आप सभी के मन में भी यह प्रश्न होगा कि एक वर्ष में ऋतु कितने होते हैं (Rituye Kitni Hoti Hai)!! जहाँ एक ओर संपूर्ण विश्व में मुख्य तौर पर तीन से चार ऋतु ही मानी जाती है तो वहीं भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म में कुल 6 ऋतुओं का प्रावधान है। ऐसे में आज हम आपको इन छह ऋतु के नाम और जानकारी (Rituye In Hindi) उपलब्ध करवाने वाले हैं।
सनातन धर्म में बहुत से ऋषि-मुनि व खोजकर्ता हुए हैं। उन्होंने पृथ्वी के सूर्य के चक्कर लगाने और उस पर पड़ने वाले विभिन्न ग्रहों के प्रभाव का सूक्ष्म आंकलन किया। इसके अनुसार मौसम में क्या कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है, इसी के आधार पर ही उन्होंने 6 ऋतु के नाम रखे हैं। आइए इनके बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।
Rituye In Hindi | छह ऋतु के नाम और जानकारी
ऋतु हमारी प्रकृति का एक स्वभाव है जो कि पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने व विभिन्न रेखाओं पर उसकी स्थिति के कारण आती है। ऋतु पूरे वर्ष में एक छोटा कालखंड होता है जो मौसम के बदलने के साथ-साथ परिवर्तित होता है। विभिन्न ऋतुओं में पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की आद्रता, तापमान, दिन-रात का समय, पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं में परिवर्तन, फसलों में परिवर्तन इत्यादि कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।
वैसे तो पूरे विश्व में मुख्यतया 3 प्रकार की ऋतुएं ही मानी जाती हैं जिसमे हैं ग्रीष्म, शीत व वर्षा। पर हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पूर्व प्रकृति और वातावरण में हो रहे बदलावों का गहन अध्ययन करके एक वर्ष को 6 ऋतुओं में विभाजित किया है। उन्होंने मौसम में परिवर्तन के हर एक सूक्ष्म बिंदु का गहन अध्ययन किया व उसी के अनुसार 6 ऋतुएं निर्धारित की जिनकी अवधि मुख्यतया 2 माह की होती है।
आज हम आपको इन छह ऋतु के नाम, उनमें होने वाला परिवर्तन और उस दौरान पड़ने वाले त्योहारों के बारे में बताएँगे।
हिंदू धर्म में माह
हिंदू धर्म में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी, फरवरी इत्यादि माह नही होते हैं अपितु इसमें पंचांग के अनुसार माह निर्धारित होते हैं। हिंदू धर्म में भी कुल 12 माह होते हैं जिनकी शुरुआत चैत्र माह से होती है व फाल्गुन माह अंतिम माह होता है। चैत्र माह अंग्रेजी के मार्च-अप्रैल माह से शुरू होता है अर्थात हिंदू नववर्ष इन्ही महीनो में मनाया जाता है। हिंदू माह के कालखंड के अनुसार ही इन छह ऋतुओं को विभाजित किया गया है।
यहाँ हमने आपको हिन्दू धर्म के माह की जानकारी इसलिए दी है क्योंकि जिन छह ऋतु के नाम और जानकारी (Rituye In Hindi) जानने को आप यहाँ आए हैं, वह हिन्दू माह के अनुसार ही बताई जाएँगी। उनका कालखंड हिन्दू माह पर ही निर्भर करता है। हालाँकि आपकी सुविधा के लिए हम उस दौरान पड़ने वाले अंग्रेजी माह का भी कालखंड रखेंगे।
6 ऋतु के नाम
अब बारी आती है इन 6 ऋतुओं के नाम और उनके बारे में अन्य जानकारी लिए जाने की। जहाँ एक ओर, अंग्रेजी नव वर्ष के महीनों की शुरुआत जनवरी में होती है जब सब ओर भीषण ठण्ड का प्रकोप होता है और सुस्ती छाई होती है। तो वहीं दूसरी ओर, हिन्दू धर्म का प्रथम माह चैत्र होता है। यह अंग्रेजी माह के अनुसार मार्च के महीने में पड़ता है।
इसी दौरान हिन्दू धर्म की 6 ऋतुओं में से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है जो सर्वश्रेष्ठ होती है। उसके बाद क्रमशः ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर ऋतुएं आती है। आइए इन सभी 6 ऋतु के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।
#1. वसंत ऋतु
छह ऋतुओं में सबसे पहली जो ऋतु आती है वह है वसंत ऋतु और इसी के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं में सबसे महान बताया गया है और इसे ऋतुराज की संज्ञा भी दी गई है अर्थात सभी ऋतुओं में सबसे उत्तम। इस ऋतु की शुरुआत हिंदू माह के प्रथम माह चैत्र से होती है व समाप्ति द्वितीय माह वैशाख में होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड मार्च से अप्रैल महीने के बीच का होता है।
हिंदू नववर्ष
चैत्र माह की शुरुआत व वसंत ऋतु के आगमन पर ही हिंदू धर्म में नववर्ष मनाया जाता है। इस ऋतु में चारों ओर एक खुशनुमा मौसम होता है व ना ही ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी। इसलिए इसे मनुष्य व अन्य सभी जीव-जंतुओं के लिए सबसे उत्तम ऋतु मानते हुए नववर्ष मनाया जाता है।
वसंत ऋतु के त्यौहार
इस ऋतु के मुख्य त्यौहारों में सबसे प्रमुख रंगों का पर्व होली है। इसके अलावा इस ऋतु के मुख्य त्यौहार चैत्र नवरात्र, वसंत पंचमी, राम नवमी, हनुमान जयंती, वैसाखी, बुद्ध पूर्णिमा इत्यादि हैं।
#2. ग्रीष्म ऋतु
वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद आती है ग्रीष्म ऋतु जिसे गर्मी के मौसम के नाम से भी जाना जाता है। यह तृतीय माह ज्येष्ठ से शुरू होकर चतुर्थ माह आषाढ़ तक रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड मई से जून महीनो के बीच का रहता है। ग्रीष्म ऋतु में सामान्यतया दिन लंबे हो जाते हैं व रातें छोटी हो जाती है। इसमें सूर्य के उत्तरायण दिशा में प्रवेश करने के कारण दिन की अवधि रात्रि की अपेक्षा बढ़ जाती है।
ग्रीष्म ऋतु के त्यौहार
इस ऋतु में मुख्यतया वट सावित्री व्रत, जगन्नाथ रथयात्रा, निर्जला एकादशी, चन्द्र ग्रहण व गुरु पूर्णिमा है।
#3. वर्षा ऋतु
ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी के पश्चात् आती है वर्षा ऋतु जो पृथ्वी की प्यास बुझाती है। यह हिंदू माह के पांचवे माह श्रावण से शुरू होकर छठे माह भाद्रपद तक रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड जुलाई से सितंबर महीनो के बीच का होता है। इस ऋतु में पूरे भारत वर्ष में वर्षा का मौसम रहता है व दुनिया में सबसे ज्यादा वर्षा भी भारत में ही होती है।
वर्षा ऋतु के त्यौहार
इस ऋतु के प्रमुख त्यौहार तीज, नागपंचमी, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन, गायत्री जयंती व राधाष्टमी हैं।
#4. शरद ऋतु
यह ऋतु वर्षा ऋतु के बाद आती है जिसमे ना ज्यादा गर्मी होती है व ना ही ज्यादा सर्दी। इस तरह यह ऋतु एक तरह से वसंत ऋतु का ही दूसरा रूप है। वसंत ऋतु में सर्दी से गर्मी का मौसम आता है व शरद ऋतु में गर्मी से सर्दी का मौसम। यह ऋतु हिंदू माह के सातवे माह अश्विन से शुरू होकर आठवें माह कार्तिक तक रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड सितंबर से अक्टूबर के बीच में रहता है।
शरद ऋतु के प्रमुख त्यौहार
इस ऋतु में मुख्यतया शारदीय नवरात्र, विजयादशमी, श्राद्ध पक्ष, दुर्गाष्टमी, शरद पूर्णिमा, करवाचौथ, सरस्वती पूजा, महानवमी, अहोई अष्टमी इत्यादि त्यौहार मनाए जाते हैं।
#5. हेमंत ऋतु
यह एक तरह की शीत ऋतु ही है जिसे मुख्यतया दो भागो में विभाजित किया गया है। हेमंत ऋतु शीत ऋतु का प्रथम भाग है जिसमे हल्की ठंड आनी शुरू हो जाती है। कहने का अर्थ यह है कि हेमंत ऋतु में ठंड का आगमन हो जाता है किन्तु वह इतनी तीव्र नही होती है।
हेमंत ऋतु का कालखंड हिंदू माह के नवे माह मार्गशीर्ष से दसवें माह पौष तक होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड नवंबर माह से दिसंबर के बीच का होता है।
हेमंत ऋतु के त्यौहार
इस ऋतु का सबसे प्रमुख त्यौहार भगवान श्री राम के 14 वर्षो के वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर मनाया जाने वाला दीपोत्सव है जिसे दीपावली या दिवाली भी कहा जाता है। इसके अलावा इस ऋतु के प्रमुख त्यौहारों में धनतेरस, रूप चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, कालभैरव जयंती, सूर्य ग्रहण, तुलसी विवाह, कार्तिक पूर्णिमा, गीता जयंती इत्यादि हैं।
#6. शिशिर ऋतु
यह शीत ऋतु का दूसरा भाग है व साथ ही यह ऋतुओं में अंतिम ऋतु है जिसमे भीषण ठंड पड़ती है। इस समय ठंड का पूरी तरह से आगमन हो चुका होता है व चारों ओर बर्फ, धुंध की चादर बिछ जाती है व सूर्य का तेज कम हो जाता है। इस ऋतु में दिन की अपेक्षा रातें लंबी हो जाती है। यह ऋतु हिंदू माह के ग्याहरवें माह माघ से शुरू होकर अंतिम अर्थात बारहवें माह फाल्गुन में समाप्त होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसका कालखंड जनवरी से फरवरी माह के बीच का रहता है।
इस ऋतु को अंतिम ऋतु इसलिए भी माना गया है क्योंकि जो प्रकृति का नवनिर्माण वसंत ऋतु से होता है वह इस ऋतु में समाप्त हो रहा होता है। इसे आप पतझड़ का मौसम भी कह सकते हैं जहाँ चारों ओर पेड़-पौधे मुरझा जाते हैं व उनके पत्ते झड़ने लगते हैं। इस समय प्रकृति में बुढ़ापा आने लगता है तथा वह फिर से नव-निर्माण के लिए तैयार हो रही होती है। इस समय सूर्य भगवान दक्षिणायन में होते हैं।
शिशिर ऋतु के त्यौहार
इस ऋतु के प्रमुख त्यौहारों में लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्राति, उत्तरायण, महाशिवरात्रि प्रमुख हैं।
Rituye Kitni Hoti Hai | ऋतु कितने होते हैं?
संपूर्ण विश्व में ऋतुओं या मौसम को लेकर कई तरह की अवधारणाएं होती है। कहीं पर केवल 2 ऋतु ही मानी जाती हैं जिन्हें वे सर्दी और गर्मी के नाम से जानते हैं। तो किसी-किसी सभ्यता या देश में 3 तरह की ऋतुओं की अवधारणा है जिनके नाम सर्दी, गर्मी और बारिश हैं। मुख्य तौर पर पूरे विश्व में 4 तरह की ऋतुओं को मान्यता दी जाती है जिन्हें लोग सर्दी, गर्मी, वर्षा और वसंत के नाम से जानते हैं।
आज के समय में भारत देश में भी लोग इन्हीं 4 ऋतुओं के नाम ही जानते हैं। वहीं यदि हम मौसम में हो रहे परिवर्तन का सूक्ष्म आंकलन करेंगे तो उसके अनुसार इन 6 ऋतुओं के नाम सामने आते हैं। इसी के बारे में ही सनातन धर्म में लिखा गया है। हालाँकि मनुष्य के द्वारा पर्यावरण व प्रकृति को हो रहे नुकसान के कारण ऋतुओं का चक्र बिगड़ता जा रहा है। जिससे आगे चलकर यह विनाशकारी परिणाम भी लेकर आ सकता है।
भारत में कितनी ऋतु होती हैं?
हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत पहले से भारतीय मौसम के अनुसार 6 ऋतुएं निर्धारित की थी जिनका प्रभाव सीधे तौर पर हमारे ऊपर पड़ता है। इन ऋतुओं को विभाजित करने के पीछे कई कारण हैं। आप हर ऋतु के बदलने पर पाएंगे कि हमारे आसपास की हर एक चीज़ जैसे कि पृथ्वी का तापमान, दिन और रात का समय, सूर्योदय व सूर्यास्त का समय, पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं इत्यादि में परिवर्तन हो रहा होता है।
जब सब चीजें बदल रही है तो उसी प्रकार मनुष्य भी अपने जीवन में बदलाव नही करेगा तो इससे हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन्ही सब कारणों को ध्यान में रखकर हमारे ऋषि-मुनियों ने सभी ऋतुओं को उनकी प्रवत्ति के आधार पर विभाजित किया। उसी के अनुसार ही विभिन्न त्यौहार, व्रत, मेलों व अन्य कार्यक्रमों को निर्धारित किया गया जिससे मनुष्य जीवन प्रकृति के अनुसार संतुलन बनाकर चले।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आप छह ऋतु के नाम और जानकारी (Rituye In Hindi) पा चुके हैं। यहाँ हमने आपको इन सभी 6 ऋतु के नाम सहित उनकी समय अवधि भी बताई है और वह भी हिन्दू माह और अंग्रेजी कैलेंडर दोनों के ही अनुसार। इसी के साथ ही उन 6 ऋतुओं के कालखंड में कौन-कौन से त्यौहार पड़ते हैं, उसके बारे में भी आप जान चुके हैं।
छह ऋतु के नाम से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: 6 मौसम कितने होते हैं?
उत्तर: 6 मौसम के नाम क्रमशः वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर होते हैं जिन्हें भारतीय संस्कृति में अपनाया गया है।
प्रश्न: एक साल में कितने ऋतु होते हैं?
उत्तर: एक साल में कुल 6 तरह की ऋतुएं आती हैं जिनके नाम वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर है।
प्रश्न: भारत की चार ऋतु में कौन कौन सी हैं?
उत्तर: भारत की चार ऋतु में मुख्य रूप से वसंत, ग्रीष्म, वर्षा व शरद ऋतु आती है।
प्रश्न: भारत की जलवायु में 6 ऋतुएं कौन सी हैं?
उत्तर: भारत की जलवायु में 6 ऋतुएं वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर मानी गई है जिनकी अवधि लगभग 2-2 माह की होती है।
प्रश्न: भारत में 6 मौसम क्यों होते हैं?
उत्तर: सदियों पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने पृथ्वी के सूर्य के चक्कर लगाने और उसके अनुसार प्रकृति में हो रहे बदलावों का अध्ययन कर 6 मौसम निर्धारित किए थे।
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