शेरावाली मां की आरती लिखी हुई (Shera Wali Mata Ki Aarti)

Sherawali Mata Ki Aarti

शेरावाली माता की आरती (Sherawali Mata Ki Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

माँ पार्वती या फिर माँ दुर्गा के 108 नाम हैं और अपने हरेक नाम के अनुसार वे भिन्न-भिन्न रूपों और गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसी में उनका एक प्रसिद्ध नाम शेरावाली माता है जो उनके वाहन शेर की सवारी करने का परिसूचक है। दरअसल माँ दुर्गा की सवारी शेर है और इसी कारण उन्हें शेरावाली कहा जाता है अर्थात शेर की सवारी करने वाली मातारानी। ऐसे में आज हम आपके साथ शेरावाली माता की आरती का पाठ (Sherawali Mata Ki Aarti) ही करने जा रहे हैं।

अब शेरावाली मां की आरती (Sherawali Ki Aarti) कोई अलग से नहीं है बल्कि जो अम्बे माता की आरती है, उसे ही शेरेवाली माता की आरती के नाम से जाना जाता है। इस लेख में आपको ना केवल शेरावाली माता की आरती लिखी हुई पढ़ने को मिलेगी बल्कि साथ ही उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ मां शेरावाली की आरती का महत्व व लाभ (Shera Wali Mata Ki Aarti) भी सांझा करेंगे।

शेरावाली माता की आरती (Sherawali Mata Ki Aarti)

जय शेरावाली गौरी मैया जय मंगल मूर्ति मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ टेक॥

मांग सिन्दूर बिराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोऊ नैना चन्द्र बदन नीको॥ जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त पुष्प गल माला कंठन पर साजै॥ जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी॥ जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥ जय॥

शुम्भ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती॥ जय॥

चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोऊ मारे, सुर भयहीन करे॥ जय॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥ जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावत नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू॥ जय॥

तुम ही जगत की माता तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता॥ जय॥

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर-नारी॥ जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति॥ जय॥

शेरावाली जी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पत्ति पावै॥ जय॥

शेरावाली मां की आरती (Sherawali Ki Aarti) – अर्थ सहित

जय शेरावाली गौरी मैया जय मंगल मूर्ति मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥

हे माँ शेरावाली व गौरी!! आपकी जय हो। हे हम सभी का मंगल करने वाली माँ!! आपकी जय हो। हे श्याम व गौर दोनों वर्णों वाली माँ!! आपकी जय हो। स्वयं त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी दिन-रात आपका ही ध्यान करते हैं।

मांग सिन्दूर बिराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोऊ नैना चन्द्र बदन नीको॥

आपने अपनी माँग में सिंदूर भर रखा है और कस्तूरी का तिलक लगा रखा है। आपकी दोनों ही आँखें बहुत तेजस्वी है तथा आपका शरीर चंदन सा महक रहा है।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त पुष्प गल माला कंठन पर साजै॥

आपका शरीर सोने की भांति चमक रहा है और आप लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं। आपने अपने गले में लाल रंग के फूलों की माला पहनी हुई है जो बहुत ही सुन्दर लग रही है।

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी॥

आप अपने वाहन सिंह पर विराजती हैं और आपने अपने हाथों में तलवार व राक्षसों की खोपड़ियाँ ली हुई है। देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि सभी ही आपके सेवक हैं और आप उनका दुःख दूर करती हैं।

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥

आपने अपने कानो में कुंडल और नाक में मोती पहना हुआ है जो बहुत ही अच्छे लग रहे हैं। इन्हें देख कर लगता है कि वे करोड़ो सूर्य व चन्द्रमा से भी अधिक प्रकाश फैला रहे हैं।

शुम्भ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती॥

आपने शुम्भ व निशुम्भ नामक राक्षसों का वध कर दिया था। इसी के साथ आपने दैत्य राजा महिषासुर का भी संहार किया था। आपकी आँखों से राक्षसों का संहार करने के लिए धुआं निकलता रहता है और आप दिन-रात उसी ताक में ही रहती हैं।

चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोऊ मारे, सुर भयहीन करे॥

आपने चंड-मुंड नामक राक्षसों का भी वध किया था तथा अत्यधिक शक्तिशाली रक्तबीज को भी मार गिराया था। आपने क्षीर सागर पर आक्रमण करने आये मधु-कैटभ राक्षसों का भी वध कर दिया था और देवताओं का भय दूर किया था।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥

आप ही माँ सरस्वती, माँ पार्वती व माँ लक्ष्मी हो। सभी वेद व शास्त्र भी आपका बखान करते हैं और आप शिव भगवान को बहुत प्रिय हो।

चौंसठ योगिनि मंगल गावत नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू॥

चौसंठ तरह की प्रजातियाँ भी आपका मंगलगान करती हैं। आपकी आराधना में तो स्वयं भैरव बाबा ताल, मृदंग, डमरू की ताल पर नाचते हैं।

तुम ही जगत की माता तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता॥

आप ही इस जगत की माँ हो, आप ही इस जगत का पालन-पोषण करती हो, आप ही भक्तों के दुखों को दूर करती हो और आप ही हम सभी को सुख-संपत्ति देती हो।

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर-नारी॥

आपकी चार भुजाएं हमें अभय व वरदान देने की मुद्रा में बहुत ही सुंदर लग रही हैं। जो भी मनुष्य सच्चे मन से आपकी सेवा करता है, उसे इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है।

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति॥

सोने की थाली के साथ आपकी आरती उतारी जाती है। उस थाली में हम अगरबत्ती, कपूर व दीपक अवश्य रखते हैं। श्रीमालकेतु में आपका निवास स्थान है और आपकी आरती की ज्योति करोड़ो रत्नों से भी अधिक प्रकाशमान है।

शेरावाली जी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पत्ति पावै॥

जो कोई भी माँ शेरावाली की आरती को सच्चे मन से गाता है। शिवानन्द स्वामी जी के अनुसार, उसे हर तरह का सुख व संपत्ति प्राप्ति होती है।

मां शेरावाली की आरती (Maa Sherawali Aarti) – महत्व

सनातन धर्म में कई तरह की देवियों व उनके तरह-तरह के रूपों के बारे में बात की गयी है तथा उनका महत्व दर्शाया गया है किन्तु उन सभी का आधार माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ शेरावाली या दुर्गे के नाम से भी जानते हैं, वही हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती तथा अन्य देवियाँ माँ शेरावाली का ही एक रूप हैं या उनसे प्रकट हुई हैं। माँ शेरावाली ही इन सभी की आधार देवी मानी जाती हैं।

शेरावाली माँ की आरती के माध्यम से हम सभी को यह बताने की चेष्ठा की गयी है कि उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है और जो व्यक्ति शेरावाली माँ की आरती पढ़ता है, उसका उद्धार होना तय है। मां शेरावाली की आरती के माध्यम से उनके गुणों, शक्तियों, पराक्रम, कर्मों, महत्व इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है ताकि भक्तगण माँ के महत्व के बारे में अच्छे से जान सकें। यही शेरावाली माता की आरती का महत्व होता है।

शेरेवाली माता की आरती (Shera Wali Mata Ki Aarti) – लाभ

अब आपको जय शेरावाली की आरती का पाठ करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं, इसके बारे में भी जानना होगा तो हम आपको निराश ना करते हुए इसके बारे में भी जानकारी देंगे। दरअसल शेरावाली माता की आरती का पाठ करने से व्यक्ति को एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो उसके जीवन की दिशा तक को बदल सकते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मां शेरावाली की आरती का पाठ करने के फायदे बहुत सारे हैं।

जो व्यक्ति नियमित रूप से ऊपर बताये गए नियमों का पालन करते हुए शेरावाली मां की आरती पढ़ता है, उसे अवश्य ही इसका प्रभाव कुछ ही सप्ताह में देखने को मिल जाता है। अब इनमे से कौन-कौन से लाभ आपको मिल सकते हैं, वह हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। आइये जाने शेरावाली माता आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ।

  • यदि आपका कोई काम नहीं बन पा रहा है या रह-रह कर उसमें किसी ना किसी तरह की रूकावट आ रही है तो माँ शेरावाली के प्रभाव से वह जल्दी ही बन जाता है।
  • यदि आपका मन खिन्न है या आप किसी बात को लेकर तनाव में हैं तो शेरेवाली माता की आरती के प्रभाव से मन शांत होता है तथा तनाव दूर हो जाता है।
  • यदि आपको आगे का कोई मार्ग समझ नहीं आ रहा है या जीवन में क्या किया जाए, इसको लेकर चिंतित हैं तो आगे का मार्ग भी सुगम होता है तथा आपको एक नयी राह भी मिलती है।
  • माता शेरावाली के प्रभाव से और उनकी आरती के नियमित पाठ से आपका यश परिवार, मित्रों व समाज में फैलता है तथा मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है।
  • यदि आपके ऊपर कोई बुरा साया है या बुरी शक्तियों का प्रभाव है तो वह भी शेरावाली माँ के प्रभाव से समाप्त हो जाता है। यह लाभ तो आपको बस शेरावाली माँ की आरती के पाठ के कुछ दिनों में ही देखने को मिल जाएगा।

हालाँकि शेरावाली माता आरती को पढ़ने के इनके अलावा भी कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। फिर भी हमने उनमें से कुछ चुनिंदा लाभों को आपके सामने रखा है ताकि आपको यह पता चल सके कि यदि आप नियमित रूप से शेरावाली की आरती पढ़ेंगे तो आपके ऊपर उसका क्या प्रभाव होगा।

शेरावाली माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: शेरावाली माता कौन सी है?

उत्तर: माँ दुर्गा की सवारी शेर होती है और शेर की सवारी करने के कारण ही उन्हें एक नाम शेरावाली दिया गया था अर्थात शेर की सवारी करने वाली मातारानी।

प्रश्न: शेरावाली माता के कितने हाथ हैं?

उत्तर: शेरावाली माता कोई और नहीं बल्कि माँ दुर्गा का ही एक नाम है। माँ दुर्गा की आठ भुजाएं होती है। तो इसका अर्थ हुआ शेरावाली माता की भी आठ भुजाएं हैं।

प्रश्न: मां शेरावाली की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्तर: जब माँ पार्वती या माँ दुर्गा के द्वारा शेर को अपने वाहन के रूप में अपनाया गया, तब से ही उनका एक नाम शेरावाली पड़ गया अर्थात मातारानी का वह रूप जो शेर की सवारी करता है।

प्रश्न: शेरावाली माता के पिता कौन है?

उत्तर: शेरावाली माता को माँ पार्वती का ही रूप माना जाता है। पार्वती माता हिमालय पर्वत की पुत्री हैं और ऐसे में हम शेरावाली माता को भी हिमालय पर्वत की पुत्री कह सकते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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