आज हम आपको मां काली चालीसा (Maa Kali Chalisa) हिंदी में अर्थ सहित देंगे। माँ दुर्गा ने दुष्ट से दुष्टों व पापियों का नाश करने के उद्देश्य से ही अपने इस भयंकर रूप काली को प्रकट किया था जो हमेशा ही क्रोध की अग्नि में जलता रहता है। काली माता दिखने में अवश्य ही भयंकर है लेकिन वे केवल दुष्टों, अधर्मियों और बुरी प्रवृत्ति वाले लोगों का ही नाश करती है।
आज के इस लेख में हम आपके साथ काली चालीसा इन हिंदी (Maa Kali Chalisa In Hindi) में साझा करने वाले हैं ताकि आप उसका संपूर्ण अर्थ व महत्व जान सकें। यदि हम काली चालीसा का पाठ उसके अर्थ को जानकर करते हैं तो इसका ज्यादा फायदा मिलता है। ऐसे में आज हम आपको काली चालीसा पढ़ने के फायदे भी बताने वाले हैं। तो आइए सबसे पहले जानते हैं मां काली चालीसा इन हिंदी में अर्थ सहित।
Maa Kali Chalisa | मां काली चालीसा
॥ दोहा ॥
जय काली जगदम्ब जय, हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के, निशदिन हृदय-निकुंज॥
जयति कपाली कालिका, कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी, निज सेवक अनुमानि॥
हे माँ काली!! आपकी जय हो। हे माँ जगदंबा!! आपकी जय हो। आप ही इस जगत के कष्ट व अहंकार को दूर करती हो। आप अपने भक्तों व सेवक के हृदय में दिन-रात वास करें। हे कपाली कालिका!! आपकी जय हो। आप हम सभी को सुख प्रदान करने वाली हो। आप अपने इस सेवक पर कृपा कीजिये और हमें वरदान दीजिये।
॥ चौपाई ॥
जय जय जय काली कंकाली। जय कपालिनी, जयति कराली॥
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा। जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा॥
आर्या, हला, अम्बिका, माया। कात्यायनी उमा जगजाया॥
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी। दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी॥
हे काली कंकाली माँ!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। हे कपालिनी माँ!! आपकी जय हो। आप अंबा माँ के रूप में शिव भगवान को प्रिय हो। हे कपर्दिनी व जगदंबा माँ!! आपकी जय हो। आर्या, हला, अम्बिका, माया, कात्यायनी, उमा, जगजाया, गिरिजा, गौरी, दुर्गा, चंडी, दाक्षाणायिनी, शाम्भवी, प्रचंडी इत्यादि कई नाम आपके ही हैं।
पार्वती मंगला भवानी। विश्वकारिणी सती मृडानी॥
सर्वमंगला शैल नन्दिनी। हेमवती तुम जगत वन्दिनी॥
ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय। महारात्रि जय मोहरात्रि जय॥
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका। कूष्माण्डा कार्तिकी चण्डिका॥
पार्वती, मंगला, भवानी, विश्वकारिणी, सती, मृडानी, सर्वमंगला, शैलपुत्री, नंदिनी, हेमवती इत्यादि भी आपके ही नाम हैं। आप इस जगत में वंदनीय हैं। आपके ब्रह्मचारिणी, कालरात्रि, महारात्रि व मोहरात्रि रूप की जय हो। आप ही त्रिमूर्ति, रोहिणी, कालिका, कूष्मांडा, कार्तिकी व चंडिका हो।
तारा भुवनेश्वरी अनन्या। तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या॥
धूमावती षोडशी माता। बगला मातंगी विख्याता॥
तुम भैरवी मातु तुम कमला। रक्तदन्तिका कीरति अमला॥
शाकम्भरी कौशिकी भीमा। महातमा अग जग की सीमा॥
आप ही माँ तारा, भुवनेश्वरी, अनन्या, छिन्नमस्ता, शुचिधन्या, धूमावती, षोडशी, बगलामुखी, मातंगी के रूप में प्रसिद्ध हो। तुम ही भैरवी, कमला व रक्तदंतिका के रूप में प्रसिद्ध हो। तुम ही शाकम्भरी, कौशिकी, भीमा, महातमा के रूप में इस जगत की सीमा हो।
चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री। ब्रह्मवादिनी माँ गायत्री॥
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला। अग्निज्वाल तुम सर्वमंगला॥
मेघस्वना तपस्विनि योगिनी। सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी॥
जलोदरी सरस्वती डाकिनी। त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी॥
तुम ही चन्द्रघंटिका, सावित्री, ब्रह्मवादिनी, गायत्री, रुद्राणी, कृष्ण पिंगला, अग्नि की ज्वाला, सभी का मंगल करने वाली, मेघ की गर्जना, तपस्विनी, योगिनी, सहस्त्राक्षि, भोगिनी, जल में निवास करने वाली, सरस्वती, डाकिनी, त्रिदशेश्वरी, ना जीती जा सकने वाली व लाकिनी हो।
पुष्टितुष्टि धृति स्मृति शिव दूती। कामाक्षी लज्जा आहूती॥
महोदरी कामाक्षि हारिणी। विनायकी श्रुति महा शाकिनी॥
अजा कर्ममोही ब्रह्माणी। धात्री वाराही शर्वाणी॥
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी। मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी॥
आपके द्वारा ही भगवान शिव को स्मृति होती है और आप ही कामाक्षी रूप में लज्जा की आहुति दे देती हो। आप ही महोदरी रूप में कामाक्षी का नाश करती हो तो वहीं गणेश भगवान आपके महाशाकिनी रूप का ध्यान करते हैं। भगवान ब्रह्मा आपके ब्रह्माणी रूप का ध्यान करते हैं तो वहीं विष्णु शर्वाणी रूप में मग्न रहते हैं। आप ही स्कंदमाता के रूप में सिंह की सवारी करती हैं। आप ही माँ सुभद्रा के रूप में कष्टों का नाश करती हैं।
नाम रूप गुण अमित तुम्हारे। शेष शारदा बरणत हारे॥
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता। नाम कालिका जग विख्याता॥
अष्टादश तब भुजा मनोहर। तिनमहँ अस्त्र विराजत सुंदर॥
शंख चक्र अरु गदा सुहावन। परिघ भुशुण्डी घण्टा पावन॥
आपके गुणों के अनुसार अनेक नाम हैं जिनका वर्णन करते हुए तो शेषनाग व शारदा भी हार जाते हैं। आपके शरीर का रंग श्याम अर्थात काला है और आपका काली नाम पूरे जगत में प्रसिद्ध है। आपकी आठ भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं। आपने अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा इत्यादि ले रखे हैं जिससे आप राक्षसों का वध करती हैं और भक्तों को सुख देती हैं।
शूल बज्र धनुबाण उठाए। निशिचर कुल सब मारि गिराए॥
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे। रक्तबीज के प्राण निकारे॥
चौंसठ योगिनी नाचत संगा। मद्यपान कीन्हेउ रण गंगा॥
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि। दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि॥
आपने शूल, बज्र व धनुष-बाण उठाया हुआ है और उससे आपने राक्षसों का कुल सहित नाश कर दिया है। आपने ही शुंभ-निशुंभ व रक्तबीज जैसे भयानक राक्षसों का वध किया था। आपके साथ चौंसठ योगियां नाच रही हैं और आपने युद्धभूमि में मदिरा पान किया था। आपकी आवाज मात्र से ही दैत्य वंश में हाहाकार मच जाता है और वे कांपने लग जाते हैं।
कर खप्पर त्रिशूल भयकारी। अहै सदा सन्तन सुखकारी॥
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा। बजत मृदंग भेरी के बाजा॥
रक्त पान अरिदल को कीन्हा। प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा॥
लपलपाति जिव्हा तब माता। भक्तन सुख दुष्टन दुःख दाता॥
आपने अपने हाथों में खप्पर व त्रिशूल भी पकड़ा हुआ है जिससे शत्रु भयभीत रहते हैं। आप हमेशा अपने भक्तों को सुख प्रदान करती हैं। आप राक्षसों के शवों पर नृत्य करती हैं और मृदंग की ताल पर नाचती हैं। आप तो युद्धभूमि में शत्रुओं का रक्त तक पी जाती हैं। आपकी जीभ उनका रक्त पीने के लिए लपलपाती है और आप अपने भक्तों के सभी दुःख व संकट दूर कर देती हैं।
लसत भाल सेंदुर को टीको। बिखरे केश रूप अति नीको॥
मुंडमाल गल अतिशय सोहत। भुजामल किंकण मनमोहत॥
प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी। जगदम्बा कहि वेद बखानी॥
तुम मशान वासिनी कराला। भजत तुरत काटहु भवजाला॥
आपने भाला पकड़ा हुआ है, सिन्दूर का तिलक किया हुआ है और बाल बिखरे हुए हैं। आपके गले में राक्षसों के कटे सिर की माला है और आठों भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र हैं। आपकी यह छवि बहुत ही सुन्दर लग रही है। आप प्रलय काल में भवानी रूप में नृत्य करती हैं और आपकी महिमा का बखान तो वेद भी करते हैं। आप अग्नि में वास करती हैं और आपके भजन करने से हमारे सभी बंधन टूट जाते हैं।
बावन शक्ति पीठ तव सुन्दर। जहाँ बिराजत विविध रूप धर॥
विन्धवासिनी कहूँ बड़ाई। कहूँ कालिका रूप सुहाई॥
शाकम्भरी बनी कहूँ ज्वाला। महिषासुर मर्दिनी कराला॥
कामाख्या तव नाम मनोहर। पुजवहिं मनोकामना द्रुततर॥
आपके बावन शक्तिपीठ बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं जिनमें आपने अलग-अलग रूप लिए हुए हैं। कहीं आप विंध्यवासिनी रूप में प्रचलित हैं तो कहीं आपका कालिका नाम प्रसिद्ध है। कहीं आप शाकम्भरी तो कहीं ज्वाला माता तो कहीं महिषासुर मर्दिनी के रूप में विख्यात हैं। आपका कामख्या नाम मन को मोहित कर देने वाला है और जो भी आपकी पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
चंड मुंड वध छिन महं करेउ। देवन के उर आनन्द भरेउ॥
सर्व व्यापिनी तुम माँ तारा। अरिदल दलन लेहु अवतारा॥
खलबल मचत सुनत हुँकारी। अगजग व्यापक देह तुम्हारी॥
तुम विराट रूपा गुणखानी। विश्व स्वरूपा तुम महारानी॥
आपने ही चंड-मुंड नामक राक्षसों का वध कर देवताओं को अभय वरदान दिया था। माँ तारा के रूप में आप हर जगह व्याप्त हैं और दुष्टों की सेना में आप हाहाकार मचा देती हैं। आपकी हुँकार सुनते ही दुष्टों की सेना में प्रलय मच जाती है और आपका रूप हर जगह व्याप्त है। आपका रूप बहुत ही विशाल है और आप सब जगह वंदनीय हैं।
उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण। करहू दास के दोष निवारण॥
माँ उर वास करहू तुम अंबा। सदा दीन जन की अवलंबा॥
तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई। ता कहँ भीति कतहुँ नहिं होई॥
विश्वरूप तुम आदि भवानी। महिमा वेद पुराण बखानी॥
हम सभी की उत्पत्ति का कारण आप ही हैं और आप ही हमारे दोष को दूर कर सकती हैं। आप इस सेवक के हृदय में वास कीजिये और इस दीन की रक्षा कीजिये। आपका ध्यान जो कोई भी व्यक्ति करता है, उसे किसी भी प्रकार का संकट नहीं होता है। आप आदि काल से हैं और संपूर्ण विश्व में विख्यात हैं। आपकी महिमा का वर्णन तो वेद भी करते हैं।
अति अपार तव नाम प्रभावा। जपत न रहन रंच दुःख दावा॥
महाकालिका जय कल्याणी। जयति सदा सेवक सुखदानी॥
तुम अनन्त औदार्य विभूषण। कीजिये कृपा क्षमिये सब दूषण॥
दास जानि निज दया दिखावहु। सुत अनुमानित सहित अपनावहु॥
आपके नाम की बहुत महिमा है और जो भी आपका नाम जपता है, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं। महाकालिका के रूप में आप हम सभी का कल्याण करती हैं और अपने भक्तों को सुख प्रदान करती हैं। आप अनन्त, औदार्य से विभूषित हैं और अब आप हमारे दोष दूर कर हमें क्षमा कीजिये। आप हमें अपना सेवक मान कर हम पर थोड़ी दया दिखाइए और हमें अपना लीजिये।
जननी तुम सेवक प्रति पाली। करहु कृपा सब विधि माँ काली॥
पाठ करै चालीसा जोई। तापर कृपा तुम्हारी होई॥
आप हमेशा से ही अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और हम सभी विधिपूर्वक आपकी पूजा करते हैं। जो भी इस काली माँ की चालीसा का पाठ करता है, उस पर माँ की कृपा दृष्टि रहती है।
॥ दोहा ॥
जय तारा जय दक्षिणा, कलावती सुखमूल।
शरणागत भक्त है, रहहु सदा अनुकूल॥
माँ तारा की जय हो, माँ दक्षिणा की जय हो। कलावती के रूप में आप सुखों को प्रदान करने वाली हो। आपकी शरण में हम सभी भक्तगण आये हैं और अब आप हमारा उद्धार कीजिये।
इस तरह से काली चालीसा का पाठ और उसका अर्थ (Maa Kali Chalisa In Hindi) यहीं समाप्त हो जाता है। अब बारी आती है काली चालीसा पढ़ने के फायदे और उसके महत्व को जानने की। आइए अब इसके बारे में भी विस्तार से जान लेते हैं।
मां काली चालीसा का महत्व
माँ दुर्गा ने अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप लिए हैं और उसी के अनुसार ही उनकी पूजा करने का विधान रहा है। अब मातारानी के कुछ रूप बहुत ही मनोहर, मन को शांति देने वाले तथा सौम्य रंग रूप वाले होते हैं लेकिन इन सभी रूपों के विपरीत माँ दुर्गा का माँ काली वाला रूप मन को भयभीत कर देने वाला, काले रंग का व गले में राक्षसों के कंकाल लिए हुए होता है। इस रूप में मातारानी रक्त से सनी हुई, क्रोधित व लाल आँखों वाली होती है।
काली चालीसा के माध्यम से हमें ना केवल माँ काली के रूप का वर्णन मिलता है अपितु उन्होंने किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लिया था, इसके बारे में भी पता चलता है। ऐसे में धर्म का कार्य करने वाले लोगों को तो माँ काली से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस तरह से माँ काली सज्जन मनुष्यों की अधर्मी लोगों से रक्षा कर पाने में समर्थ होती है, उतना तो मातारानी का कोई भी अन्य रूप नहीं कर सकता है।
इस तरह से माँ काली के महत्व को इस काली चालीसा के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि माँ काली भी उतनी ही आवश्यक हैं जितनी की मातारानी के अन्य रूप। अब यदि पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है और वह धर्म के ऊपर हावी होने लगता है तो उस समय माँ काली ही हमारी व धर्म की रक्षा कर सकती हैं और अधर्म का नाश करने में समर्थ होती हैं। यही माँ काली चालीसा का मुख्य महत्व होता है।
काली चालीसा पढ़ने के फायदे
अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री काली चालीसा का पाठ करते हैं और माँ काली का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ आपकी हरेक इच्छा को पूरा करती हैं। यदि आपको कोई परेशान कर रहा है या आपके शत्रु हमेशा आपका नुकसान करने की ताक में रहते हैं या आपके जीवन में कई तरह के संकट आये हुए हैं और उनका हल नहीं निकल पा रहा है या फिर आपको किसी अन्य बात को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो निश्चित तौर पर आपको काली माता की चालीसा का पाठ करना चाहिए।
माँ काली के द्वारा अपने भक्तों की हरसंभव सहायता की जाती है। जो भी भक्तगण सच्चे मन से माँ काली चालीसा का जाप करता है तो माँ काली उसके हर तरह के संकटों का नाश कर देती हैं और उसे आगे का मार्ग दिखाती हैं। ऐसे में आपको अपने हर तरह के कष्ट, पीड़ा, दुःख, दर्द, संकट, परेशानियाँ, नकारात्मक भावनाएं इत्यादि को दूर करने के लिए नित्य रूप से काली चालीसा का पाठ करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने मां काली चालीसा (Maa Kali Chalisa) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने काली चालीसा पढ़ने के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: