर्जा दिया गया है। सभी दस रूपों के विभिन्न गुण व शक्तियां हैं। इन सभी में मातारानी का यह आठवां रूप जिसे हम बगलामुखी देवी के नाम से जानते हैं, अत्यधिक प्रसिद्ध है। आपने भी मातारानी के इस रूप का नाम सुन रखा होगा और इनकी आराधना की होगी। मुख्य तौर पर गुप्त नवरात्र के आठवें दिन मातारानी के इस रूप की पूजा की जाती है।
बगलामुखी देवी कोई साधारण देवी नहीं अपितु चमत्कारिक शक्तियां ली हुई हैं। यदि कोई भक्त सच्चे मन के साथ बगलामुखी माता की आराधना कर लेता है तो उसका उद्धार तय है। ऐसे में आइए बगलामुखी माता की कहानी सहित अन्य सभी बातों को विस्तार से जान लेते हैं।
बगलामुखी माता की कहानी
यह कथा बहुत ही रोचक है जो भगवान शिव व उनकी प्रथम पत्नी माता सती से जुड़ी हुई है। हालाँकि उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती माँ सती का ही पुनर्जन्म मानी जाती हैं। बगलामुखी महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था।
चूँकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किए जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नहीं बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।
यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है।
माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नहीं माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।
तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमें से आठवीं Baglamukhi Mata थी। मातारानी के यही 10 रूप दस महाविद्या कहलाए। अन्य नौ रूपों में क्रमशः काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, मातंगी व कमला आती हैं।
बगलामुखी का अर्थ
बगलामुखी शब्द दो शब्दों के मेल से बना है: बगला व मुखी। इसमें बगला शब्द संस्कृत के वल्गा का अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है लगाम लगाना। मुखी का अर्थ मुहं या चेहरे से है। इस प्रकार बगलामुखी का मतलब किसी चीज़ पर लगाम लगाने वाले मुहं से है। मातारानी के इस रूप को शत्रुओं या दुष्टों पर लगाम लगाने के लिए पूजा जाता है।
सीधे तौर पर कहें तो बगलामुखी माता एक ऐसा रूप है जो दुष्टों की जिव्हा को पकड़ कर उन पर लगाम लगाने का काम करती हैं। बगलामुखी माता की फोटो में भी उन्हें दुष्ट की जीभ पकड़े हुए ही दिखाया गया है।
बगलामुखी माता का रूप
मातारानी का रूप भीषण होने के साथ-साथ अपने भक्तों की रक्षा करने वाला भी है। अपने इस रूप में मातारानी स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। इस सिंहासन पर राक्षस का मृत शरीर पड़ा हुआ है जिसके ऊपर मातारानी बैठी हुई हैं।
माँ बगलामुखी के सिर पर मुकुट है और केश खुले हुए हैं। उनके तीन नेत्र व दो हाथ हैं। शरीर का रंग सुनहरा है जबकि उन्होंने पीले रंग के वस्त्र व आभूषण धारण किए हुए हैं। उन्होंने अपने एक हाथ में शत्रु को दंड देने के लिए एक बेलन के समान अस्त्र पकड़ा हुआ है जबकि दूसरे हाथ से राक्षस की जीभ पकड़ी हुई है।
वह राक्षस मातारानी के सामने उनके चरणों में बैठा हुआ है जिसने अपने एक हाथ में तलवार पकड़ी हुई है। मातारानी ने उसी राक्षस की जीभ पकड़ी हुई है व उसकी ओर देखती हुई उसे डराने का प्रयत्न कर रही है।
बगलामुखी रहस्य
एक बार गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में भयंकर तूफान आ गया था। उस तूफान ने वहां भीषण विनाश किया था। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी और हर जगह हाहाकार मच गया था। लोगों की इतनी दयनीय स्थिति को देखकर सभी देवताओं ने मातारानी से सहायता प्राप्ति की विनती की।
देवताओं की विनती के फलस्वरूप मातारानी का एक रूप हरिद्र सरोवर से प्रकट हुआ जिसे Maa Baglamukhi कहा गया। मां बगलामुखी ने अपनी शक्ति से इस तूफान को शांत किया। उसके बाद से ही मातारानी का बगलामुखी रूप प्रचलन में आया। आज भी सौराष्ट्र व गुजरात के लोगों के बीच मातारानी का यह अद्भुत रूप बहुत पूजनीय है।
बगलामुखी माता का मंत्र
अब हम मां बगलामुखी मंत्र की जानकारी आपको देंगे। दरअसल माता बगलामुखी के एक नहीं बल्कि कई मंत्र हैं जिन्हें अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उपयोग में लिया जाता है। इनमें तीन मुख्य मंत्र हैं जिन्हें हम बगलामुखी साधना मंत्र, बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र व बगलामुखी ध्यान मंत्र के नाम से जानते हैं।
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बगलामुखी साधना मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः॥
यदि आप बगलामुखी देवी की साधना करने को इच्छुक हैं तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए। बगलामुखी साधना मंत्र का जाप मुख्य तौर पर गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन किया जाता है। इसके जाप से मनुष्य की वाक् शुद्धि होती है। यदि उसे बोलने में कोई समस्या है, जैसे कि तुतलाहट, झल्लाना, अटकना इत्यादि तो वह ठीक हो जाती है।
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बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु॥
Baglmukhi Mata की आराधना मुख्य तौर पर अपने शत्रुओं का नाश करने के लिए ही की जाती है। ऐसे में यदि आप सच्चे मन के साथ बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र का जाप करते हैं तो अवश्य ही आपके शत्रुओं का नाश हो जाता है। इसी के साथ ही आपके जीवन में जो भी संकट या विपत्ति है, वह भी दूर होती है।
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बगलामुखी ध्यान मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा॥
यह Maa Baglamukhi का ध्यान करने वाला मंत्र होता है। बगलामुखी ध्यान मंत्र के लगातार जाप से आपके अंदर बगलामुखी माता की शक्तियां आती है। इससे व्यक्ति तेजवान व शक्तिशाली बनता है।
बगलामुखी पूजा के फायदे
यदि आप बगलामुखी माता की पूजा करते हैं तो इससे आपको कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। देवी बगलामुखी की पूजा करने से हमें अपने शत्रुओं का नाश करने में सहायता मिलती है। इसलिए भक्तों के द्वारा बगलामुखी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है व उन्हें प्रसन्न किया जाता है। आइए एक-एक करके बगलामुखी पूजा के फायदे जान लेते हैं।
- शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए बगलामुखी माता की पूजा की जाती है। इससे शत्रु का संपूर्ण नाश तक संभव है।
- किसी भी तरह की विपत्ति या संकट को दूर करने के लिए भी माता बगलामुखी की आराधना की जाती है।
- आगे का मार्ग दिखाने के लिए बगलामुखी देवी का ध्यान किया जाता है। इससे हम उन्नति कर पाते हैं।
- माँ हमारी वाक् शुद्धि भी करती है अर्थात उच्चारण में गलतियाँ, हकलाना या तुतलाहट इत्यादि देवी बगलामुखी के आशीर्वाद से ठीक होते हैं।
- केवल वाक् शुद्धि ही नहीं बल्कि मन की शुद्धि के लिए भी मां बगलामुखी का ध्यान किया जाता है।
यही कारण हैं कि भक्तों के द्वारा बगलामुखी माता को इतना अधिक महत्व दिया गया है। साथ ही जगह-जगह उनके मंदिर बनाए गए हैं ताकि माँ की कृपा हम पर यूँ ही बनी रहे।
Maa Baglamukhi से संबंधित अन्य जानकारी
- बगलामुखी माता पीले वस्त्र धारण करती हैं व इनका वर्ण भी पीला है। इसलिए इनका एक नाम पीताम्बरी देवी भी है।
- माता बगलामुखी का एक अन्य नाम स्तम्भन देवी भी है क्योंकि यह शत्रुओं व दुष्टों को अपंग बनाने में सहायक है।
- देवी बगलामुखी से संबंधित रुद्रावतार बग्लेश्वर महादेव हैं।
- बगलामुखी देवी के तीन शक्तिपीठ हैं जो हिमाचल के कांगड़ा, मध्यप्रदेश के दतिया व शाजापुर में स्थित हैं।
- महाभारत के भीषण युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन ने भी शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां बगलामुखी की पूजा की थी।
इस तरह से आज के इस लेख में आपने बगलामुखी माता (Baglamukhi Mata) की संपूर्ण जानकारी जान ली है। यदि आपके जीवन में भी कोई संकट है जो टल नहीं रहा है या कोई शत्रु है तो आप उसके समाधान के लिए बगलामुखी देवी की आराधना कर सकते हैं। अवश्य ही आपका संकट जल्दी टल जाएगा और शत्रु का नाश हो जाएगा।
बगलामुखी माता से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मां बगलामुखी किसका रूप है?
उत्तर: मां बगलामुखी देवी सती का एक रूप हैं जिसे उन्होंने भगवान शिव के सामने अपनी शक्तियां दिखाने के लिए प्रकट किया था।
प्रश्न: बगलामुखी कौन सा भगवान है?
उत्तर: बगलामुखी कोई भगवान नहीं अपितु देवी माँ का एक रूप है। वे दस महाविद्या में से एक महाविद्या मानी जाती है। इनकी पूजा गुप्त नवरात्र के आठवें दिन की जाती है।
प्रश्न: बगलामुखी माता को कैसे खुश करें?
उत्तर: यदि आप बगलामुखी माता को खुश करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको बगलामुखी माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए और विधिपूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए।
प्रश्न: मां बगलामुखी का दिन कौन सा होता है?
उत्तर: मां बगलामुखी की पूजा गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आते हैं। इस तरह से माघ व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टम तिथि मां बगलामुखी के दिन माने जाते हैं।
प्रश्न: बगलामुखी के रहस्य क्या हैं?
उत्तर: माता बगलामुखी का रहस्य यही है कि वह दुष्टों के आचरण को नियंत्रित करती है और हमारी वाक् शुद्धि करती है। उनकी आराधना से शत्रुओं का नाश हो जाता है।
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