षोडशी का अर्थ क्या है? जाने षोडशी माता मंत्र, साधना व पूजा विधि

Shodashi Mahavidya

दस महाविद्याओं में षोडशी महाविद्या (Shodashi Mahavidya) को तृतीय महाविद्या व काली कुल की अंतिम माँ के रूप में जाना जाता है। यह माता सती के दस रूपों में से तीसरा रूप हैं जो तीनों लोकों में सबसे अधिक सुंदर हैं। उनके इसी गुण के कारण षोडशी महाविद्या का एक नाम त्रिपुरसुंदरी भी है।

षोडशी माता (Shodashi Mata) अपने भक्तों को सुंदर रूप देने के साथ-साथ स्वच्छ मन भी प्रदान करती हैं। आज हम आपको षोडशी का अर्थ क्या है, षोडशी मंत्र क्या है, इत्यादि के बारे में विस्तार से बताएँगे। इस लेख में आपको Maa Shodashi के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है।

Shodashi Mahavidya | महाविद्या षोडशी माता

षोडशी माता दस महाविद्या में तीसरा रूप है। यह एक ऐसा रूप है जिसे अपनी सुंदरता के कारण तीनों लोकों में प्रसिद्धि प्राप्त है। इसी कारण उनका एक नाम त्रिपुर सुंदरी रखा गया है अर्थात जो तीनों लोकों में सुंदर है। माँ षोडशी की महानता का अनुमान आप इसी बात से ही लगा सकते हैं कि उनके मंत्र को भी Maha Shodashi Mantra बोला जाता है।

इस लेख में सबसे पहले तो हम आपके साथ षोडशी माता की कथा सांझा करेंगे। उसके पश्चात आपको षोडशी का अर्थ, उनके अन्य नाम व उनका अर्थ, महा षोडशी मंत्र, रूप इत्यादि की जानकारी मिलेगी। चलिए शुरू करते हैं।

Shodashi Mata | षोडशी माता की कहानी

यह कथा बहुत ही रोचक है जो भगवान शिव व उनकी प्रथम पत्नी माता सती से जुड़ी हुई है। हालाँकि उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती माँ सती का ही पुनर्जन्म मानी जाती हैं। षोडशी महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था।

चूँकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किए जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नहीं बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।

यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है।

माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नहीं माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।

तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमें से तीसरी देवी षोडशी थी। मातारानी के यही 10 रूप 10 महाविद्या कहलाए जिसमें से तीसरा रूप Shodashi Mahavidya के रूप में प्रचलित हुआ। अन्य नौ रूपों में क्रमशः काली, ताराभुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगीकमला आती हैं।

षोडशी का अर्थ क्या है?

षोडशी का अर्थ बहुत ही सामान्य है। दरअसल माता सती ने अपनी 10 शक्तियों या गुणों को 10 रूपों या महाविद्या के माध्यम से दिखलाया था। उसमें से प्रत्येक रूप का अपना अलग महत्व था। कोई बहुत शक्तिशाली था तो कोई दुष्टों का नाश करने वाला तो कोई धन-संपदा देने वाला था। इसमें से Shodashi Mata का रूप अत्यधिक सुंदर व कमनीय था।

उनके इस रूप की आयु मात्र 16 वर्ष की थी। षोडशी का अर्थ भी सोलह वर्ष को ही इंगित करता है। इसी कारण उनके इस रूप का नाम षोडशी रखा गया जिसका अर्थ 16 वर्ष की आयु वाला होता है।

Maa Shodashi का रूप

सर्वप्रथम एक आसन को भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा, शिव के ही दो अन्य रूप अपने सिर पर उठाए हुए हैं। अब उस आसन पर भगवान शिव आरामदायक मुद्रा में लेटे हुए हैं। उनकी नाभि से एक धागा निकल रहा है जिससे कमल का आसन बना हुआ है। इसी कमल के आसान पर षोडशी माता विराजमान हैं।

षोडशी महाविद्या का वर्ण सुनहरा है तथा वे लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। उनके शरीर पर तेज चमक है जो उनके द्वारा पहने गए कई तरह के आभूषणों के कारण भी है। उनके सिर पर एक मुकुट है तथा केश खुले हुए हैं। भगवान शिव के ही समान उनके भी तीन नेत्र हैं। माँ षोडशी के चार हाथ हैं जिसमें उन्होंने पुष्प रुपी पांच बाण, धनुष, अंकुश व फंदा पकड़ा हुआ है।

षोडशी माता के अन्य नाम व उनका अर्थ

यह तो आपने ऊपर ही पढ़ लिया है कि Shodashi Mahavidya को त्रिपुरसुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। अब क्या आप यह जानते हैं कि षोडशी महाविद्या के और भी कई नाम हैं जो उनके गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में आइए जाने माँ षोडशी के अन्य मुख्य नाम और उनके अर्थ के बारे में। 

  • त्रिपुरसुंदरी

तीनों लोकों में सबसे सुंदर होने के कारण उन्हें त्रिपुरसुंदरी के नाम से भी जाना गया। त्रिपुर अर्थात तीनों लोक और सुंदरी अर्थात एक महिला जो अत्यधिक सुंदर है।

  • राजराजेश्वरी

किसी क्षेत्र पर राज करने वाले को राजा कहा जाता है। ऐसे में जो राजाओं पर भी राज करती है अर्थात सभी राजाओं की भी ईश्वर रुपी देवी है, उन्हें ही षोडशी माता कहा जाता है।

  • ललिता

ललिता नाम का अर्थ अत्यधिक सुंदर व आकर्षण से भरपूर होता है। यह उनके त्रिपुर सुंदरी रूप का पर्यायवाची कहा जा सकता है।

इसके अलावा इन्हें लीलावती, कामाक्षी, कामेश्वरी, ललिताम्बिका, ललितागौरी इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। एक तरह से Shodashi Mata अत्यधिक सुंदर व कमनीय होने के कारण कई नामों से प्रचलित हो गई हैं।

षोडशी मंत्र | Maha Shodashi Mantra

दरअसल ऊपर आपने जाना कि षोडशी माता को एक नहीं बल्कि कई नामों से जाना जाता है। ऐसे में उनके मंत्र भी एक नहीं बल्कि दो हैं। यह दो मंत्र उनके त्रिपुरसुंदरी व ललिता नाम पर बनाए गए हैं। आइए दोनों मंत्रों के बारे में जान लेते हैं।

  • पहला मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
  • दूसरा मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्री ललिताम्बिकायै नमः

इस तरह से आप महा षोडशी मंत्र के रूप में किसी का भी जाप कर सकते हैं। दोनों मंत्रों से आपको सुंदरता ही प्राप्त होगी और स्वभाव भी मृदु होगा। आइए विस्तार से षोडशी माता की पूजा करने से मिलने वाले लाभों के बारे में जान लेते हैं।

षोडशी महाविद्या साधना के लाभ

यदि हम षोडशी माता की पूजा करते हैं तो इससे हमें कई तरह के लाभ मिलते हैं। माँ षोडशी की पूजा करने से हमें सुंदर रूप की प्राप्ति होती है व वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता है  यदि आपको एक अच्छे जीवनसाथी की तलाश है तो अवश्य ही आपको माँ षोडशी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

इसके अलावा माँ षोडशी की साधना करने से हमारा मन जल्दी से विचलित नहीं होता तथा मन नियंत्रण में रहता है। यह हमारे मन को वश में करके उसे तृप्त करती हैं तथा उसे शांत करती हैं। Maa Shodashi की पूजा करने से हमें अपने मन को वश में करने, उसे इधर-उधर भटकने से रोकने व आत्मिक शांति में बहुत सहायता मिलती है।

देवी षोडशी महाविद्या की पूजा मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रों में की जाती है। गुप्त नवरात्रों में मातारानी की 10 महाविद्याओं की ही पूजा की जाती है जिसमें से तीसरे दिन महाविद्या षोडशी की पूजा करने का विधान है।

Shodashi Mahavidya से संबंधित अन्य जानकारी

  • षोडशी देवी से संबंधित रुद्रावतार षोडेश्वर महादेव हैं।
  • देवी षोडशी काली कुल की तीसरी व अंतिम देवी हैं।
  • देवी षोडशी का शक्तिपीठ त्रिपुरा राज्य में स्थित है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने षोडशी माता (Shodashi Mahavidya) के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है। इस बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखें कि आप षोडशी माता की पूजा का प्रदर्शन बिल्कुल भी ना करें और गुप्त रूप से उनकी आराधना करें। तभी आपको षोडशी महाविद्या की पूजा का संपूर्ण लाभ मिलेगा।

षोडशी माता से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: षोडशी देवी कौन है?

उत्तर: माता सती के 10 रूपों में से षोडशी माता तीसरा रूप हैं जिन्हें महाविद्या की संज्ञा दी गई है उनका एक नाम त्रिपुरसुंदरी भी है

प्रश्न: षोडशी मंत्र क्या है?

उत्तर: षोडशी मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः” या “ॐ ऐं ह्रीं श्री ललिताम्बिकायै नमः” होता है

प्रश्न: षोडशी पूजा क्या है?

उत्तर: षोडशी पूजा में हम माँ सती के तीसरे महाविद्या रूप की पूजा करते हैं इससे हमें सुंदरता प्राप्त होती है व स्वभाव भी मृदु होता है

प्रश्न: क्या त्रिपुरा सुंदरी और षोडशी एक ही हैं?

उत्तर: हां, त्रिपुरा सुंदरी और षोडशी एक ही हैं माता रानी के इस रूप की आयु सोलह वर्ष होने के कारण उन्हें षोडशी नाम दिया गया तो वहीं तीनों लोकों में सुंदर होने के कारण त्रिपुर सुंदरी नाम दिया गया है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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